प्रकाशित - 12 Nov 2022
केंद्र और राज्य सरकार की ओर से किसानों के लिए कई प्रकार की लाभकारी याेजनाएं चलाई जा रही हैं। इन योजना के माध्यम से सरकार किसानों को सब्सिडी का लाभ देती है ताकि उन्हें सस्ती दर पर कृषि से संबंधित सुविधाओं का लाभ मिल सकें। इसी क्रम में मध्यप्रदेश सरकार की ओर से किसानों के हित में एक बड़ा फैसला लिया गया है। राज्य में बढ़ते वायु प्रदूषण और पराली जलाने की समस्या काे रोकने के लिए राज्य सरकार फसल अवशेष प्रबंधन योजना लागू करने जा रही है। इस योजना के तहत किसानों को 50 प्रतिशत पर फसल अवशेष प्रबंधन में काम आने वाले कृषि यंत्र उपलब्ध कराएं जाएंगे।
बता दें कि केंद्र सरकार की फसल अवशेष प्रबंधन योजना की लिस्ट में मध्यप्रदेश का नाम नहीं है। इसलिए राज्य सरकार ने इसके लिए अलग से प्रस्ताव तैयार किया है ताकि इस योजना काे प्रदेश में लागू किया जा सके। इस योजना के तहत राज्य सरकार रीपर कम बाइंडर, मल्चर, हैप्पी सीडर, रोटावेटर आदि फसल प्रबंधन में काम आने वाले उपयोगी कृषि यंत्रों को चिह्नित करके उस पर 50 प्रतिशत सब्सिडी का लाभ किसानों को देगी ताकि राज्य के किसान आसानी से सस्ती दर पर कृषि यंत्र खरीद सके। आज हम ट्रैक्टर जंक्शन के माध्यम से किसान भाइयों को कृषि यंत्र अनुदान योजना मध्यप्रदेश के तहत राज्य में लागू की जाने वाली फसल अवशेष प्रबंधन योजना की जानकारी दे रहे हैं। ये खबर मध्यप्रदेश के किसानों के लिए काफी महत्वपूर्ण है, इसलिए इस खबर को पूरा पढ़े और इसे आगे शेयर करें ताकि राज्य के अधिक से अधिक किसान इसका लाभ उठा सकें।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार मध्यप्रदेश सरकार के मंत्री-परिषद ने नरवाई जलाने की प्रथा को हत्सोहित करने, कृषि यंत्रीकरण को बढ़ाने और भूमि में नमी का संरक्षण करने के लिए “फसल अवशेष प्रबंधन” योजना को संचालित करने का निर्णय लिया है। योजना में उपयोगी शक्ति चलित कृषि यंत्रों को चिन्हित कर राज्य के किसानों द्वारा इनकी खरीद करने पर अनुदान दिया जाएगा। इसके तहत लघु, सीमान्त, महिला, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति वर्ग के किसानों को 50 प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा। वहीं सामान्य वर्ग के किसानों को 40 प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा। इस योजना का क्रियान्वयन कृषि अभियांत्रिकी संचालनालय द्वारा किया जाएगा।
फसल अवशेष प्रबंधन योजना के तहत स्ट्रा-रीपर, बेलर, रीपर कम बाइंडर, मल्चर, हैप्पी सीडर, जीरो टिल, सीड ड्रिल, सीड कम फर्टिलाइजर ड्रिल, रोटावेटर, प्लाऊ सहित अन्य चिह्नित कृषि यंत्र को शामिल किया गया है। इन कृषि यंत्राें पर राज्य सरकार की ओर से किसानों को सब्सिडी का लाभ प्रदान किया जाएगा।
फसल प्रबंधन में काम आने वाले जिन यंत्रों पर किसानों को अनुदान दिया जाएगा उनमें प्रमुख यंत्रों की जानकारी हम यहां दे रहे हैं जो इस प्रकार से है।
स्ट्रारीपर एक ऐसा यंत्र है जो एक साथ तीन तरह से काम करता है। यह यंत्र फस्सल को काटता है, थ्रेसिंग करता है और पुआल साफ करता है यानि भूसा बनाने का काम भी इस यंत्र की सहायता से किया जा सकता है। स्ट्रा रीपर का उपयोग मुख्य रूप से धान तथा गेहूं की पराली से भूसा के लिए किया जाता है। इस यंत्र को ट्रैक्टर के साथ जोड़कर चलाया जाता है। इसके इस्तेमाल से ईंधन की खपत कम होती है और कम समय में अवशेष प्रबंधन का काम किया जा सकता है।
बेलर या घास बेलर कृषि मशीनरी का उपयोग कटी हुई फसल (जैसे कि घास, कपास, भूसा ) को एकत्र कर गठ्ठे बनाने के लिए किया जाता है , जिससे उसके संभाल, परिवहन और स्टोर करने में आसानी होती हैं। विभिन्न प्रकार के बेलर आमतौर पर उपयोग किए जाते हैं, जो एक अलग-अलग प्रकार के बेल का उत्पादन करते हैं - आयताकार या बेलनाकार, विभिन्न आकारों के बेलो को सुतली, पट्टियों, जाल या तार के सहायता से बंधा जाता है।
कृषि क्षेत्र में फसल पकने के बाद कटाई का कार्य किया जाता है। पॉवर रीपर कम बाइंडर कृषि मशीनरी है जो पकी होने पर फसलों को काटने तथा बांधने में मदद करती है। यह एक बहुउद्देशीय मशीन है जो कई कार्यों को एक छोटे और प्रबंधनीय रूप से करता है। यह कम प्रयास में गेहूं, धान और अन्य तिलहन और दलहन फसलों की कटाई और बंडल बनाने के लिए उपयुक्त है। कृषक आसानी से इन बंडलों को इकट्ठा कर सकता है।
