प्रकाशित - 23 Sep 2024 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा
Crop Loss Compensation : इस साल बारिश से किसानों की फसलों को काफी नुकसान हुआ है। कई राज्यों में बाढ़ के हालात भी बन गए थे जिससे फसलें बर्बाद हो गई। इसी कड़ी में बिहार में पिछले दिनों नदियों में आई बाढ़ के बाद किसानों की फसलों को नुकसान हुआ है। इस नुकसान की भरपाई के लिए बिहार सरकार ने प्रभावित किसानों को मुआवजा देने का फैसला किया है। इतना ही नहीं इन किसानों को अगली फसल की बुवाई के लिए भी सहायता प्रदान की जाएगी। किसानों को फसल नुकसान की सूचना देने के लिए नियंत्रण कक्ष भी स्थापित किया गया है। ये नियंत्रण कक्ष पूरे 7 दिन 24 घंटे काम करेगा। राज्य के फसल नुकसान से प्रभावित किसान यहां अपने नुकसान की सूचना दे सकते हैं।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार बिहार कृषि विभाग के सचिव संजय कुमार अग्रवाल ने बताया कि मुख्यमंत्री के बाढ़ से प्रभावित जिलों के निरीक्षण के दौरान फसलों को हुई क्षति का आंकलन करने के निर्देश अधिकारियों को दिए गए हैं। कृषि सचिव ने बताया कि मुख्यमंत्री ने इस वर्ष खरीफ सीजन में सितंबर के महीने में गंगा किनारे वाले जिलों में उत्पन्न बाढ़ की स्थिति के कारण पंचायतवार फसल नुकसान का आकलन करने के निर्देश सभी जिला कृषि पदाधिकारियों, अनुमंडल कृषि पदाधिकारियों, प्रखंड कृषि पदाधिकारी एवं कृषि समन्वयकों को दिए हैं। पंचायतवार खाद्यान्न फसलों के साथ-साथ बागवानी फसलों जैसे- मौसमी फल एवं सब्जी के नुकसान का आकलन करके अगले 24 घंटे के भीतर प्रतिवेदन उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया है।
सचिव, कृषि की ओर से मुख्यालय के सभी वरिष्ठ पदाधिकारियों, प्रमंडलीय संयुक्त निदेशक (शस्य) और जिला कृषि पदाधिकारियों के साथ नदियों में अत्यधिक पानी बढ़ने से फसल को हुए नुकसान की समीक्षा की गई। उन्होंने जिला कृषि पदाधिकारियों को निर्देश दिया है कि किसानों को न केवल खड़ी फसल में हुए नुकसान का मुआवजा प्रदान किया जाएगा बल्कि उन्हें अगली फसल लगाने के लिए भी विभाग की ओर से सहायता प्रदान की जाएगी। बता दें कि इससे पहले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पटना के आसपास गंगा नदी के बढ़ते जलस्तर का जायजा लिया था। निरीक्षण के दौरान सीएम ने अधिकारियों को पूरी तरह से अलर्ट रहने और सारी तैयारी पूरी रखने के निर्देश दिए थे। इसी के साथ ही सीएम ने बाढ़ से केले की फसल को हुए नुकसान को देखते हुए उसका समुचित मुआवजा किसानों को दिए जाने का निर्देश दिया है।
कृषि सचिव के अनुसार बाढ़ की स्थिति को देखते हुए विभागीय स्तर पर किसी भी आकस्मिक परिस्थिति से निपटने के लिए कृषि भवन, मीठापुर में नियंत्रण कक्ष स्थापित किया गया है। यह नियंत्रण कक्ष 7 दिन 24 घंटे कार्यरत रहेगा। यहां फसल नुकसान से संबंधित सूचना प्राप्त की जाएगी। इसके लिए कृषि निदेशक नितिन कुमार सिंह को वरीय नोडल पदाधिकारी और सुशील कुमार्, संयुक्त निदेशक (सांख्यिकी), प्रभारी पदाधिकारी नियुक्त किए गए हैं जिनकी देखरेख में काम किया जाएगा। इसके अलावा राज्य में नदियों में जलस्तर बढ़ने से प्रभावित जिलों के कृषि विभाग के सभी पदाधिकारियों एवं कर्मचारियों की छुट्टी अगले आदेश तक रद्द कर दी है और उन्हें क्षेत्र में भ्रमणशील रहकर किसानों को सहायता पहुंचने के निर्देश दिए गए हैं।
बिहार में बाढ़ से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। यहां के दर्जन भर से अधिक जिलों में लाखों लोग नदियों में आई बाढ़ से प्रभावित हुए हैं। गंगा नदी का जलस्तर बढ़ जाने से यहां के ग्रामीण इलाकों सहित शहरी क्षेत्रों में भी पानी फैल गया है। यहां जिले का दियारा का इलाका पूरी तरह से पानी में डूब गया है। किसानों के खेत पानी में डूब गए हैं, फसलें बर्बाद हो गई हैं। उनके पशुओं को भी नुकसान हुआ है। इन सभी हालातों के चलते यहां से किसान पलायन करने लगे हैं।
बिहार सरकार की ओर से बैमासम बारिश, ओलावृष्टि, बाढ़ के कारण किसानों की फसलों को नुकसान होने पर उन्हें मुआवजा दिया जाता है। फसलों के नुकसान को देखते हुए किसानों को 2500 रुपए से लेकर 22,500 रुपए तक प्रति एकड़ की दर से मुआवजा दिया जा सकता है। बिहार सरकार की ओर से सिंचित भूमि पर फसल नुकसान होने पर 17,000 रुपए प्रति एकड़ की दर से मुआवजा राशि दी जाएगी। वहीं असिंचित भूमि पर फसल नुकसान होने पर 8,500 रुपए प्रति एकड़ की दर से मुआवजा दिया जाता है। किसानों को यह मुआवजा अधिकतम दो एकड़ भूमि के लिए दिया जाता है। वहीं कृषि विभाग की ओर से गैर-सिंचित, सिंचित और बहुफसली खेतों के लिए न्यूनतम मुआवजा राशि 1,000 रुपए, 2,000 व 2,500 रुपए तक दी जाती है।
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