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पान की खेती पर सरकार से मिलेगी 50 प्रतिशत सब्सिडी, किसानों को होगा लाभ

Published - 06 Apr 2022

पान की खेती कैसे करें और कितनी मिलेगी सब्सिडी - जानें पूरी जानकारी

केंद्र सरकार की ओर से किसानों के लिए कई प्रकार की फसलों की खेती पर अनुदान दिया जाता है। इसके लिए सरकार की ओर से कई योजनाएं संचालित की जा रही हैं। लेकिन इन योजनाओं की जानकारी नहीं होने से किसान इसका लाभ नहीं उठा पाते हैं। हम समय-समय पर ट्रैक्टर जंक्शन के माध्यम से किसानों को सरकार की ओर से चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं की जानकारी आपको देते रहते हैं ताकि किसान भाई इन योजनाओं का लाभ उठा सके। इसी क्रम में आज हम आपको पान की खेती पर सरकार की ओर से दी जाने वाले अनुदान (सब्सिडी) की जानकारी दे रहे हैं। बता दें कि पान की खेती करने वाले किसानों को सरकार की ओर से सब्सिडी का लाभ प्रदान किया जाता है। इसके लिए सरकार की ओर से राष्ट्रीय कृषि विकास योजना-रफ़्तार नाम से योजना संचालित की हुई है। इसके तहत किसानों को पान की खेती करने पर 50 प्रतिशत तक सब्सिडी का लाभ प्रदान किया जाता है। पान की खेती पर सब्सिडी देने के पीछे सरकार का उद्देश्य देश में पान के पत्तों का उत्पादन बढ़ाने के लिए किसानों को प्रोत्साहित करना है।

उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश को मिल रहा है योजना का लाभ

बीते दिनों लोकसभा में कुंवर पुष्पेंद्र सिंह चंदेल द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बताया कि सरकार उत्तरप्रदेश एवं मध्यप्रदेश के चयनित क्षेत्र में पान की खेती करने वाले किसानों को राष्ट्रीय कृषि विकास योजना-रफ़्तार के तहत अनुदान देती है। लोकसभा में कुंवर पुष्पेंद्र सिंह चंदेल ने सवाल पूछा कि क्या सरकार ने बुंदेलखंड में सहकारी आधार पर पान के पत्तों की खेती को बढ़ावा देने के लिए विशेष प्रयास किए हैं ? इसके लिखित जवाब में केंद्रीय कृषि मंत्री ने पान उत्पादन के लिए सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों के बारे में जानकारी दी। 

पान की खेती पर कितना मिलता है अनुदान

केंद्रीय कृषि मंत्री ने अपने जबाब में बताया कि केंद्र सरकार राष्ट्रीय कृषि विकास योजना-रफ़्तार के तहत देश में पान की खेती को बढ़ावा दे रही है। योजना के तहत सरकार उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश सरकार के माध्यम से पान की खेती के लिए क्लस्टर में बरोज (पंडाल) की स्थापना के लिए 50 प्रतिशत सहायता अधिकतम 1000 वर्गमीटर के लिए 50453 रुपए का अनुदान प्रदान कर रही है। उत्तर प्रदेश राज्य में वर्ष 2018-19 से 2021-22 तक की अवधि के दौरान इस कार्यक्रम के तहत कुल 104 हेक्टेयर कवर किया गया है। वहीं मध्य प्रदेश में 2015-16 में 44.4 हेक्टेयर क्षेत्र इस योजना के तहत कवर किया गया था।

न्यूक्लियस रोपण सामग्री का उत्पादन करने के लिए मिलती है सहायता

उन्होंने बताया कि कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के तहत सुपारी और मसाला विकास निदेशालय, कालीकट, राज्य कृषि विश्वविद्यालयों और कृषि अनुसंधान परिषदों को पान के पत्तों की अच्छी गुणवत्ता वाली न्यूक्लियस रोपण सामग्री का उत्पादन करने के लिए समेकित बागवानी विकास मिशन के माध्यम से सहायता प्रदान की जाती है। दो उच्च तकनीक रोपण सामग्री उत्पादन संरचनाएं, एक क्षेत्रीय अनुसंधान स्टेशन बेलताल, महोबा जिले में 11.2 लाख की वित्तीय सहायता से और दूसरी कृषि विज्ञान केंद्र, ललितपुर जिले में 15.6 लाख की वित्तीय सहायता से (बांदा कृषि और प्रोदयोगिकी विश्वविद्यालय के तहत) पान के किसानों की रोपण सामग्री की जरूरतों को पूरा करने के लिए स्थापित की गई है।

