प्रकाशित - 31 Oct 2022
इस बार असामान्य मानसून का प्रभाव पूरे देश पर पड़ा है। इससे फसलों की बुवाई में कमी आई है। जिन राज्यों में कम बारिश और सूखे की वजह से कहीं धान की बुवाई में कमी आई है तो कहीं धान की बुवाई ही नहीं हो पाई है। ऐसे ही हालात बिहार राज्य में बने हुए हैं। इसे देखते हुए बिहार राज्य के मुख्यमंंत्री नितेश कुमार ने अभी पिछले दिनों कैबिनेट की बैठक में राज्य के 11 जिलों को सूखाग्रस्त घोषित कर दिया। इसी के साथ राज्य के मुख्यमंत्री ने इन जिलों के प्रत्येक किसान परिवार को 3500 रुपए की आर्थिक सहायता देने की घोषणा भी की गई। इसके बाद अब राज्य के किसानों खाते में सहायता राशि भेजी जा रही है। इससे किसानों को काफी राहत मिल सकती है। यह राशि सीधे किसानों के खाते में भेजी जा रही है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार अभी पिछले दिनों ही बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये वर्ष 2022 राज्य के सूखा प्रभावित जिलों के प्रभावित किसान परिवारों को विशेष सहायता के वितरण का कार्य का शुभारंभ किया गया। इसके तहत राज्य के 11 सूखाग्रस्त जिलों के 96 प्रखंडों के 937 पंचायतों के 7841 राजस्व ग्रामों एवं इसके अंतर्गत आने वाले सभी गांव टोलों तथा बसावटों के सभी प्रभावित परिवारों को विशेष सहायता के रूप में ग्रेच्यूटस रिलीफ की राशि 3500 रुपए प्रति परिवार की दर से उनके बैंक खाते में हस्तांतरित की जा रही है।
इस कार्यक्रम के तहत जिन जिलों के किसान परिवारों को आर्थिक सहायता के रूप में 3500 रुपए का वितरण किया जाना है उनमें 11 जिलों के किसान परिवारों को शामिल किया गया है। इन 11 जिलों में गया, औरंगाबाद, नवादा, जहानाबाद, नालंदा, मुंगेर, शेखपुरा, लखीसराय जमुई, भागलपुर एवं बांका जिलों को शामिल किया गया है। इन जिलों के 2 लाख 4 हजार 280 प्रभावित किसानों के खाते में 3500 रुपए प्रति परिवार की दर से 71 करोड़ 49 लाख 80 हजार रुपए हस्तांतरित की गई है। अन्य प्रभावित किसानों के खाते में राशि का भेजने का काम जारी है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इस मानसून बारिश के अभाव में बिहार के बांका जिले में करीब 40 फीसदी खेतों में ही धान की बुवाई हो सकी है। ऐसे में सरकार की ओर से किसानों को राहत देने के लिए सूखाग्रस्त घोषित क्षेत्रों के हर परिवार को 3500 रुपए की विशेष सहायता राशि दी जा रही है। इसके लिए गांव स्तर पर परिवारों की सूची तैयार की जा रही है। इस आधार पर सभी के खाते में सहायता राशि भेजी जाएगी।
आपदा शाखा प्रभारी शालिग्राम साह ने बताया कि सूखाग्रस्त गांव के हर परिवार को विशेष सहायता के रूप में 3500 प्रति परिवार दिया जाना है। इसके लिए चिन्हित गांवों में परिवारों की सूची तैयार की गई है। उन्होंने बताया कि इसके तहत जिले में एक लाख 81 हजार 557 परिवारों को चिह्नित किया गया है। चिन्हित परिवारों का डाटा इंट्री का कार्य तेजी से किया जा रहा है। जल्द ही सभी चिन्हित परिवारों की सूची राज्य को भेजी जाएगी। इसके बाद सभी परिवारों को खाते में सहायता राशि दी जाएगी।
एक तरफ राज्य के कई जिलों में सूखे के हालत बन गए तो दूसरी ओर इस बार हुई बारिश से कुछ जिलों में बाढ़ के हालत बने और इससे फसलों को नुकसान हुआ। इसके लिए भी राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने खराब हुई फसलों के लिए भी मुआवजे की घोषणा की है। इसके लिए सर्वे कराने का काम किया जा रहा है। सर्वे का पूरा होने के बाद प्रभावित किसानों को कृषि इनपुट सब्सिडी के तहत खराब हुई फसल का मुआवजा दिया जाएगा।
इस बार बिहार में मानसून की बारिश 40 प्रतिशत तक कम हुई। वहीं कुछ जिलों में 60 प्रतिशत तक कम बारिश हुई है। सामान्यत: प्रति वर्ष बिहार में मानसून के दौरान 992 मिमी बारिश होती है, इसे सामान्य बारिश माना जाता है। लेकिन इस बार प्रदेश में मानसून के दौरान मात्र 683 मिमी ही बारिश दर्ज की गई है जो सामान्य से 40 फीसदी कम है। खरीफ सीजन को मानसून पर आधारित सीजन माना जाता है, इस बार कम बारिश के कारण किसानों को भारी नुकसान हुआ है। कम बारिश के चलते इस बार धान के करबे में भी कमी आई है। इस साल पिछले साल की तुलना में 1.97 लाख हेक्टेयर कम जमीन पर धान की खेती की गई है।
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