हरी खाद को बढ़ावा देने के लिए सरकार दे रही है 80 प्रतिशत सब्सिडी

Share Product Published - 31 Mar 2022 by Tractor Junction

हरी खाद को बढ़ावा देने के लिए सरकार दे रही है 80 प्रतिशत सब्सिडी

जानें, क्या है राज्य सरकार की योजना और इससे कैसे मिलेगा लाभ

रासायनिक खाद और उर्वरकों के लगातार प्रयोग से भूमि की उर्वराशक्ति कम होती जा रही है। आज देश की काफी भूमि बंजर हो चुकी है। ऐसी भूमि में फसल उगाना संभव नहीं है। बिहार में कई किसानों की भूमि परती हो चुकी है। ऐसे हालातों में आज भूमि की उर्वरकता बनाए रखने के प्रयास किए जाने बेहद जरूरी हो गए हैं। अभी बीते दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के किसानों को जैविक खेती की तकनीक को अपनाने पर जोर दिया था और इसके लाभ भी बताए थे। इसके बाद राज्य सरकारें भी जैविक खेती के लिए किसानों को प्रोत्साहित कर रही हैं। इसी क्रम में हरियाणा सरकार की ओर से राज्य में हरी खाद के उत्पादन को प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसके लिए सरकार की ओर से किसानों को 80 प्रतिशत तक सब्सिडी दी जा रही है।

क्या होती है हरी खाद

कृषि में हरी खाद उस सहायक फसल को कहते हैं जिसकी खेती मुख्यत: भूमि में पोषक तत्वों को बढ़ाने तथा उसमें जैविक पदाथों की पूर्ति करने के उद्देश्य से की जाती है। प्राय: इस तरह की फसल को इसके हरी स्थिति में ही हल चलाकर मिट्टी में मिला दिया जाता है। जब बिना गले-सड़े हरे पौधे (दलहनी एवं अन्य फसलों अथवा उनके भाग) को जब मृदा की नत्रजन या जीवांश की मात्रा बढ़ाने के लिए खेत में दबाया जाता है तो इस क्रिया को हरी खाद देना कहते हैं। हरी खाद के उपयोग से न सिर्फ नत्रजन भूमि में उपलब्ध होता है बल्कि मृदा की भौतिक, रासायनिक एवं जैविक दशा में भी सुधार होता है।

हरी खाद के उत्पादन से होने वाले लाभ

  • हरी खाद में नत्रजन व कार्बनिक पदार्थों होते है जो भूमि के लिए जरूरी हैं। इसके अलावा इससे मिट्टी में कई अन्य आवश्यक पोषक तत्व भी प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होते हैं।
  • हरी खाद के प्रयोग से खेत की मिट्टी भुरभुरी होती है। इसकी वायु संचार और जल धारण क्षमता में बढ़ोतरी होती है। इतना ही नहीं भूमि की अम्लीयता/क्षारीयता में सुधार होने के साथ ही मृदा क्षरण में भी कमी आती है।
  • हरी खाद के प्रयोग से मिट्टी में सूक्ष्मजीवों की संख्या एवं क्रियाशीलता बढ़ती है तथा भूमि की उर्वरा शक्ति एवं उत्पादन क्षमता भी बढ़ोतरी होती है।
  • हरी खाद के प्रयोग से मृदाजनित रोगों में भी कमी आती है।
  • इसके प्रयोग से रसायनिक उर्वरकों में कमी करके भी टिकाऊ खेती की जा सकती है।

कौनसी है हरी खाद वाली फसलें

हरी खाद के लिए दलहनी फसलों में सनैइ (सनहेम्प), ढैंचा, लोबिया, उड़द, मूंग, ग्वार आदि फसलों का उपयोग किया जा सकता है। इन फसलों कम समय में शीघ्र बढ़वार होती है। इनकी पत्तियां बड़ी वजनदार एवं बहुत संख्या में रहती है, एवं इनकी उर्वरक तथा जल की आवश्यकता कम होती है, जिससे कम लागत में अधिक कार्बनिक पदार्थ प्राप्त हो जाता है। दलहनी फसलों में जड़ों में नाइट्रोजन को वातावरण से मृदा में स्थिर करने वाले जीवाणु पाए जाते हैं जो भूमि के लिए लाभकारी होते हैं।

