प्रकाशित - 30 Jun 2023
मानसून की दस्तक के साथ ही खरीफ फसलों की बुवाई का काम भी शुरू हो गया है। किसान अपने खेत में फसलों की बुवाई के काम में लगे हुए हैं। वहीं अति वर्षा के कारण फसल को नुकसान से बचाना भी किसानों के लिए जरूरी हो जाता है। ऐसे में खेत में बारिश का पानी जमा न हो इसका भी प्रबंध भी किया जाना जरूरी है। किसानों के खेतों में बरसात का पानी अधिक इक्ट्ठा होने की समस्या को दूर करने के लिए सरकार ने किसानों के लिए एक बहुत ही अच्छी योजना शुरू की है। इस योजना का नाम वाटर रिचार्ज बोरवेल योजना (Water Recharge Borewell Yojana) है।
इस योजना के तहत किसानों के खेतों में मुफ्त में वाटर रिचार्ज बोरवेल लगाए जाएंगे। इससे बरसात का पानी इन वाटर रिचार्ज बोरवेल में इक्ट्ठा होगा जिससे खेत में अधिक पानी भरने की समस्या से छुटकारा तो मिलेगा ही साथ ही भूमि का जल स्तर भी बढ़ेगा। इस योजना के तहत सरकार प्रदेश के किसानों के खेतों में वाटर रिचार्ज बोलवेल लगाने की योजना लेकर आई है। खास बात यह है कि इस तरह के वाटर रिचार्ज बोरवेल लगाने के लिए सरकार की ओर से किसानों से एक भी पैसा नहीं लिया जाएगा। यह वाटर रिचार्ज बोरवेल सरकार की ओर से बिलकुल मुफ्त में लगाए जाएंगे।
आज हम ट्रैक्टर जंक्शन के माध्यम से सरकार की वाटर रिचार्ज बोरवेल योजना (Water Recharge Borewell Yojana) के बारे में जानकारी दे रहे हैं, ताकि आपको इसका लाभ प्राप्त करने में आसानी रहे।
दरअसल प्रदेश में गिरते जल स्तर को बढ़ाने और अधिक बरसात होने पर किसानों के खेतों में पानी के भराव की समस्या को दूर करने के लिए वाटर रिचार्ज बोरवेल योजना (Water Recharge Borewell Yojana) शुरू की गई है। इस योजना के तहत राज्य सरकार की ओर से किसानों के खेतों में वाटर रिचार्ज बोरवेल लगाने का काम किया जा रहा है। इस योजना के तहत किसान अपने खेत में वाटर रिचार्ज बोरवेल लगवा सकते हैं, वह भी मुफ्त में, क्योंकि इस योजना के तहत वाटर रिचार्ज बोरवेल लगाने के लिए प्रदेश सरकार किसान से एक भी पैसा नहीं लेगी। यह सरकारी खर्च पर लगाए जाएंगे। इस योजना का लाभ सिर्फ हरियाणा राज्य के किसानों को ही मिल पाएगा।
हर साल किसानों को बारिश से काफी नुकसान उठाना पड़ता है। खेत में पानी जमा हो जाने पर फसल गलने लगती है और नष्ट हो जाती है। वहीं सरकार की ओर से किसानों को फसल नुकसान की भरपाई के लिए करोड़ों रुपए का मुआवजा देना पड़ता है। ऐसे में हरियाणा सरकार ने इस दोनों समस्याओं के समाधान के लिए वाटर रिचार्ज बोरवेल योजना शुरू की है जिससे किसानों के खेतों में जल भराव की समस्या तो कम होगी ही साथ ही सरकार की ओर से फसल नुकसान मुआवजा देने में जो पैसा खर्च होता है उसमें भी बचत होगी। इस तरह सरकारी खजाने में आने वाला अतिरिक्त बोझ कम होगा।
गिरते भूजल-स्तर को सुधारने के लिए अटल भूजल विभाग लगातार काम कर रहा है। इसी क्रम में कैथल जिले के 200 से अधिक खेतों में विभाग की तरफ से वाटर रिचार्ज बोरवेल लगाए जाएंगे। जिसके लिए तैयारियां पूरी कर ली गई है। विभाग ने टेंडर प्रोसेस भी पूरी कर ली है। वाटर रिचार्ज बोरवेल अपने खेतों में लगवाने के लिए किसान विभाग के पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। इसके लिए हरियाणा सिंचाई विभाग की आधिकारिक वेबसाइट https://hid.gov.in/ पर जाकर आवेदन किया जा सकता है।
खेत में बोरवेल लगवाने के इच्छुक किसान को इसके लिए ऑनलाइन आवेदन करना होगा। आवेदन के लिए किसान को एप्लीकेशन फॉर्म के साथ एक शपथ पत्र देना होगा। इसमें किसान को अपने खेत की जमीन का पूरा विवरण व खेत में जल भराव की समस्या को विस्तार से बताना होगा। इसमें किसान अपना स्थाई पता सहित अन्य जानकारी अपलोड करेंगे। किसान को खेत की लोकेशन भी बतानी होगी ताकि विभाग के अधिकारी वहां आकर लोकेशन चेक कर सकें।
वाटर रिचार्ज बोरवेल योजना में आवेदन करने के बाद सिंचाई विभाग के अधिकारी किसान के खेत पर विजिट करेंगे। यदि सब कुछ अनुकूल मिलता है तो बोरवेल लगा दिया जाएगा। एक बोरवेल लगाने के लिए सिंचाई विभाग की ओर से 4 लाख रुपए की राशि खर्च की जाएगी। बता दें कि सिंचाई विभाग की ओर से स्कीम फॉर इंप्रूवमेंट ऑफ ग्राउंड लेवल बाई रिचार्ज बोरवेल योजना के तहत बोरवेल लगाने का काम किया जा रहा है।
कैसे लगाया जाएगा खेत में बोरवेल
सिंचाई विभाग की ओर से बोरवेल को 90 से 110 फीट पर रेतीली जमीन तक लगाया जाएगा ताकि बारिश का पानी छन कर भू-जल तक जाए। सामान्यत: वाटर रिचार्ज बोरवेल के खड्डे का आकार 20X20 साइज का रहता है। इसमें पानी भरने के लिए सीमेंट की एक आयताकार नाली बनाई जाती है, जो बीच के मुख्य खड्डे से जुड़ी होती हे और इसी जगह पर पानी जमा होता है। यहीं जमा पानी भूमि के जलस्तर को बढ़ाने में सहायक होता है। यह बोरवेल सरकार की ओर से मुफ्त में लगाए जाएंगे लेकिन बोरवेल लगने के बाद इसकी मेंटेनेंस काम किसान को खुद करना होगा। बोरवेल रिचार्ज योजना की अधिक जानकारी के लिए किसान अपने जिले के सिंचाई विभाग से संपर्क कर सकते हैं।
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