Published - 16 Nov 2021
देश भर में दूध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए सरकार की ओर से कई योजनाएं चलाई जा रही है। इसके माध्यम से सरकार की ओर से पशुपालकों को सहायता प्रदान की जाती है। जो लोग आर्थिक दृष्टि से कमजोर हैं और गाय, भैंस पालन नहीं कर सकते हैं। उनके लिए बकरी पालन बहुत ही सस्ता और लाभ देने वाला बिजनेस है। आजकल तो इसके दूध की मांग काफी बढ़ती जा रही है। डेंगू या वाइरल होने पर डॉक्टर भी बकरी का दूध पीने की सलाह देते हैं, क्योंकि बकरी का दूध पोष्टिकता से भरपूर होता है और हल्का, सुपाच्य होता है। ऐसा माना जाता है कि बकरी का दूध पीने से इम्युनिटी सिस्टम को मजबूत होता है। किसान अतिरिक्त आय के लिए बकरी पालन करके भी अच्छा लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
बकरी का दूध स्वास्थ्यवर्धक और सुपाच्य होने के कारण इसकी मांग बढ़ी है। मध्यप्रदेश में इंदौर एवं जबलपुर दुग्ध संघ द्वारा बकरी का दूध खरीदा जा रहा है साथ ही इसकी बिक्री के लिए इसे पार्लरों पर भी उपलब्ध कराया जा रहा है जिससे बकरी पालकों की आय में वृद्धि होगी। मध्य प्रदेश के पशुपालन एवं डेयरी मंत्री प्रेम सिंह पटेल ने जनजातीय गौरव दिवस पर बड़वानी के राज्य स्तरीय कार्यक्रम में बकरी के दूध की बिक्री की शुरुआत की है। इस अवसर पर पटेल ने कहा कि बकरी पालन से पशुपालक को विशेष रूप से निर्धन तबके की आय में वृद्धि होगी। बकरी दूध विक्रय की शुरुआत जबलपुर और इंदौर के जनजातीय बहुल जिलों से एकत्र दूध से की गई है। इंदौर संभाग के धार, झाबुआ, बड़वानी और जबलपुर संभाग के सिवनी, बालाघाट जिलों के जनजातियों से 50 से 70 रुपए प्रति किलो की दर से बकरी का दूध इंदौर एवं जबलपुर दुग्ध संघ द्वारा खरीदा जा रहा है।
बकरी का दूध पौष्टिकता से भरपूर होता है। इसके दूध में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, विटामिन, कैल्शियम, मैग्नीशियम, पोटेशियम, तांबा, जिंक आदि तत्व पाए जाते हैं जो स्वास्थ्य के लिए का उत्तम होते हैं। यह शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सहायक है। वसा के कण अन्य दूध की तुलना में छोटे होने से जल्दी एवं आसानी से पच जाता है। दैनिक अनुसंशित मूल्य का 33 प्रतिशत कैल्शियम शरीर को प्रदाय कर हड्डियों के घनत्व को बढ़ाता है।
कई प्रकार के रोगों में बकरी का दूध फायदेमंद होता है। जिन लोगों को गाय, भैंस का दूध नहीं पचता है उन्हें बकरी का दूध पीने की सलाह दी जाती है। बकरी के दूध के सेवन से कई बीमारियों में फायदा होता है। इनमें से कुछ इस प्रकार से हैं-
मध्य प्रदेश सांची दुग्ध महासंघ अब बाजार में बकरी का दूध बेचने जा रहा है। बाजार में बकरी के दूध की कीमत 150 रुपए प्रति लीटर होगी। क्षेत्र में बकरी पालन को प्रोत्साहित करने के लिए आदिवासियों की सहकारी समितियां भी बनाई जा रही है। अभी फिलहाल यह दूध 200 एमएल की बॉटल में अधिकतम 30 रुपए की दर से जबलपुर और इंदौर दुग्ध संघ के पार्लरों पर उपलब्ध है।
बकरी पालन के लिए मध्यप्रदेश सरकार की ओर से अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति के लोगों सरकार 60 प्रतिशत तक सब्सिडी प्रदान की जाती है। वहीं सामान्य वर्ग वर्ग के लाभार्थियों को 40 प्रतिशत का अनुदान दिया जाता है। इस योजना में आवेदक का अंशदान 10 प्रतिशत होता है अर्थात आवेदक को कुल इकाई के लागत का केवल 10 प्रतिशत ही अपनी जेब से देना होता है, बाकी सारा ऋण सरकार की ओर से बैंक के माध्यम से उपलब्ध कराया जाता है।
बकरी पालन दूध और मांस के लिए किया जाता है। इसके लिए बकरी की जमुनापारी, बरबरी बकरी, बीटल बकरी, सिरोही बकरी, ब्लैक बंगाल, ओस्मानाबादी किस्में अच्छी मानी जाती हैं।
20 वीं पशुगणना 2019 के अनुसार पूरे भारत में पशुओं की संख्या करीब 535.78 मिलियन जो 2012 की तुलना में 4.6 प्रतिशत अधिक है। इसमें से मध्यप्रदेश में 40.6 मिलियन पशुओं की संख्या है। राज्य के कुल पशुधन में करीब 11.6 मिलियन बकरियां हैं। इसकी दुग्ध उत्पादन क्षमता 2.25 से 2.7 लीटर प्रतिदिन है। वर्तमान में मध्यप्रदेश के इंदौर जिले में बकरी प्रजनन एवं शोध केंद्र की स्थापनाकी गई है। राज्य भर में इस केंद्र की सात इकाइयां कार्यरत हैं। वहीं 19वीं पशुगणना के अनुसार पूरे भारत में बकरियों की कुल संख्या 135.17 मिलियन थी।
बता दें कि देश में पशुधन गणना वर्ष 1919-20 से ही समय-समय पर की जाती रही है। पशुधन गणना में सभी पालतू जानवरों और उनकी संख्या को कवर किया जाता है। अब तक राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासन की भागीदारी से इस तरह की 19 गणनाएं आयोजित की गई हैं। 20वीं पशुधन गणना सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की भागीदारी से आयोजित की गई। यह गणना ग्रामीण और शहरी दोनों ही क्षेत्रों में की गई। पशुओं (मवेशी, भैंस, मिथुन, याक, भेड़, बकरी, सुअर, घोड़ा, टट्टू, खच्चर, गधा ऊंट, कुत्ता, खरगोश और हाथी) के विभिन्न नस्लों और घरों, घरेलू उद्यमों/गैर-घरेलू उद्यमों और संस्थानों में मौजूद पोल्ट्री पक्षियों (मुर्गी, बतख, एमु, टर्की, बटेर और अन्य पोल्ट्री पक्षियों) की गणना संबंधित स्थलों पर ही की गई है।
बकरी पालन के लिए सब्सिडी व ऋण लिंक - http://www.mpdah.gov.in/schemes.php
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