मल्चर एक कृषि यन्त्र है, जिसमे एक विशेष ब्लेड की श्रृंखला होती है जो पत्तियों या बचे हुए अवशेषों को छोटे टुकड़ों में काटने का काम करती है। जिनका उपयोग खेतो में मल्चिंग या खाद बनाने में किया जा सकता है।
हैप्पी सीडर मशीन की सहायता से खेत में पराली व फसल अवशेष बिना निकाले फसलों की सीधी बुवाई की जा सकती है। हैप्पी सीडर मशीन में आगे की ओर रोटावेटर यूनिट लगी होती हैं, जिसकी मदद से पराली व फसल अवषेश को काटकर मिट्टी में मिला देता है, जो कि आगे चलकर खाद के रुप में परिवर्तित होकर मिट्टी की उवर्रक क्षमता को बढ़ाता है। हैप्पी सीडर मशीन में पीछे की ओर जीरो ट्रेलर लगा होता है, जो फसलों की बुवाई का काम करता है। हैप्पी सीडर मशीन में दो बॉक्स होते हैं, जिसमें खाद और बीज को अलग-अलग भरा जाता है। इस मशीन के माध्यम से एक दिन में लगभग 6 से 8 एकड़ में बुवाई की जा सकती है।
इस मशीन की सहायता से खेत की तैयारी किए बिना बुवाई की जा सकती है। इस मशीन से धान की कटाई के तुरंत बाद उपलब्ध नमी का उपयोग करते हुए गेहूं की बुवाई करना संभव है। इस मशीन का उपयोग करने से किसानों को खेत की तैयारी में लगने वाले समय एवं लागत की पूरी बचत होती है। इस मशीन के उपयोग से किसानों को प्रति हेक्टेयर 1000 से 1500 रुपए तक का लाभ हो जाता है।
इस मशीन की सहायता से एक साथ कई कतारों में बीजों को बोया जा सकता है। यह मशीन से बीज और उर्वरक को एक अनुपात में एक साथ डाला जा सकता है। इस यंत्र की सहायता से बीज मिट्टी में गहराई से बोया जाता है जिससे बीज खराब नहीं होता है। इस यंत्र के प्रयोग से समय और श्रम की बचत होती है। इस यंत्र की खास बात ये हैं कि इस मशीन से आप फसल की कटाई के बाद सीधे बीज बो सकते हैं।
रोटावेटर एक ट्रैक्टर से चलने वाला कृषि यंत्र है। जो मुख्य रूप से खेत की मिट्टी की तैयारी के लिए उपयोग किया जाता है। यह मक्का, गेहूं, गन्ने आदि के अवशिष्ट को हटाने और मिश्रण करने प्रयोग में लाया जाता है। इसके प्रयोग से मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार होता है तथा ईंधन ,लागत, समय की बचत होती है।
प्लाऊ एक आधुनिक कृषि उपकरण है जिसका उपयोग जमीन में बीज बोने से पहले मिट्टी को मोडऩे और ढीला करने के लिए किया जाता है। मशीनी युग से पहले भारत में घोड़ों और बैलों द्वारा प्लाऊ (हल) को खींचा जाता था। लेकिन आधुनिक युग में प्लाऊ (हल) खींचने के लिए ट्रैक्टरों का उपयोग किया जाता है।
फसल अवशेष प्रबंधन में काम आने वाले उपरोक्त कृषि यंत्रों पर सब्सिडी पाने के लिए किसान के पास ट्रैक्टर होना जरूरी होगा, क्योंकि ये सभी यंत्र ट्रैक्टर से जोड़कर चलाए जाते हैं। इसके लिए किसान के पास ट्रैक्टर की आरसी होना जरूरी है। इसके लिए ट्रैक्टर की आरसी स्वयं के माता-पिता, भाई-बहन या पत्नी के नाम हाेनी चाहिए।
किसानों को कृषि यंत्रों पर सब्सिडी का लाभ प्राप्त करने के लिए फसल अवशेष प्रबंधन योजना के तहत ऑनलाइन आवेदन करना होगा। इसके लिए जिन दस्तावेजों की आवश्यकता होगी, वे इस प्रकार से हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार प्रदेश सरकार ने अभी फिलहाल फसल प्रबंधन योजना का प्रस्ताव तैयार किया है। इस पर अंतिम निर्णय कैबिनेट की बैठक में लिया जाएगा। इसके बाद राज्य के किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन हेतु अनुदान पर कृषि यंत्र उपलब्ध कराए जाएंगे। इसके लिए किसान ई-कृषि यंत्र अनुदान पोर्टल पर आवेदन कर सकेंगे। आवेदन की सूचना इसी पोर्टल के माध्यम से विभाग की ओर से किसानों को प्रदान की जाएगी। बता दें केंद्र सरकार की ओर से पराली जलाने की रोकथाम के लिए जो योजना बनाई गई है, उसमें मध्य प्रदेश शामिल नहीं है। इसे देखते हुए सरकार ने फसल अवशेष प्रबंधन योजना तैयार की है। इसमें किसानों को छह लाख रुपए तक की कीमत वाले यंत्रों को खरीदने पर अनुदान दिया जाएगा। इसके लिए किसानों को आनलाइन आवेदन करना होगा और अनुदान की राशि सीधे खाते में अंतरित की जाएगी। केबिनेट की बैठक में इस योजना को 2024-25 तक संचालित करने के लिए 59 करोड़ रुपए की स्वीकृति देने पर विचार किया जाएगा।
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