ढेंचा की खेती के लिए राज्य सरकार से मिलेगी 80 प्रतिशत सब्सिडी

हरियाणा सरकार की ओर से इस वर्ष राज्य के किसानों को 80 प्रतिशत की सब्सिडी पर ढैचा के बीज उपलब्ध कराए जा रहे है। ढैंचा बीज की लागत मूल्य 60 रुपए प्रति किलो है, इस पर अधिकतम 48 रुपए की सब्सिडी सरकार द्वारा एवं शेष हिस्सा जो 12 रुपए है किसानों को देना होगा। अर्थात् एक एकड़ के लिए किसानों को 12 किलोग्राम जिसका अनुमानित मूल्य 720 रुपए में से 120 रुपए ही किसान को देना होगा।

किसानों को कितना बीज किया जाएगा वितरण

हरियाणा सरकार की ओर से राज्य में हरी खाद के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए ढैंचा के बीज किसानों को अनुदान पर उपलब्ध कराए जा रहे हैं। ढैंचा का उपयोग किसान पशुओं के चारा तथा हरी खाद बनाने के लिए कर सकते हैं। हरियाणा सरकार ने खरीफ-2022 के दौरान हरी खाद को बढ़ावा देने के लिए ढैंचा बीज वितरण करने का निर्णय लिया है। इसके लिए 35,000 क्विंटल ढैचा बीज वितरण का लक्ष्य रखा गया है। इस योजना को लागू करने के लिए राज्य सरकार ने 16.80 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है।

किसानों को प्रति एकड़ कितना दिया जाएगा बीज

हरियाणा सरकार की ओर से इस सीजन में किसानों को 35,000 क्विंटल ढैंचा के बीज उपलब्ध कराया जाएगा। यह बीज प्रति एकड़ 12 किलोग्राम के हिसाब से किसानों को दिए जाएंगे। इस योजना के तहत एक किसान को अधिकतम 120 किलोग्राम बीज दिया जाएगा, यानि एक किसान 10 एकड़ का बीज अनुदान पर प्राप्त कर सकता है।

अनुदान पर बीज लेने के लिए कहां करें आवेदन

राज्य के किसानों को अनुदान पर ढैंचा बीज प्राप्त करने के लिए मेरी फसल-मेरा ब्यौरा पोर्टल  पर ऑनलाइन आवेदन करना होगा। किसान अनुदान पर बीज लेने के लिए 4 अप्रैल तक आवेदन कर सकते हैं। बता दें कि पहले इस योजना के लिए आवेदन की अंतिम तारीख 25 मार्च 2022 तक थी। जिसे अब बढ़ा दिया गया है। किसान आवेदन के बाद बीज हरियाणा बीज विकास निगम के सभी केन्द्रों से प्राप्त कर सकते हैं। किसान को मेरी फसल-मेरा ब्यौरा पोर्टल पर आवेदन के बाद पंजीयन रसीद के साथ आधार कार्ड, वोटर कार्ड, किसान क्रेडिट कार्ड की कॉपी हरियाणा बीज विकास निगम के बिक्री केंद्र पर जमा करवानी होगी। 

योजना के संबंध में अधिक जानकारी के लिए कहां करें संपर्क

योजना के संबंध में अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए किसान अपने क्षेत्र से संबंधित उपमंडल कृषि एवं किसान कल्याण कार्यालय से संपर्क कर सकते हैं। इसके अलावा इसके टोल फ्री नंबर 1800-180-2117 पर संपर्क करके भी इस बारें में जानकारी ली जा सकती है।  

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