भारत में कहां-कहां होती है पान की खेती (Pan Ki Kheti)

भारत में पान की खेती करीब 50,000 हैक्टेयर में की जाती है। जिन राज्यों में पान की खेती की जाती है उनमें कर्नाटक, तमिलनाडु, उड़ीसा, केरल, बिहार, पश्चिम बंगाल, असम (पूर्वोत्तर राज्य), आंध्रप्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान शामिल हैं।

कैसे की जाती है पान की खेती / पान की खेती की विधि

उत्तर भारत में पान की खेती के लिए कर्षण क्रियायें 15 जनवरी के बाद शुरू होती है। पान की अच्छी खेती के लिए जमीन की गहरी जुताई कर भूमि को खुला छोड़ देते हैं। उसके बाद उसकी दो उथली जुताई करते हैं, फिर बरेजा का निर्माण किया जाता है। यह प्रक्रिया 15-20 फरवरी तक पूर्ण कर ली जाती है। तैयार बरेजों में फरवरी के अंतिम सप्ताह से लेकर 20 मार्च तक पान बेलों की रोपाई पंक्ति विधि से दोहरे पान बेल के रूप में की जाती है। पान की अच्छी खेती के लिए पंक्ति से पंक्ति की उचित दूरी रखना आवश्यक है। इसके लिए आवश्यकतानुसार पंक्ति से पंक्ति की दूरी 30 गुणा 30 सेमी. या 45 गुणा 45 सेमी. रखी जाती है। बीज के रोपण के रूप में पान बेल से मध्य भाग की कलमें ली जाती है, जो रोपण के लिए आदर्श कलम होती है। पान की बेल में अंकुरण व प्रबर्द्वन अच्छा हो इसके लिए पान के कलमों को घास से अच्छी प्रकार मल्चिंग करते हुए ढकते हैं व तीन समय पानी का छिडक़ाव करते हैं। चूंकि मार्च से तापमान काफी तीव्र गति से बढ़ता है। अत: पौधों के संरक्षण हेतु पानी देकर नमी बनाई जाती है, जिससे कि बरेजों में आर्द्रता बनी रहे। पान बेल के अच्छे प्रवर्द्वन हेतु बेलों के साथ ही सन की खेती भी करते हैं, जो पान बेलों को आवश्यकतानुसार छाया व सुरक्षा प्रदान करता है।

पान के औषधीय गुण

पान में कई प्रकार के औषधीय गुण पाए जाते हैं। पान के पत्ते का उपयोग कई प्रकार के रोगों में किया जाता है। पान के कुछ औषधीय गुण इस प्रकार से हैं-

  • पान गले की खराश एवं खिचखिच को मिटाता है।
  • यह मुंह के दुर्गंध को दूर कर पाचन शक्ति को बढ़ाता है।
  • वहीं इसकी कुचली ताजी पत्तियों का लेप कटे-फटे व घाव के सडऩ को रोकता है।
  • अजीर्ण एवं अरूचि के लिए सुबह खाने के पहले पान के पत्ते का प्रयोग काली मिर्च के साथ करने से अजीर्ण और अरूचि की समस्या दूर होती है।
  • सूखे कफ को निकालने के लिए पान के पत्ते का उपयोग नमक व अजवायन के साथ सोने के पूर्व मुख में रखने व प्रयोग करने पर लाभ मिलता है।
  • मुंह में छाले होने पर पान के पत्ते में मुलेठी चूर्ण डालकर खाने से आराम मिलता है।

कहां से लिया जा सकता है पान की खेती का प्रशिक्षण

पान की खेती के लिए उत्तरप्रदेश का महोबा जिला काफी मशहूर है। पान की खेती को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 1980-81 में जनपद महोबा में एक मात्र पान एवं प्रशिक्षण केंद्र की स्थापना की गई थी जिसका मुख्य उद्देश्य पान की खेती की शस्य क्रियाओ, उचित जातियों का चुनाव, कीट व्याधियों के प्रबंधन पर प्रयोग संपादित कर उनसे प्राप्त संस्तुतियों को पान किसानों को अवगत कराना तथा पान की खेती से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर प्रशिक्षण प्रदान करना है। इसके अलावा प्रदेश में पान उत्पाद को प्रोत्साहन देने हेतु पान उत्पादक किसानों को आर्थिक एवं तकनीकी जानकारी प्रदान करना है। संस्थान की ओर से समय-समय पर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। किसान भाई इन कार्यक्रमों में भाग लेकर पान की खेती का प्रशिक्षण प्राप्त कर सकते हैं।

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