प्रकाशित - 16 Aug 2022
इन दिनों पशुओं में लंपी स्किन बीमारी फैल रही है। इससे अब तक हजारों की तादाद में पशुओं की मौत हो चुकी है। राजस्थान और गुजरात सहित देश के 10 राज्यों में पशुओं में ये बीमारी पाई गई है। इस बीमारी का असर विशेषकर गाय, भैंसों पर अधिक हो रहा है। बता दें कि लंपी स्किन इस बीमारी का वायरस संक्रमण तेजी से फैलता है। यदि समय पर इसकी रोकथाम के उपाय नहीं किए जाएं तो इससे पशु की मौत हो सकती है। हालांकि सरकार ने इस बीमारी के लिए एक देसी वैक्सीन भी लांन्च कर दी है। इसके बाद भी पशुपालकों को कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए ताकि इस बीमारी के संक्रमण को बढऩे से रोका जा सके। आज हम ट्रैक्टर जंक्शन के माध्यम से पशुपालक किसानों के लिए लंपी स्किन बीमारी से पशुओं को बचाने के उपाय बता रहे हैं।
लंपी त्वचा रोग कैप्रीपोक्स वायरस के कारण होता है, जो गायों और भैंसों को संक्रमित करता है। यह बीमारी मुख्य रूप से मक्खी, टिक्स और मच्छर के कारण फैलती है। यह बीमारी नमी वाले तापमान में ज्यादा तेजी से फैलती है। पशुपालन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक लंपी स्किन बीमारी का प्रकोप अफ्रीका में शुरू हुआ और पाकिस्तान के रास्ते भारत में फैल गया है। इस बीमारी से प्रभावित पशु के शरीर पर फफोले हो जाते हैं और इसमें से पानी रिसने लगता है। इससे बैक्टीरिया को प्रवेश करने का मौका मिल जाता है। ये फफोले घाव का रूप ले लेते हैं। इस पर मक्खियों बैठती है और संक्रमण प्रसार करती है। भारत में इस बीमारी के लक्षण प्रमुख रूप से गाय जैसे दुधारू पशुओं पर देखे जा रहे हैं। इस बीमारी से कई हजार गायों की मौत हो चुकी है। अभी फिलहाल इस बीमारी का प्रकोप सिर्फ गायों में देखा जा रहा है। भैंसों में अभी तक इस बीमारी के लक्षण नहीं पाए गए हैं।
हरियाणा में पशुपालन विभाग की ओर से जारी की गई एडवाइजरी के अनुसार इस बीमारी के जो लक्षण बताए गए हैं, वे इस प्रकार से हैं-
लंपी स्किन एक संक्रामक बीमारी है जो तेजी के साथ एक जानवर से दूसरे जानवरों में फैलती है। जैसा कि हमने आपको बताया कि इस बीमारी के वाहन मच्छर, मक्खी, जूं जैसे परजीवी होते हैं जो इस वायरस को एक पशु से दूसरे पशु में पहुंचाने का काम करते हैं। इन परजीवियों के काटने के बाद जब वो दूसरे जानवरों को काटते हैं तो उनके खून से वायरस दूसरे जानवरों के शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। ये बीमारी पशुओं में सीधे संपर्क में आने से भी फैलती है। इसके अलावा दूषित भोजन से भी जानवरों में यह बीमारी फैलती है।
लंपी स्किन रोग से बचाव के लिए किसान पशुपालकों को अपने कुछ सावधानी और बचाव के तरीके अपनाने चाहिए जिससे इसके प्रसार को रोका जा सकता है। ये बचाव के उपाय और तरीके इस प्रकार से हैं-
लंपी स्किन से बचाव के लिए देसी वैक्सीन तैयार की गई है। पशुपालकों को अपने पशुओं को इस बीमारी से बचाव के लिए इसे लगवाना चाहिए। हाल ही में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने पशुओं को लंपी स्किन रोग से बचाव हेतु स्वदेशी वैक्सीन (लम्पी-प्रो वैक-इंड) लांच की है। यह वैक्सीन राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र, हिसार (हरियाणा) ने भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान, इज्जतनगर (बरेली) के सहयोग से बनाई है। बताया जा रहा है कि यह वैक्सीन लंपी स्किन रोग पर शत-प्रतिशत कारगर है। इस वैक्सीन को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के तहत विकसित किया गया है। बता दें कि 2019 में जब से यह बीमारी भारत में आई थी, तब से ही संस्थान के वैज्ञानिक वैक्सीन विकसित करने में जुटे हुए थे।
पंजाब मेें ये बीमारी तेजी से फैल रही है। इसके प्रसार को रोकने के लिए मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने पशुओं को लंपी वैक्सीन लगाने की गति को तेज कर दिया है ताकि जल्द से जल्द बीमारी पर काबू पाया जा सकें। बता दें कि पंजाब में ये बीमारी ज्यादातर डेयरी फार्म में पशुओं को हो रही है। प्रमुख रूप से गायों में ये बीमारी हो रही है। पंजाब में पशुओं को वैक्सीन लगाने का काम जोरों पर चल रहा है। इसके लिए प्रशासन की ओर से पूरी तैयारी की गई है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार पंजाब में गोट वैक्सीन की 2.34 लाख खुराक आई हैं। इनमें से 1.84 लाख से अधिक पशुओं को ये खुराक दी जा चुकी है। वहीं पंजाब के पशुपालन विभाग के अधिकारियों के अनुसार तीसरी खेप की 83 हजार खुराक प्रभावित जिलों को भेजी जानी हैं।
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