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यूरिया की जगह करें हरी खाद का प्रयोग, मिलेगी 80 प्रतिशत सब्सिडी

प्रकाशित - 14 Mar 2023

जानें, क्या है हरी खाद और इसके इस्तेमाल से कैसे हो सकती है बंपर पैदावार

सरकार की ओर से किसानों को प्राकृतिक खेती के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसके लिए सरकार किसानों को भारी सब्सिडी दे रही है। सरकार चाहती है कि किसान खेती में यूरिया सहित अन्य रासायनिक उर्वरकों का उपयोग न करें और प्राकृतिक खाद का ही इस्तेमाल करें। इसके लिए हरियाणा सरकार की ओर से राज्य के किसानों को ढेंचा की खेती करने के लिए 80 प्रतिशत तक सब्सिडी दी जा रही है। बता दें कि ढेंचा को हरी खाद के रूप जाना जाता है। इसका इस्तेमाल करके फसल उत्पादन को बढ़ाया जा सकता है और साथ ही इसकी खेती भूमि के लिए भी लाभकारी होती है। जबकि इसके उपट रासायनिक खाद का इस्तेमाल हमारे स्वास्थ्य के लिए तो खतरनाक है ही, साथ ही इसके प्रयोग से भूमि की उपजाऊ क्षमता भी कम हो जाती है।

आज हम ट्रैक्टर जंक्शन की इस पोस्ट में किसानों को ढेंचा की खेती पर कितनी सब्सिडी सरकार से मिल सकती है और इसकी खेती के क्या लाभ है, इस बात की पूरी जानकारी देर रहे हैं।

ढेंचा की खेती पर कितनी मिलेगी सब्सिडी

हरियाणा सरकार की ओर से राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन और फसल विविधीकरण योजना के तहत राज्य के किसानों को ढेंचा की खेती के लिए 80 प्रतिशत तक सब्सिडी का लाभ प्रदान किया जा रहा है। ढेंचा की खेती के लिए किसानों को प्रति एकड़ 720 रुपए देने का प्रावधान है।

ढेंचा की खेती कितनी है लाभकारी

सनई मूंग, उड़द, लोबिया के अलावा ढेंचा जिसे हरी खाद के रूप में जाना जाता है। इसकी खेती से किसान भाई काफी लाभ प्राप्त कर सकते हैं। इसमें प्राकृतिक रूप से भूमि में नाइट्रोजन को स्थिर करने का गुण होता है। ढेंचा में प्रति हैक्टेयर हरे पदार्थ की मात्रा करीब 144 क्विंटल तक होती है। इससे भूमि को करीब 77 किलोग्राम तक अतिरिक्त नाइट्रोजन मिल जाता है।  

ढेंचा से कैसे बनती है हरी खाद

ढेंचा की फसल की खेती करके फसल को काटकर मिट‌्टी में मिला दिया जाता है। यहां ये मिट्टी में गलकर अपने आप को खाद में बदल देती है। भूमि में नाइट्रोजन की पूर्ति ढेंचा की फसल से हो जाती है। जब खेत खाली पड़े रहते हैं उस दौरान ढेंचा की खेती करके किसान इससे लाभ प्राप्त कर सकते हैं। इसकी कटाई के बाद किसान दलहनी फसलों की खेती भी कर सकते हैं। फसल चक्र में ढेंचा को शामिल करके किसान इससे भूमि की सेहत में सुधार करने के साथ ही फसल की पैदावार को भी बढ़ा सकते हैं।

कैसे मिलेगा ढेंचा की खेती पर अनुदान का लाभ

हरियाणा सरकार की ओर से राज्य के किसानों को ढेंचा के बीजों पर अनुदान का लाभ दिया जाता है। इसके लिए किसान मेरी फसल-मेरा ब्यौरा पोर्टल अथवा https://agriharyana.gov.in/ पर 4 अप्रैल 2023 तक ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।

