प्रकाशित - 18 Apr 2024 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा
किसान खेती के साथ पशुपालन करके अपनी आय में बढ़ोतरी कर सकते हैं। पशुपालन में प्रमुख रूप से गाय, भैंस जैसे दुधारू पशुओं का पालन किया जाता है। ऐसे में जो किसान व पशुपालक गाय पालन करके अपनी आमदनी बढ़ाना चाहते हैं, उनके लिए जरूरी है कि वे गाय की ऐसी उत्तम नस्ल का चुनाव करें ताकि उससे अधिक दूध प्राप्त किया जा सके। गाय की बहुत सी नस्ल है जो अच्छा दूध का उत्पादन देती हैं। इन्हीं नस्लों में से गाय की एक नस्ल साहीवाल है।
साहीवाल नस्ल (sahiwal breed) को अधिक दूध देने वाली नस्ल माना जाता है। यदि सही तरीके से गाय की इस नस्ल का पालन किया जाए तो इससे रोजाना 10 से लेकर 16 किलोग्राम तक दूध का उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। साहीवाल नस्ल अधिकांश रूप से राजस्थान व हरियाणा में अधिक पाई जाती है और यहां इनका पालन किया जाता है। यदि आप भी दूध के लिए गाय का पालन करना चाहते हैं या डेयरी खोलना चाहते हैं तो साहीवाल गाय इसके लिए बहुत ही अच्छा चुनाव है। आज बहुत से किसान गाय की इस नस्ल का पालन करके बेहतर दूध उत्पादन प्राप्त कर अपनी इनकम बढ़ा रहे हैं। खास बात यह है कि देसी गाय के पालन के लिए सरकार की ओर से उसकी खरीद के लिए सब्सिडी भी दी जाती है।
आज हम ट्रैक्टर जंक्शन के माध्यम से आपको गाय की साहीवाल नस्ल की पहचान, विशेषता, कीमत और सब्सिडी की जानकारी दे रहे हैं।
साहीवाल गाय (sahiwal cow) की पहचान बहुत आसान है। इसकी शारीरिक बनावट, सींग, सिर, रंग से इसकी पहचान की जा सकती है। यहां हम साहीवाल गाय की पहचान के लिए प्रमुख बातों को बता रहे हैं, जो इस प्रकार से हैं-
साहीवाल गाय में बहुत सी ऐसी विशेषताएं होती है, जो इसे अन्य नस्ल की गायों से अलग बनाती हैं। साहिवाल गाय की प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार से हैं-
यदि बात की जाए साहीवाल गाय की कीमत (sahiwal cow price) की तो इस नस्ल की गाय की कीमत करीब 40,000 रुपए से लेकर 60,000 रुपए के बीच होती है। बता दें कि गाय की कीमत उसके दूध देने की क्षमता, उम्र, स्वास्थ्य आदि पर निर्भर करती है और इसी आधार पर इनकी खरीद-फरोख्त की जाती है।
देसी गाय की खरीद के लिए सरकार की ओर से प्रोत्साहन दिया जाता है। यदि बात करें बिहार की तो यहां की सरकार गाय पालन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से देसी गौपालन प्रोत्साहन योजना 2023-24 (Desi Cow Husbandry Promotion Scheme 2023-24) चला रही है। इस योजना के तहत गाय/बाछी-हिफर डेयरी यूनिट लगाने के लिए अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति व अत्यंत पिछड़ा वर्ग को 75 प्रतिशत सब्सिडी दी जाती है। वहीं सामान्य वर्ग के पशुपालक किसानों को 50 प्रतिशत सब्सिडी (subsidy) मिलती है। इसके अलावा 15 और देसी गाय/बाछी-हिफर (साहीवाल, गिर, थारपारकर) की डेयरी यूनिट लगाने पर सभी वर्गों को 40 प्रतिशत सब्सिडी दी जाती है।
साहीवाल गाय प्रमुख रूप से उत्तरी भारत में पाई जाने वाली नस्ल है। इसका उद्गम स्थल पाकिस्तान पंजाब के मोंटगोमरी जिले और रावी नदी के आसपास का माना जाता है। गाय की नस्लों में सबसे अधिक दूध देने वाली यह नस्ल पंजाब के फिरोजपुर और अमृतसर जिलों में पाई जाती है। इसमें फिरोजपुर जिले के फाजिलका और अबोहर कस्बे में शुद्ध साहीवाल गायें देखने को मिलती है। इसके अलावा राजस्थान के गंगानगर जिले में इस नस्ल की गाय पाली जाती है। आप इन जिलों से साहीवाल गाय की नस्ल प्राप्त कर सकते हैं।
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