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मछली पालन किसानों को मिलेगी 70 प्रतिशत सब्सिडी, जानें पूरी जानकारी

प्रकाशित - 04 Nov 2022

जाने, क्या है सरकार की योजना और इससे किसानों को कैसे होगा लाभ

आज के युग में पारंपरिक खेती के साथ-साथ किसान आय के अन्य विकल्प तलाशने में लगे हैं। किसान खेती के साथ पशुपालन के माध्यम से अपनी आय बढ़ा रहे हैं। राज्य व केंद्र सरकार भी किसानों की आय बढ़ाने के लिए कई तरह की योजनाएं संचालित करती रहती है। आज मछली पालन करके किसान अच्छा लाभ कमा रहे हैं। मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए सरकार की ओर से मछली पालने वाले किसानों को 70 प्रतिशत तक का अनुदान दिया जा रहा है। इसी कड़ी में उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले के किसान मछली पालन व्यवसाय करके अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। सरकार के सहयोग से मिली अनुदान राशि से शुरू की गई हैचरी से किसान लाखों की कमाई कर रहे हैं। आज ट्रैक्टर जंक्शन की इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको मछली पालन व्यवसाय से जुड़ी अन्य जानकारी आपके साथ साझा करेंगे।

हैचरी लगाकर किया बंपर मछली उत्पादन

उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले के भड़ायल गांव के मछली पालक किसान चक्रपाल ने सरकार की नीली क्रांति योजना के तहत मछली पालन का व्यवसाय छोटे स्तर पर शुरू किया था। चक्रपाल ने बताया पहले उन्होंने एक छोटा तालाब बनाकर मछली पालन शुरु किया था। इस तालाब की मछलियां आसपास के क्षेत्र के बाजारों तक ही सीमित रह जाया करती थीं। लेकिन भारत सरकार की मछली पालक किसान को अनुदान देने की योजना की शुरुआत करने के बाद हैचरी लगाकर मछली पालन करना शुरु किया और बंपर मुनाफा भी कमाया। वहीं चक्रपाल का कहना है कि अब वह दिन दूर नहीं जब भारत की मछलियां विदेशों तक बेची जाएंगी।

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मछली पालक किसानों को 70 प्रतिशत तक का अनुदान

चक्रपाल ने बताया कि उन्होंने हैचरी लगाने के लिए मत्स्य पालन विभाग को प्रार्थना पत्र के माध्यम से अनुरोध किया था। इस योजना के अंतर्गत उन्हें योग्य समझते हुए शासन ने उनके अनुरोध पत्र को स्वीकार करते हुए योजना के तहत अनुदान दिया है। अब वह मछली पालन के लिए हैचरी लगाकर योजना का लाभ लेते हुए बेहतरीन मछली उत्पादन कर रहे हैं। सरकार की तरफ से उन्हें सब्सिडी और सफल मछली पालन के लिए ट्रेनिंग दी गई है। सरकार हैचरी विधि द्वारा मछली पालने वाले किसानों को 70 प्रतिशत तक का अनुदान उपलब्ध करवा रही है। सरकार की इस योजना में किसानों को हैचरी लगाने के लिए पंप सेट, बीज उत्पादन यूनिट, दवा, उर्वरक, मछली दाना, बीज आदि के लिए सब्सिडी उपलब्ध कराई जा रही है।

मछली पालक किसान चक्रपाल ने बताया कि उन्हें मछली पालन से 1 साल में लगभग 15 लाख तक की आमदनी आराम से हो रही है। भविष्य में यह आमदनी और बढ़ने की उम्मीद है। चक्रपाल द्वारा हैचरी विधि से पैदा की जा रही मछलियों की प्रजाति को सरकार द्वारा नदियों में भी पर्यावरण संरक्षण करने के लिए छुड़वाया जा रहा है। नदियों में डलवाई गई मछलियों के लिए सरकार की तरफ से पैसा भी मिलता है। जिले के अन्य मछली उत्पादक किसान मछली पालने के लिए चक्रपाल से मछलियों के बच्चे खरीद रहे हैं।

