प्रकाशित - 06 Mar 2023
हमारे देश के किसान पारंपरिक फसलों की खेती करने के साथ-साथ अन्य मुनाफा देने वाली फसलों की खेती करके अपनी आमदनी बढ़ा सकते है। आज किसान खेती से अतिरिक्त आमदनी प्राप्त करने के लिए पारंपरिक फसलों के साथ बागवानी फसलों की खेती भी कर रहे हैं। आज हम बात करेंगे ऐसी ही एक औषधीय फसल नींबू घास (Lemon Grass) की, जिसकी खेती करके किसान अच्छा लाभ व मुनाफा कमा सकते हैं। नींबू घास की खेती किसान बंजर जमीन में भी कर सकते हैं व बढ़िया उपज और आमदनी प्राप्त कर सकते हैं। नींबू घास खेती का सबसे बड़ा लाभ ये है कि इसकी फसल में ना ज्यादा सिंचाई की जरूरत होती है और ना ही कीट नाशक दवाओं की। इसके अतिरिक्त पशु भी इस घास को नहीं खाते, जिसके कारण किसान खुले खेत में भी इसकी खेती आसानी से कर सकते है।
इसी कड़ी में बिहार राज्य सरकार भी अपने राज्य में नींबू घास की खेती करने वाले किसानों को सब्सिडी प्रदान करती है। पिछले साल जुलाई में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी झारखंड की महिला किसान जो नींबू घास की खेती कर रही थी उनकी तारीफ की थी। बात नींबू घास की खेती की करें तो केवल झारखंड ही नहीं बिहार के किसान भी नींबू घास की खेती बड़े पैमाने पर कर रहे हैं। खासकर बंजर भूमि पर इसकी खेती करने से अधिक लाभ व मुनाफा कमाया जा सकता हैं। बिहार के बांका, कटोरिया, फुल्लीडुमर, रजौन, धोरैया, सहित अन्य जिलों के किसान में नींबू घास की खेती कर रहे हैं।
किसान भाइयों आज ट्रैक्टर जंक्शन की इस पोस्ट के माध्यम से हम आपके साथ नींबू घास की खेती से जुड़ी सभी जानकारी साझा कर रहे हैं।
राज्य में बेकार पड़ी बंजर भूमि में नींबू घास की खेती करने के लिए किसानों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से बिहार सरकार नींबू घास की खेती करने वाले किसानों को प्रति एकड़ की दर से 8000 रुपए की सब्सिडी प्रदान कर रही है। जानकारी के मुताबिक नींबू घास की खेती का रकबा बढ़ाने के लिए केन्द्र सरकार भी महत्व दे रही है। आज तेजी से बंजर व कई वर्षों से खाली पड़े खेत में नींबू घास की खेती ने क्षेत्र में हरियाली ला दी है।
नींबू घास एक प्रकार की औषधीय फसल है जिसका तेल निकाल कर कई तरीकों से काम में लिया जाता है। नींबू घास के तेल से औषधीय निर्माण, दवाइयां, घरेलू उपयोग, साबुन और तेल, सौन्दर्य उत्पाद बनाने आदि जैसे कई प्रकार से काम में लिया जाता है। नींबू घास के तेल में सिट्राल पाया जाता है, जो की लगभग 60-80% तक पाया जाता है सिट्रोल विटामिन ए का मुख्य स्त्रोत है।
नींबू घास की खेती करते समय किसानों को कोई भी अतिरिक्त खर्च जैसे- सिंचाई, कीटनाशक, उर्वरक आदि की जरुरत नहीं होती है। नींबू घास की खेती में सिंचाई व खाद की झंझट नहीं होती है। इसकी फसल कम पानी वाले इलाके में भी आसानी से विकसित हो सकती है। इसकी खेती का सबसे बड़ा लाभ यह है कि इसकी फसल को जानवर से क्षति होने का डर नहीं होता है। बताया जाता है कि इसकी फसल कोई भी जानवर नहीं खाते है। इसके अलावा नींबू घास की फसल की एक बार बुवाई करने के बाद 5 से 6 बार तक कटाई की जा सकती है।
बिहार में मौजूदा समय में समुखिया मोड़ के निकट राजपुर व कटोरिया में नींबू घास तेल निकासी यूनिट की स्थापना की गई है। बताया जाता है कि इसकी तेल निकालने वाली मशीन की कीमत 4 लाख रुपए के करीब है। सरकार इसकी यूनिट लगाने पर 90 फीसदी तक अनुदान भी प्रदान करती है। जानकारी के मुताबिक नींबू घास के 1 लीटर तेल की कीमत बाजार में 1200 से 2000 रुपए तक की होती है। लिहाजा, इसकी खेती करने से किसान लाखों रुपए की कमाई से आसानी से कर सकते हैं।
बिहार के प्रगतिशील किसान अभिषेक उर्फ सोनू चौधरी कहते हैं कि नींबू घास की खेती यदि 1 एकड़ में करते हैं तो 100 लीटर तेल लायक नींबू घास प्राप्त हो जाएगा। नींबू घास की खेती किसानों के लिए काफी लाभदायक है। इसके अलावा नींबू घास की खेती करने वाले किसानों को कृषि विभाग भी सहायता प्रदान करता है। इसीलिए जिन किसानों के पास बेकार खाली पड़ी व बंजर भूमि हैं, वे नींबू घास की खेती करके जमीन के साथ अपनी आय में भी हरियाली ला सकते हैं।
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