प्रकाशित - 14 Nov 2024 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा
सरकार की ओर से किसानों की आय बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं। इसके लिए उन्हें उन फसलों की खेती के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है जिनके बाजार में अधिक दाम मिल सकते हैं। इसी कड़ी में राज्य सरकार की ओर से लहसुन की खेती (Garlic Cultivation) के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है।
खास बात यह है कि इसकी खेती के लिए राज्य सरकार की ओर से किसानों को 12,000 रुपए प्रति हैक्टेयर की दर से सब्सिडी (Subsidy) दी जा रही है। ऐसे में इच्छुक किसान जो लहसुन की खेती के लिए अनुदान का लाभ प्राप्त करना चाहते हैं, वे इसके लिए आवेदन करके लहसुन की खेती पर सब्सिडी का लाभ उठा सकते हैं।
राज्य सरकार की ओर से लहसुन की खेती (Garlic Cultivation) को लेकर किसानों के लिए विशेष योजना शुरू की गई है। योजना के तहत उद्यान विभाग की ओर से लहसुन की खेती की लागत 30 हजार रुपए प्रति हैक्टेयर तय की गई है जिस पर किसानों को 40 प्रतिशत, अधिकतम 12 हजार रुपए प्रति हैक्टेयर सब्सिडी (Subsidy) दी जाएगी। यह अनुदान प्रति किसान न्यूनतम 0.2 हैक्टेयर और अधिकतम 4.0 हैक्टेयर तक भूमि के लिए दिया जाएगा। केंद्र सरकार के मसाला विस्तार कार्यक्रम के तहत किसानों को लहसुन का बीज राष्ट्रीय बागवानी अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान, नई दिल्ली द्वारा उपलब्ध कराया जाएगा। लहसुन के बीजों की कीमत 370 से 390 रुपए प्रति किलोग्राम के बीच रखी गई है। यूपी सरकार की ओर से पूरे प्रदेश में 10 हजार हैक्टेयर अतिरिक्त क्षेत्र में लहसुन की खेती का लक्ष्य रखा गया है।
लहसुन की खेती पर सब्सिडी (Subsidy on Garlic Cultivation) के लिए आपको मसाला विस्तार कार्यक्रम के तहत आवेदन करना होगा। योजना में आवेदन के लिए आपको जिन दस्तावेजों की जरूरत होगी, वे दस्तावेज (Documents) इस प्रकार से हैं-
यदि आप यूपी के किसान है तो आप इस योजना के तहत ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। इसके लिए ऑनलाइन आवेदन उद्यान विभाग यूपी की आधिकारिक वेबसाइट http://dbt.uphorticulture.in पर किया जा सकता है। इस योजना का लाभ प्रथम आवक- प्रथम पावक के आधार पर किया जाएगा। इस योजना और आवेदन से संबंधित और अधिक जानकारी के लिए किसान अपने जनपद के जिला उद्यान अधिकारी कार्यालय से संपर्क कर सकते हैं।
मसाला विस्तार क्षेत्र कार्यक्रम (Spices Extension Field Programme) के तहत यूपी के 45 जिलों में लहसुन की खेती पर सब्सिडी की योजना मंजूर की गई है जिसका लाभ सहारनपुर, भगोदी, गोरखपुर, मुरादाबाद, फर्रुखाबाद, बलिया, लखनऊ, हाथरस, गाजियाबाद, बुलंदशहर, आगरा, बरेली, मुजफ्फरनगर, मेरठ, मथुरा, मैनपुरी, इटावा, कानपुर, कन्नौज, सीतापुर, उन्नाव, रायबरेली, बाराबंकी, कुशीनगर, प्रयागराज, सुल्तानपुर, बांदा, महाराजगंज, सिद्धार्थनगर, चित्रकूट, ललितपुर, महोबा, सोनभ्रद, मिर्जापुर, हमीरपुर, कौशाम्बी, जालौन, वाराणसी, प्रतापगढ़, बस्ती, गाजीपुर, जौनपुर, संतकबीरनगर, झांसी और अयोध्या शामिल हैं।
लहसुन की खेती नवंबर माह में की जा सकती है। लहसुन की खेती के लिए बलुई मिट्टी अच्छी मानी जाती है जिसका पीएच 6 से 7 के बीच हो। लहसुन के बीजों की बुवाई 10 से 12 सेंटीमीटर की दूरी पर करनी चाहिए और पंक्तियों के बीच की दूरी 15 से 20 सेंटीमीटर रखनी चाहिए। लहसुन की फसल की समय-समय पर आवश्यकतानुसार हल्की सिंचाई करनी चाहिए। ध्यान रहे लहसुन की बुवाई के बाद पहले 30 दिनों तक सिंचाई का विशेष ध्यान रखना जरूरी होता है। लहसुन की फसल में जैविक खाद उपयोग किया जाना चाहिए। गोबर की खाद इसके लिए अच्छी बताई गई है। इसके अलावा इसकी फसल में नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश की मात्रा का संतुलित मात्रा में उपयोग करना चाहिए ताकि इसकी बेहतर पैदावार मिल सके। लहसुन की फसल को सफेद मक्खी और फफूंद रोग लगने का खतरा अधिक बना रहता है। ऐसे में जैविक कीटनाशकों का उपयोग करना चाहिए और समय-समय पर फसल की जांच करते रहना चाहिए ताकि समय पर फसल को लगने वाले रोगों की रोकथाम की जा सके।
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