ढेंचा की खेती पर अनुदान के लिए आवेदन हेतु किन दस्तावेजों की होगी आवश्यकता

राज्य के किसानों को ढेंचा की खेती पर अनुदान का लाभ प्राप्त करने के लिए आवेदन करना होगा। आवेदन के लिए उन्हें जिन दस्तावेजों की आवश्यकता होगी, वे इस प्रकार से हैं-

  • आवेदन करने वाले किसान का आधार कार्ड
  • किसान का वोटर आईडी कार्ड
  • किसान रजिस्ट्रेशन स्लिप
  • किसान क्रेडिट कार्ड सहित सभी आवश्यक दस्तावेज।

किसान यहां से प्राप्त कर सकते हैं अनुदान पर ढैंचा के बीज

जो किसान ढैंचा के बीज अनुदान पर प्राप्त करना चाहते हैं उन्हें इसके लिए आवेदन करना होगा। इसके साथ ही सभी मांगे गए दस्तावेजों की काॅपी हरियाणा बीज विकास निगम के बिक्री केंद्र पर सब्मिट करनी होगी। यहीं पर किसानों को 20 प्रतिशत की राशि का भुगतान करना होगा। इसके बाद किसान को ढेंचा की खेती के लिए अनुदान पर बीज प्राप्त हो जाएगा।

कैसे होती है ढैंचा की खेती

गर्मी के सीजन में खेत की गहरी जुताई करके खेत को खाली छोड़ दिया जाता है। इसके बाद पहली बारिश के बाद प्रति हैक्टेयर के हिसाब से 80 से लेकर 100 किलोग्राम की दर से बीज डालने के बाद पाटा चला देते हैं। यदि सिंचाई का साधन हो तो वे किसान सिंचाई करके ऐसा कर सकते हैं। यदि ढेंचा पलटने के बाद खरीफ की फसल लेनी है तो बुवाई अप्रैल से मई तक करनी चाहिए। रबी फसल के लिए देर में भी बुवाई की जा सकती है। जैसा कि ढेंचा काफी तेजी से बढ़ने वाली फसल होती है। ऐसे में डेढ़ से दो माह में फसल में जब फूल आने लगते हैं तो इसे पलट दिया जाता है। इससे भूमि को करीब 15 से लेकर 25 टन तक हरा पदार्थ प्राप्त होता है। ये हरा पदार्थ जल्दी सड़े और इसमें जीवांश की मात्रा बढ़े इसके लिए पलटने के बाद खेत को पानी से भर दिया जाता है। इस प्रकार से बनी हरी खाद को मिट्‌टी में मिला दिया जाता है जो भूमि की उर्वरा शक्ति को बढ़ाती है।

ढेंचा में पाये जाने वाले पोषक तत्व

एक अध्ययन के अनुसार एक टन ढेंचा के शुष्क पदार्थ में मिट्टी को जो पोषक तत्व प्राप्त होते हैं उनमें नाइट्रोजन 26.2, फास्फोरस 7.3, पोटाश 17.8, गंधक 1.9, मैग्नीशियम 1.6, कैल्शियम 1.4, जस्ता 25 पीपीएम, लोहा 105 पीपीएम, ताम्बा 7 पीपीएम किलोग्राम पोषक तत्व की मात्रा प्रति हैक्टेयर के हिसाब से प्राप्त होती है।

ढेंचा की खेती के लाभ

  • ढेंचा की खेती से भूमि में मित्र जीवाणुओं की संख्या बढ़ती है जिससे उत्पादन में बढ़ोतरी होती है।
  • फसल चक्र में लगातार ढेंचा की फसल को शामिल किया जाए तो इससे भूमिक की भौतिक और रासायनिक संरचना में सुधार होता है।
  • भारी बारिश के दौरान इसकी गहरी जड़ें मिट्‌टी की उपजाऊ परत को बढ़ने नहीं देती हैं।
  • ढेंचा की खेती से भूमि में पानी सोखने की क्षमता बढ़ती है। इससे भूमि की जल धारण क्षमता अच्छी होती है और भूमि में नमी बनी रहती है। 

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