Published - 12 Mar 2021
छत्तीसगढ़ सरकार की गोधन न्याय योजना किसानों की आय बढ़ाने में काफी हद तक कारगर साबित हो सकती है। इसे पूरे देश में लागू किया जाना चाहिए। यह बात हाल ही में लोकसभा में कृषि मामलों की स्थायी समिति ने सदन में प्रस्तुत अपनी रिपोर्ट में कही है। समिति ने अपनी रिपोर्ट में गोधन न्याय योजना की तारीफ करते हुए इस योजना पर केंद्र सरकार को सुझाव दिया है कि किसानों से मवेशियों के गोबर खरीद की ऐसी ही योजना पूरे देश में शुरू की जानी चाहिए। पर्वतागौड़ा चंदनगौड़ा गद्दीगौडर की अध्यक्षता वाली लोकसभा की कृषि मामलों की स्थायी समिति ने केंद्र सरकार को इस संदर्भ में पूरी रिपोर्ट सौंपी है। मीडिया में प्रकाशित खबरों के हवाले से समिति ने अपने सुझाव में कहा है कि किसानों से उनके मवेशियों का गोबर खरीदने से उनकी आय में बढ़ोत्तरी होने के साथ ही उनके लिए रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। वहीं क्षेत्र में जैविक खेती को प्रोत्साहन मिलेगा।
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किसानों की आय बढ़ाने के उद्देश्य से छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 20 जुलाई 2020 से राज्य में गोधन न्याय योजना लागू की थी। इसके योजना के तहत पशुपालकों से गोबर की खरीद की जाती है और इस गोबर से गौठानों में वर्मी कंपोस्ट का निर्माण किया जाता है। छत्तीसगढ़ में गोधन न्याय योजना का संचालन सुराजी गांव योजना के तहत गांव-गांव में निर्मित गौठानों के माध्यम से किया जा रहा है। इन्हीं गोठानों में गोधन न्याय योजना के तहत वर्मी कंपोस्ट टांकों का निर्माण किया गया है, जिनमें स्व सहायता समूहों की महिलाएं जैविक खाद का निर्माण कर रही हैं।
इस योजना के तहत पशुपालकों से 2 रुपए प्रति किलो की दर से गोबर की खरीद की जाती है। और इसके बाद इस गोबर से वर्मीकंपोस्ट तैयार कर किसानों को 8 रुपए प्रति किलो की दर से बेचा जा रहा है। इससे एक ओर गोबर के विक्रय से किसानों को पैसा मिल रहा है वहीं दूसरी ओर किसानों को खेत के लिए सस्ता खाद प्राप्त हो रहा है। इससे जिले में जैविक खेती को बढ़ावा मिला है। वहीं दूसरी ओर पहले पशुपालक गायों को खुला छोड़ देते थे लेकिन अब ऐसा नहीं करते हैं। इससे राज्य में काफी हद तक छूटा पशुओं की समस्या को हल करने में मदद मिली है। वहीं पशुपालकों की रुचि भी गोबर को बेचने में बढ़ी है जिससे इन पशुओं की सही से देखभाल भी संभव हो पा रही है।
छत्तीसगढ़ राज्य में संचालित गोधन न्याय योजना की प्रगति वाकई तारीफे काबिल है। इस योजना के लागू होने से पशुपालक व किसानों की आय में इजाफा हुआ है। उन्हें एक अतिरिक्त आय का स्त्रोत मिला है। वहीं वर्मीकंपोस्ट तैयार करने के काम से यहां के अवसर बढ़े हैं। योजना की अब तक प्रगति को निम्नलिखित बिंदुओं से समझा जा सकता है-
केंचुआ खाद या वर्मीकम्पोस्ट पोषण पदार्थों से भरपूर एक उत्तम जैव उर्वरक है। यह केंचुआ आदि कीड़ों के द्वारा वनस्पतियों एवं भोजन के कचरे, गोबर आदि को विघटित करके बनाई जाती है। वर्मी कम्पोस्ट डेढ़ से दो माह के अंदर तैयार हो जाता है। इसमें 2.5 से 3 प्रतिशत नाइट्रोजन, 1.5 से 2 प्रतिशत सल्फर तथा 1.5 से 2 प्रतिशत पोटाश पाया जाता है। इस खाद को तैयार करने में प्रक्रिया स्थापित हो जाने के बाद एक से डेढ़ माह का समय लगता है। प्रत्येक माह एक टन खाद प्राप्त करने हेतु 100 वर्गफुट आकार की नर्सरी बेड पर्याप्त होती है।
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