Published - 04 Oct 2021 by Tractor Junction
देश में किसानों के हित में कई योजनाओं का संचालन किया जा रहा है। इसमें केंद्र राज्य सरकारें अपने-अपने स्तर पर किसानों के लिए योजनाएं चला रहीं हैं। इन योजनाओं का लाभ किसानों को मिल रहा है। इसी क्रम में छत्तीसगढ़ राज्य में किसानों के लिए राजीव गांधी किसान न्याय योजना का चलाई जा रही है।
इस योजना के माध्यम से किसानों को लाभ पहुंचाया जा रहा है। इस योजना के तहत किसानों और पशुपालकों से गोबर की खरीद की जाती है और उससे वर्मी कम्पोस्ट खाद तैयार किया जाता है। इस तरह कम खर्च में खाद का निर्माण कर किसानों को जैविक खाद उपलब्ध कराई जाती है। अब गोबर से बिजली बनाने को लेकर राज्य की सरकार युद्ध स्तर पर काम करना चाहती है ताकि गोबर का उपयोग बिजली बनाने में हो सके ताकि किसानों को सस्ती बिजली मिल सके। जानकारी के अनुसार ऐसा पहली बार होगा जब गोबर से बिजली बनाई जाएगी। इसका उपयोग विभिन्न प्रकार के बिजली उपकरणों को चलाया जाएगा। सबसे बड़ी बात ये हैं कि ये काम एक राज्य सरकार कर रही है।
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मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार अभी छत्तीसगढ़ सरकार गोधन न्याय योजना के तहत गोठानों के जरिये किसानों और पशुपालकों से गोबर खरीद कर वर्मी कम्पोस्ट, सुपर कम्पोस्ट खाद पहले से बना रही है। अब उसी गोबर से बिजली तैयार करने की शुरुआत भी 2 अक्टूबर से की जा चुकी है। गौठानों में स्थापित रूरल इंडस्ट्रियल पार्क में विभिन्न प्रकार के उत्पादों को तैयार करने के लिए लगी मशीनें भी गोबर की बिजली से चलेंगी।
गोबर से बिजली उत्पादन का हुआ शुभारंभ मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने 2 अक्टूबर के दिन बेमेतरा जिला मुख्यालय के बेसिक स्कूल ग्राउंड में आयोजित किसान सम्मेलन के दौरान छत्तीसगढ़ राज्य के गौठानों में गोबर से बिजली उत्पादन की परियोजना का वर्चुअल शुभारंभ किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि एक समय था जब विद्युत उत्पादन का काम सरकार और बड़े उद्योगपति किया करते थे। अब हमारे राज्य में गांव के ग्रामीण टेटकू, बैशाखू, सुखमती, सुकवारा भी बिजली बनाएंगे और बेचेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि गोबर खरीदी का मजाक उड़ाने वाले लोग अब इसकी महत्ता को देख लें।
छत्तीसगढ़ सरकार के अनुसार एक यूनिट से 85 क्यूबिक घनमीटर गैस बनेगी। चूंकि एक क्यूबिक घन मीटर से 1.8 किलोवाट विद्युत का उत्पादन होता है। इससे एक यूनिट में 153 किलोवाट विद्युत का उत्पादन होगा। इस प्रकार उक्त तीनों गौठानों में स्थापित बायो गैस जेनसेट इकाईयों से लगभग 460 किलोवाट विद्युत का उत्पादन होगा, जिससे गौठानों में प्रकाश व्यवस्था के साथ-साथ वहां स्थापित मशीनों का संचालन हो सकेगा।
इस यूनिट से बिजली उत्पादन के बाद शेष स्लरी के पानी का उपयोग बाड़ी और चारागाह में सिंचाई के लिए होगा तथा बाकी अवशेष से जैविक खाद तैयार होगी। इस तरह से देखा जाए तो गोबर से पहले विद्युत उत्पादन और उसके बाद शत-प्रतिशत मात्रा में जैविक खाद प्राप्त होगी। इससे गौठान समितियों और महिला समूहों को दोहरा लाभ मिलेगा।
