प्रकाशित - 05 Sep 2024 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा
इस साल बारिश के कारण आई बाढ़ से सोयाबीन (Soybean), मूंगफली (Groundnut), कपास (cotton), दलहन (pulses) सहित खरीफ सीजन की फसलों को भारी नुकसान हुआ है। यदि बात करें गुजरात की तो यहां कपास और मूंगफली की फसल को काफी नुकसान पहुंचा है। वहीं उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश और राजस्थान सहित कई राज्यों में बारिश के कारण दहलन और तिलहन फसलों (oilseed crops) को काफी नुकसान हुआ है। इसे देखते हुए राज्य सरकारे अपने-अपने स्तर पर किसानों को राहत प्रदान कर रही हैं। इसी क्रम में गुजरात में किसानों की फसलों में हुए नुकसान का आकलन करने के लिए केंद्रीय दल तैनात किया गया है। आंकड़े जुटाने के बाद यहां के किसानों को फसल नुकसान का मुआवजा जारी कर राहत पहुंचाई जाएगी।
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के मुताबिक गुजरात के सौराष्ट्र और कच्छ क्षेत्रों में पिछले सप्ताह हुई तेज बारिश के कारण बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं जिससे कपास के पौधों को नुकसान होने का खतरा मंडरा रहा है। वहीं मूंगफली की फसल पानी में डूबकर बर्बाद हो गई है। इससे उत्पादन में गिरावट होने की आशंका है। कृषि जानकारों के अनुमान के मुताबिक कपास के उत्पादन पर विपरित असर पड़ सकता है। वहीं मूंगफली के उत्पादन में संभावित गिरावट होने से इसकी आपूर्ति कम हो सकती है। पिछले साल कपास की कीमतें एमएसपी से भी निचले स्तर पर चली गई थीं। इस कारण पंजाब सहित अन्य राज्य के किसान कपास की खेती (cotton farming) छोड़कर बासमती व अन्य फसलों की खेती करने में रूचि लेने लगे हैं।
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के अनुसार खरीफ सीजन 2024-25 में पूरे देश में कपास की बुवाई में पिछले साल की तुलना में गिरावट आई है। 20 अगस्त 2024 तक के आंकड़ों के मुताबिक देश भर में 111.07 लाख हैक्टेयर क्षेत्र में कपास की बुवाई की गई, जबकि पिछले साल 122.15 लाख हैक्टेयर में कपास की बुवाई हुई थी। वहीं गुजरात में 2023-24 सीजन के दौरान 26.83 लाख हैक्टेयर में बुवाई की गई थी।
इस बार मूंगफली की फसल के बेहतर उत्पादन का अनुमान लगाया जा रहा है। ऐसा इसलिए कि इस बार देश में 46.82 लाख हैक्टेयर में मूंगफली की खेती की गई है, जबकि पिछले सीजन में मूंगफली की बुवाई 43.14 लाख हैक्टेयर में की गई थी। इस बार पिछले साल के मुकाबले ज्यादा क्षेत्र में मूंगफली की बुवाई की गई है। यदि बात करें गुजरात की तो यहां 20 जुलाई तक मूंगफली की बुवाई का आंकड़ा पिछले तीन सालों के सालाना औसत रकबे 17.51 लाख हैक्टेयर से भी अधिक है। 2021 के खरीफ सीजन के बाद ऐसा पहली बार देखने में आया है राज्य में मूंगफली की बुवाई 18 लाख हैक्टेयर से अधिक क्षेत्र में की गई है। वहीं 2019 में यहां मूंगफली का रकबा 16.88 लाख हैक्टेयर था और 2020 में 21.62 लाख हैक्टेयर रहा।
कृषि और किसान कल्याण विभाग द्वारा जारी बुवाई क्षेत्र प्रगति रिपोर्ट के अनुसार पिछले अगस्त के पहले सप्ताह में 378.04 लाख हैक्टेयर की तुलना में इस साल 394.28 लाख हैक्टेयर में धान की खेती (paddy cultivation) की गई है। वहीं पिछले साल 177.50 लाख हैक्टेयर के मुकाबले इस बार 185.51 लाख हैक्टेयर में श्री अन्न या मोटे अनाज की बुवाई की गई। तिलहन की खेती का रकबा भी इस बार बढ़ा है। पिछले साल 187.36 लाख हैक्टेयर के मुकाबले इस बार 188.87 लाख हैक्टेयर में तिलहन की खेती (oilseed farming) की गई है। इसी प्रकार दलहन की बुवाई भी बढ़ी है। जहां पिछले साल इसी अवधि के दौरान 115.55 लाख हैक्टेयर में दलहन की खेती की गई थी। वहीं इस साल 122.16 लाख हैक्टेयर में दलहन की खेती (pulse farming) की जा रही है।
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