Published - 08 Oct 2020
केंद्र सरकार ने किसानों के लाभार्थ कई योजनाएं संचालित की जा रही है। इसी प्रकार राज्य सरकारें भी अपने प्रदेश के किसानों के हित में कई लाभकारी योजनाओं को शुरू किया है। इसी क्रम में छत्तीसगढ़ सरकार की गोधन न्याय योजना है जिससे गोपालकों को फायदा हो रहा है। इस योजना के तहत राज्य सरकार की ओर से गोपालकों से गोबर की खरीद की जाती है ताकि उनकी आमदनी बढ़ सके और गोबर का उपयोग वर्मी कम्पोस्ट खाद बनाने के लिए हो सके। इस दिशा में छत्तीसगढ़ राज्य की सरकार ने अब तक गोपालकों को गोबर खरीद की चार किस्तों का भुगतान उनके खातों कर चुकी है। हाल ही में इसी कड़ी में पांचवी किस्त का भुगतान गोपालकों को किया गया है। छत्तीसगढ़ राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पशुपालकों को गोबर खरीदी की पांचवी किश्त का भुगतान किया। इसके अलावा मुख्यमंत्री ने गोधन वर्मी कम्पोस्ट नाम का ऐप भी लांच किया।
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मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 6 अक्टूबर को अपने निवास कार्यालय से कम्प्यूटर पर बटन दबाकर गोधन न्याय योजना के तहत प्रदेश के 88 हजार 810 गोपालकों एवं गोबर विक्रताओं को पांचवी किश्त के रूप में 8 करोड 56 लाख रुपए की राशि का ऑनलाइन भुगतान सीधे संबंधितों के खातों में किया। 20 जुलाई हरेली पर्व से प्रारंभ हुई गोधन न्याय योजना के अंतर्गत अब तक गोपालकों एवं गोबर विक्रेताओं को 29 करोड़ 28 लाख रुपए की राशि का भुगतान किया जा चुका है।
कृषि उत्पादन आयुक्त डॉ. एम. गीता ने मीडिया को बताया कि प्रदेश के कुल 5454 गौठानों में से 3247 गौठान वर्तमान में क्रियाशील है। इनमें से 3078 गौठान ग्रामीण क्षेत्रों में और 169 गौठान शहरी क्षेत्रों में है। उन्होंने बताया कि प्रदेश के 7 लाख 17 हजार 394 पशुपालकों में से गौठानों में एक लाख 84 हजार 899 पशुपालक पंजीकृत है। इनमें से 88 हजार 810 पशुपालकों और गोबर विक्रेताओं से अब तक 14 लाख 64 हजार 477 क्विंटल गोबर की खरीदी की गई है। गौठानों में प्रतिदिन लगभग 27 हजार 152 क्विंटल गोबर की खरीदी की जा रही है। योजना से लाभान्वित हो रहे पशुपालकों में से हर पशुपालक से औसतन 4.59 क्विंटल गोबर क्रय किया जा रहा है। सक्रिय गौठानों में प्रति गौठान लगभग 125.43 क्विंटल गोबर की खरीदी की जा रही हैं। लाभान्वित होने वाले पशुपालकों और गोबर विक्रेताओं में लगभग 40 प्रतिशत भूमिहिन श्रेणी के है।
मुख्यमंत्री ने बघेल ने इस अवसर पर गौठानों में तैयार की गई वर्मी कम्पोस्ट पर ‘गोधन वर्मी कम्पोस्ट‘ के नाम से एक ऐप लॉन्च किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि गौठानों में तैयार वर्मी कम्पोस्ट के पैकेजिंग का कार्य हर जिले में महिला स्व-सहायता समूहों को सौंपा जाए। ये महिला स्व-सहायता समूह पैकेजिंग बैग में प्रिन्टिंग का कार्य करेंगे। उन्होंने कहा कि वर्मी कम्पोस्ट की पैकेजिंग में यह ध्यान रखा जाए कि वर्मी कम्पोस्ट के बैग खरीदी करने वालों के लिए हैंडलिंग की दृष्टि से सुविधाजनक हो और वर्मी कम्पोस्ट में लंबे समय तक नमी बनी रहे।
गोबर विके्रताओं द्वारा बेचे गए गोबर का खरीदी विक्रय का विवरण रखने के लिए ही इस एप को खासतौर पर तैयार किया गया। इसके जरिए पंजीकृत लाभार्थी अपने सभी तरह के विवरण इस ऐप के जरिए देख सकेंगे। इस ऐप की सहायता से पंजीकृत हितग्राही अपने पंजीयन की जानकारी जैसे व्यक्तिगत विवरण, बैंक विवरण और संबंधित गौठान का नाम देख पाएंगे। इसमें हितग्राही द्वारा बेचे गए गोबर की तिथिवार जानकारी और विक्रय से प्राप्त राशि को जानकारी आसानी से मिल जाएगी।
वर्मी कम्पोस्ट एप के संबंध में खास जानकारी को लेकर नोडल अधिकारियों को किसानों को प्रशिक्षण देने की बात कही गई है। वहीं मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम में कहा कि गोधन न्याय योजना के संबंध में यदि किसान को कही पर भी कोई कठिनाई आती है तो जिलास्तरीय अधिकारी या फिर चिप्स के हेल्पलाइन नंबर पर कॉल करके अपनी समस्या का समाधान कर सकते हैं।
रायपुर क्षेत्र की पशुपालक कविता के अनुसार गोधन योजना के तहत वह अब तक 35 क्विंटल गोबर बेच चुकी है, जिससे उन्हें 7000 रुपए तक का लाभ मिल चुका है। यह योजना पशुपालकों के लिए बहुत अच्छी है। साथ ही इससे जैविक खेती करने के लिए भी रास्ता मिलेगा। इसके अलावा ग्रामीणों को वर्मी कंपोस्ट से भी काफी आय हो सकेगी। इस दौरान कार्यक्रम में उपस्थित एक गांव के सरपंच ने बताया कि यहां के गौठानों में गोबर खरीदी बहुत अच्छी हो रही है। गोधन योजना से किसानों को काफी लाभ हो रहा है जिससे वे बेहद खुश हैं। इतना ही नहीं अब इसके दूसरे चरण में वर्मी कंपोस्ट से भी आय होगी। इसके अलावा मुख्यमंत्री ने उप सरपंच पुरुषोत्तम यादव से गांव के चारागाह बाड़ी के बारे में जानकारी ली। इस पर पुरुषोत्तम यादव ने बताया कि नरवा गरवा घुरवा बाड़ी योजना के तहतहम लोग अपने गांव को संवार रहे हैं।
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