प्रकाशित - 13 Sep 2022
किसानों के लिए कई प्रकार की योजनाएं चलाई जा रही है। इन योजनाओं के तहत किसानों को सब्सिडी पर कृषि यंत्र उपलब्ध कराएं जाते हैं। इसी क्रम में पंजाब सरकार ने धान की फसल कटने के बाद बची पराली के प्रबंधन के लिए किसानों को 56,000 आधुनिक कृषि मशीनें वितरित करने का फैसला लिया है। बताया जा रहा है कि इन कृषि मशीनों में सुपर सीडर, हैप्पी सीडर, जीरो ड्रिल जैसी कृषि मशीनें शामिल होंगी। इससे किसानों को धान की पराली के प्रबंधन में आसानी होगी और साथ ही पराली जलाने से होने वाला प्रदूषण के स्तर में भी कमी आएगी।
इस संबंध में पंजाब के कृषि एवं कल्याण मंत्री कुलदीप सिंह धारीवाल ने कहा है कि राज्य सरकार आगामी धान की कटाई के सीजन में पराली यानि फसल अवशेष को जलाने से रोकने के लिए हर संभव कदम उठाएगी। पिछले दिनों लुधियाना में प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए मंत्री कुलदीप सिंह धारीवाल ने कहा कि कृषि विभाग की ओर से इस सीजन में पराली प्रबंधन के लिए 56,000 मशीनों का वितरण करेगा। राज्य के किसानों को कार्बन प्रबंधन के तहत कृषि मशीनों का वितरण किया जाएगा।
कृषि विभाग की ओर से फसल अवशेष प्रबंधन के लिए नई मशीनों का वितरण किया जाएगा। इसी के साथ अब तक पराली प्रबंधन के वितरित की गई मशीनों की कुल संख्या बढ़ जाएगी। बता दें कि 2018-2022 तक 90,422 मशीनें पहले ही किसानों को दी जा चुकी हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक धारीवाल ने इस वर्ष मशीन वितरण को लेकर कहा कि अब छोटे किसानों को सुपर सीडर, हैप्पी सीडर, जीरो ड्रिल जैसी मशीनें भी मिलेंगी क्योंकि ऐसे 500 उपकरण राज्य के 154 प्रखंडों में भेजे जाएंगे।
पंजाब में पराली प्रबंधन के लिए 15 सितंबर के बाद से जागरूकता अभियान चलाया जाएगा। इसके तहत कृषि मंत्री स्वयं सहित कृषि विभाग के निदेशक स्तर के अधिकारी और कर्मचारी तक खेतों में जाकर किसानों को पराली जलाने के प्रति जागरूक करेंगे। इसके लिए वे घर-घर जाकर दौरा करेंगे। मंत्री ने कहा कि आने वाले दिनों में पंजाब के ग्रामीण इलाकों में बड़े पैमाने पर जागरूकता अभियान चलाया जाएगा, जिसमें ग्रामीण विकास और पंचायत के अधिकारी, पर्यावरण विभाग, गैर सरकारी संगठन और स्कूलों और कॉलेजों के छात्र शामिल होंगे ताकि किसानों को पराली प्रबंधन के लिए मशीनों के उपयोग को लेकर प्रोत्साहित किया जा सके। पराली के बेहतर प्रबंधन में इन मशीनों का इस्तेमाल हो, इसके लिए किसानों को जागरूक किया जाएगा।
पराली नहीं जलाने वाले किसानोंं को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से पंजाब और दिल्ली सरकार ने यहां के किसानों को 2500 रुपए प्रति एकड़ राशि बतौर मुआवजा राशि देने का प्रस्ताव केंद्र सरकार के समक्ष रखा था। जिसमें सुझाव दिया गया था कि केंद्र 1500 रुपए प्रति एकड़ की सहायता दें और शेष 1000 रुपए पंजाब और दिल्ली सरकार वहन करेंगे। इसमें 500 रुपए पंजाब सरकार और 500 रुपए दिल्ली सरकार द्वारा वहन करने की बात रखी गई थी। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि केंद्र सरकार ने पराली न जलाने के बदले में पैसे देने की राज्य सरकार की पेशकश को ठुकरा दिया है। बता दें कि पंजाब और हरियाणा में किसानों द्वारा धान की पराली जलाने से राष्ट्रीय राजधानी में अक्टूबर और नवंबर में वायु प्रदूषण के स्तर में बढ़ोतरी हो जाती है जिससे लोगों को सांस संबंधी तकलीफों से गुजरना पड़ता है।
खरीफ की प्रमुख फसल धान की पराली जलाने के पीछे पंजाब और हरियाणा के किसानों की अपनी मजबूरी हैं। धान के बाद यहां के किसान खेत में गेंहू और आलू की फसल बोते हैं। इसके लिए खेत को जल्दी खाली करने की जल्दी में किसान पराली को खेतों में ही आग लगाकर जला देते हैं। आंकड़ों के अनुसार, पंजाब में हर साल करीब 20 मिलियन टन धान की पराली पैदा होती है।
पंजाब के मुख्यमंत्री मान ने कहा कि पंजाब में करीब 75 लाख एकड़ में धान की बुवाई की जाती है। वहीं 37 लाख एकड़ क्षेत्र में किसान फसल अवशेष प्रबंधन मशीनों या अन्य उपायों के जरिये पराली का प्रबंधन करते हैं। शेष 38 लाख एकड़ के लिए सरकार बड़े पैमाने पर मशीनों की व्यवस्था कर रही है। उन्होंने कहा कि इस सीजन में पराली प्रबंधन के लिए एक लाख से अधिक फसल अवशेष प्रबंधन मशीनें उपलब्ध कराई जाएंगी।
बता दें कि पराली प्रबंधन की सब्सिडी वाली मशीनों की आपूर्ति के लिए केंद्र राज्य को पैसा देता है। ये राशि धान की पराली योजना के इन-सीटू प्रबंधन के तहत राज्य को दी जाती है। पराली प्रबंधन की कृषि मशीनों के लिए केंद्र द्वारा पिछले चार साल में 1145 करोड़ रुपए की सब्सिडी दी गई है। पंजाब में किसानों को कम से कम 90000 मशीनों की आपूर्ति की गई है।
पराली प्रबंधन की मशीनों की सब्सिडी में हेराफेरी मामला सामने आने के बाद पंजाब सरकार ने कृषि यंत्रों पर दी जाने वाली सब्सिडी की राशि को सीधे किसानों के खाते में ट्रांसफर करने का फैसला किया है। साथ ही किसान समूहों को सब्सिडी की सूची से बाहर कर दिया है। राज्य के कृषि विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मशीनों की आपूर्ति के लिए ग्रामीण स्तर की कृषि सहकारी समितियां सर्वोच्च प्राथमिकता होंगी। धान फसल की पराली प्रबंधन के लिए विभाग की ओर से एक व्यक्तिगत किसान को एकल मशीन पर 50 प्रतिशत की सब्सिडी दी जा रही है। वहीं ग्राम स्तर की कृषि सहकारी समितियों और ग्राम पंचायतों द्वारा संचालित कस्टम-हायरिंग केंद्रों को प्रति मशीन 80 प्रतिशत की सब्सिडी दी जाती है। पिछले वर्षों में सब्सिडी के वितरण में अनियमितता के कारण इस बार किसानों के समूहों को लाभार्थियों की सूची से बाहर कर दिया गया है।
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