प्रकाशित - 07 Sep 2022 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा
किसानों की आय बढ़ाने के लिए सरकार की ओर से किसानों के लिए कई प्रकार की योजनाएं चलाई जा रही है। इससे किसानों को लाभ मिल रहा है। इसी कड़ी में बिहार सरकार की ओर से राज्य में मखाने की खेती को प्रोत्साहन दिया जा रहा है। इसके लिए बिहार सरकार के कृषि एवं उद्यानिकी विभाग की ओर से किसानों को मखाने की खेती करने के लिए 75 प्रतिशत सब्सिडी दी जा रही है। इसके लिए राज्य के किसानों से आवेदन आमंत्रित किए गए हैं। आवेदन 5 सितंबर से शुरू हो गए हैं। किसान सरकार की इस योजना से लाभ उठा कर मखाने की खेती करके अच्छा लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
बता दें कि मखाने के बाजार भाव काफी अच्छे मिलते हैं और इसकी मांग बाजार में पूरे साल बनी रहती है। वहीं बिहार के मखाने को जीआई टैग भी मिल गया है। इससे यहां के मखाने के निर्यात का रास्ता भी खुल गया है। जीआई टैग मिलने से यहां के किसानों को काफी फायदा होगा। आज हम ट्रैक्टर जंक्शन के माध्यम से किसानों को मखाने की खेती पर बिहार सरकार की ओर से दिए जाने वाले अनुदान और इसे प्राप्त करने की प्रक्रिया और दस्तावेजों की जानकारी दे रहे हैं ताकि राज्य के अधिक से अधिक किसान इस योजना का लाभ उठा सकें।
बिहार सरकार मिथिला के मखाना को जीआई यानी जियोग्राफिकल इंडिकेशन टैग मिलने के बाद सूबे के उद्यान निदेशालय ने कोसी, सीमांचल और मिथिलांचल के 11 जिलों में मखाना की खेती को बढ़ावा देने की योजना बनाई है। मखाना विकास योजना के तहत इन जिलों में उच्च प्रजाति के बीज से खेती करा कर अधिक उत्पादकता का प्रयास किया जाएगा। इसके लिए किसानों को अनुदान दिए जाने की योजना है ताकि अधिक से अधिक किसान मखाने की खेती करके लाभ प्राप्त कर सकें।
सूबे के उद्यान निदेशालय की ओर से मखाने की खेती (Makhana Farming) को प्रोत्साहित करने के लिए मखाना विकास योजना शुरू की गई है। इसके तहत किसानों को मखाने की खेती करने पर 75 प्रतिशत सब्सिडी का लाभ प्रदान किया जा रहा है। योजना के तहत किसानों को मखाना की खेती करने के लिए अनुदान राशि पर बीज दिया जाएगा। मखाना के उच्च प्रजाति के बीज लगाने की प्रति हेक्टेयर इकाई लागत राशि 97 हजार रुपए निर्धारित की गई है। योजना के अंतर्गत किसानों को लागत मूल्य का 75 प्रतिशत या अधिकतम 72 हजार 750 रुपए प्रति हेक्टेयर का अनुदान दिया जाएगा।
मखाना विकास योजना के तहत मखाने की उच्च गुणवत्ता वाली किस्मों पर अनुदान दिया जाएगा। इसके लिए सबौर मखाना-1 और स्वर्ण वैदेही प्रभेद के बीज का प्रयोग किया जाएगा। इस बीज की खासियत ये हैं कि इस किस्म से मखाना का आकार पहले के मुकाबले बड़ा और चमकीला होगा। इसकी उत्पादक क्षमता भी अधिक है। इससे पहले के मुकाबले अधिक उत्पादन प्राप्त होगा। अभी तक राज्य किसान जो बीज उपयोग में लेते रहे उनकी उत्पादकता 16 क्विंटल प्रति हेक्टेयर थी, लेकिन उपरोक्त उच्च गुणवत्ता वाले बीजों से मखाने की उत्पादकता करीब 28 क्विंटल प्रति हैक्टेयर तक पहुंचने की पूरी संभावना जताई जा रही है। इन बीज के मखाना का आकार बड़ा होता है, यह चमकीला भी होता है। इन किस्मों से कम खर्च में अधिक फसल प्राप्त की जा सकती है।
योजना के तहत पूर्णिया और दरभंगा मखाना बीज का स्त्रोत होगा। भोला शास्त्री कृषि महाविद्यालय पूर्णिया से सबौर मखाना-1 प्रजाति का बीज किसानों को उपलब्ध कराया जाएगा। वहीं मखाना अनुसंधान केंद्र दरभंगा की ओर से स्वर्ण वैदेही मखाना बीज किसानों को दिए जाएंगे। बता दें कि मखाने की सबौर मखाना-1 किस्म को खेतों में उपजाया जाता है। जबकि स्वर्ण वैदेही बीज की खेती तालाबों में की जाती है। बिहार के कोसी और सीमांचल क्षेत्र में खेत में मखाना उपजाया जाता है इसलिए इन क्षेत्रों के लिए सबौर मखाना-1 बीज उपयुक्त है। वहीं मिथिलांचल के क्षेत्र में तालाब में मखाने की खेती की जाती है। इस कारण से इन क्षेत्रों के लिए स्वर्ण वैदेही बीज उपयुक्त है। इसलिए किसान अनुदान पर दिए जा रहे बीजों का चयन अपने क्षेत्र के हिसाब से करें।
मखाना विकास योजना के तहत बिहार राज्य के 11 जिलों का चयन किया है। योजना के तहत कटिहार, दरभंगा, सुपौल, किशनगंज, पूर्णिया, सहरसा, अररिया, पश्चिम चंपारण, मधेपुरा, मधुबनी और सीतामढ़ी जिलों के किसान योजना के तहत आवेदन कर सकते हैं।
बिहार उद्यानिकी विभाग की ओर से सब्सिडी पर मखाना की खेती के लिए चयनित जिलों के किसानों से आवेदन आमंत्रित किए गए हैं। योजना के तहत 5 सितंबर 2022 से 20 सितंबर तक 2022 तक ऑनलाइन आवेदन किया जा सकता हैं। इसके लिए किसान अपने निकटतम सीएससी सेंटर से या फिर उद्यानिकी विभाग बिहार की वेबसाइट horticulture.bihar.gov.in पर जाकर आवेदन कर सकते हैं। वहीं योजना की अधिक जानकारी के लिए किसान संबंधित जिले के सहायक निदेशक उद्यान से संपर्क कर सकते हैं।
मखाने की खेती पर सब्सिडी का लाभ प्राप्त करने के लिए इच्छुक किसानों को इसके लिए ऑनलाइन आवेदन करना होगा। इसके लिए किसानों को जिन दस्तावेजों की आवश्यकता होगी जो इस प्रकार से हैं-
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