छत्तीसगढ़ सरकार की सुराजी गांव योजना के तहत गांवों में पशुधन के संरक्षण और संवर्धन के उद्देश्य से 10 हजार 112 गौठानों के निर्माण की स्वीकृति दी जा चुकी है। जिसमें से 6,112 गौठान पूर्ण रूप से निर्मित एवं संचालित है। गौठानों में अब तक 51 लाख क्विंटल से अधिक गोबर की खरीद की जा चुकी है और किसानों को इसकी एवज में 102 करोड़ रुपए का भुगतान किया भी किया जा चुका है। वहीं गोबर गौठानों में अब तक 12 लाख क्विंटल से अधिक वर्मी कम्पोस्ट, सुपर कम्पोस्ट खाद का उत्पादन एवं विक्रय किया जा चुका है। गोधन न्याय योजना के तहत 2 रुपए प्रति किलोग्राम की दर से ग्रामीणों, किसानों और पशुपालकों से गोबर की खरीद की जा रही है। वहीं गोठानों में उत्पादित वर्मी कम्पोस्ट किसानों को 10 रुपए प्रति किलो के दर से किसानों को बेची जाती है।
छतीसगढ़ राज्य की भूपेश बघेल सरकार ने जुलाई 2020 में गोधन न्याय योजना (Godhan Nyay Yojana) की शुरुआत की गई थी। गोधन न्याय योजना छत्तीसगढ़ में किसानों के बीच बहुत लोकप्रिय हो रही है। छत्तीसगढ़ गोधन न्याय ऑनलाइन आवेदन करके किसान योजना का लाभ उठा सकते हैं। गोधन न्याय योजना का पंजीयन फार्म किसान संबंधित वेबसाइट पर सर्च कर सकते हैं। गोधन न्याय योजना एप/गोधन न्याय योजना Application डाउनलोड के लिए यहां क्लिक करें।
कैसे बनती है गोबर से बिजली/गोबर से बिजली बनाने की प्रक्रिया
गोबर से बिजली बनाने के लिए सबसे पहले गोबर गैस संयंत्र की आवश्यकता होती है। इस संयंत्र को 50 हजार से लेकर 2 लाख रुपए तक के खर्चे पर बनवाया जा सकता है। ये इसके साइज पर निर्भर है कि आप छोटा गोबर गैस संयंत्र बनवाना चाहते हैं या बड़ा। गोबर से बिजली बनाने की प्रक्रिया में सबसे पहले गोबर को ट्रैकर में भरकर उसका वजन किया जाता है इसके बाद गोबर को सैलरी बनाने वाली ट्रैक में डाला जाता हैं। सैलरी ट्रैंक में गोबर के साथ ही पानी को भी उचित मात्रा मिलाया जाता है इसे पतला घोल तैयार किया जाता है। अब इस पतले घोल को मोटर पंप के माध्यम से डाइजेस्टर ट्रैंक में भेजा जाता है।
डाइजेस्टर ट्रैंक पूरी तरह से कवर्ड होता हैं जिसके अंदर गोबर गैस बनना शुरू हो जाता हैं। डाइजेस्टर ट्रैंक में बने गोबर गैस को पंप के माध्यम से बायोगैस स्टोरेज में एकत्र किया जाता हैं, इस प्रकार गोबर से हमें गोबर गैस हमें प्राप्त होती हैं। डाइजेस्टर ट्रैंक से गोबर गैस पाइप लाइनों के माध्यम से प्यूरिफिकेशन सिस्टम में रॉ मैटेरियल के रूप में आता हैं, यह प्यूरिफिकेशन सिस्टम पूरी तरह से कार्बन डाइऑक्साइड बेस पर कार्य करता हैं गोबर गैस में से कार्बन डाइऑक्साइड गैस को अलग कर दिया जाता हैं।
मीथेन गैस कम्प्रेशर के मदद के उसे कम्प्रेस कर सिलिंडर में भर कर सप्लाई किया जाता है। यह कम्प्रेस हुई गैस को सीएनजी के नाम से भी जाना जाता है। वहीं गोबर गैस प्लांट से निकाले गए प्राथमिक स्टेज के गैस से बिजली तैयार कि जाती हैं गोबर गैस से बिजली तैयार करने के लिए एक जनरेटर की आवश्यकता होती हैं। जनरेटर में लगे गैस किट से गोबर गैस को गुजरकर जनरेटर से बिजली उत्पन्न की जाती हैं।
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