बढ़ रही हैं देश में मछली उत्पादन की क्षमता

हरदोई के किसान पहले परंपरागत तरीके से मछली पालन करते थे। जिससे मछलियों का कम उत्पादन होता था। मछली पालक किसान सतपाल ने बताया कि वह पहले तालाब से रोहू, मंगुर जैसी मछली का उत्पादन करते थे, इन किस्म की मछलियों की बाजार में ज्यादा कीमत भी नहीं मिला करती थी। लेकिन मत्स्य विभाग द्वारा मछली पालने के लिए दी जाने वाली जानकारी और आर्थिक सहायता की मदद से किसान अब मछली पालन में रुचि लेने लगे हैं। अब हरदोई जिले में बड़ी संख्या में किसान आधुनिक मछली पालन हैचरी विधि द्वारा कर रहे हैं।

सरकार की योजनाओं के कारण पिछले 5 वर्षों में वैज्ञानिक तरीके से तालाबों में मत्स्य बीज संरक्षण करने में प्रगति हुई है। मछली की  सिल्वर कार्प, ग्रास कार्प, नैन, कतला, रोहू जैसी प्रजातियों का उत्पादन किया जा रहा है, मछली की इन प्रजातियों की बाजार में काफी अच्छी मांग है। वहीं, किसान मछली पालन करके 1 हेक्टेयर तालाब से लगभग 12 लाख रुपये सालाना से ज्यादा की कमाई कर रहे हैं। इन मछली के बच्चों की सप्लाई लखनऊ, कानपुर आगरा, बहराइच और फर्रुखाबाद के अलावा आसपास के क्षेत्रों में भी हो रही है। वहीं उत्तर प्रदेश के अलावा मध्य प्रदेश और बिहार के मछली पालक किसान भी मछली के बच्चों को पालने के लिए ले जा रहे हैं।  क्षेत्र के किसानों का कहना है कि आने वाले समय में हरदोई मछली उत्पादन करने में उत्तर प्रदेश का हब बन सकता है।

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तालाब का निर्माण कर मछली पालक किसान ले रहे योजना का लाभ

उत्तर प्रदेश के हरदोई में मत्स्य विभाग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी धर्मराज चौहान ने बताया कि सरकार मछली पालने वाले किसानों को कई योजनाओं के माध्यम से काफी लाभ दे रही है। हरदोई के किसान अपने खेतों में तालाब का निर्माण कर मत्स्य पालन विभाग से सब्सिडी का लाभ ले रहे हैं। अभी किसानों द्वारा अपने खेतों पर 2 हेक्टेयर तालाब का निर्माण कार्य करने में लगभग 14 लाख रुपये की लागत आती है। वहीं एक हेक्टेयर हैचरी बनाने पर करीब 25 लाख रुपये की लागत आती है। मत्स्य विभाग अब और भी ज्यादा उन्नत तकनीक से मछली पालन करने के लिए किसानों को प्रेरित कर रहा है। केंद्र सरकार द्वारा दी जा रही सब्सिडी का लाभ मछली पालक किसानों को सीधा उनके बैंक खाते में मिल रहा है। इसलिए ज्यादा से ज्यादा किसान सरकार की नीली क्रांति योजना से जुड़ कर लाभ ले रहे हैं।

मछली उत्पादन में 7 प्रतिशत की हुई वृद्धि 

हरदोई के जिला अधिकारी मंगला प्रसाद सिंह ने बताया कि समय-समय पर किसानों को लाभ प्रदान करने के उद्देश्य से अपने सभागार में बैठक करते हैं। इसमें जिले के वह मछली पालने वाले किसान भी शामिल हैं जो नीली क्रांति योजना में अपनी रुचि दिखाते हुए राष्ट्रीय स्तर पर अपने मछली उत्पादन को बेच रहे हैं। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा मछलियों के उत्पादन को बढ़ाने के लिए नीली क्रांति योजना की शुरुआत 2015-16 में की गई थी। तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि हमारी महत्वाकांक्षी योजना नीली क्रांति का उद्देश्य मछली पालन की संभावनाओं को आगे बढ़ाते हुए मछली पालक किसानों के जीवन में परिवर्तन लाना है। इस योजना के शुरु होने के बाद से मछली पालन के घरेलू उत्पाद में 7 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई है। सरकार की इस योजना के अंतर्गत जनपद के तालाबों का सौंदर्यीकरण कराने के साथ-साथ उन्हीं तालाबों से ग्रामीण स्तर पर मछली पालन जैसी रोजगार देने वाली योजनाओं को आगे बढ़ाने पर जोर दे रहे हैं। इसमें मछुआरों, मछली पालने वाले किसानों की आर्थिक स्थिति को सुधारने का प्रयास किया जा रहा है। सरकार की इस योजना का असर अब हरदोई में दिखाई देने लगा है।

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