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70 से अधिक सरकारी योजनाओं पर वित्त विभाग की पाबंदी, अब बिना अनुमति नहीं मिलेगा पैसा

प्रकाशित - 16 Oct 2024

जानें, कौनसी है यह योजनाएं और इस पर सख्ती को लेकर क्या है वित्त विभाग का रूख

केंद्र सरकार की ओर से किसानों, महिलाओं और आम नागरिकों के लिए बहुत सी कल्याणकारी व लाभकारी योजनाएं संचालित हैं जिनका उन्हें लाभ मिल रहा है। केंद्र सरकार के साथ ही राज्य सरकारें भी बहुत सी योजनाओं का संचालन कर रही है जिसमें से कुछ योजनाएं पहले से चल रही है तो कुछ नई योजनाओं की घोषणा के बाद इन्हें हाल ही में लागू किया गया है। इन्हीं योजनाओं में लाड़ली बहना योजना सहित अन्य योजनाएं शामिल हैं जिनके तहत राज्य सरकार का करोड़ों रुपए खर्च हो रहा है। विधानसभा चुनाव से पहले राज्य सरकार की ओर से की गई धुआंधार योजनाओं को अब लागू करने से वित्त विभाग की सेहत खराब हो चली है। इन योजनाओं पर खर्च हो रही करोड़ों की राशि को देखते हुए वित्त विभाग ने राज्य सरकार को आगाह करते हुए साफ कह दिया है कि अब किसी भी योजना पर पैसा खर्च करने से पहले वित्त विभाग से अनुमति लेनी होगी। इसके बाद ही राज्य सरकार किसी योजना के लिए राशि जारी कर पाएगी ताकि उस राशि का हिसाब सही से रखा जा सके जिससे राज्य का बजट गड़बड़ाए नहीं।

तीर्थयात्रा योजना सहित 70 योजनाओं पर लगी पाबंदी

प्रदेश में लोग सरकार की ओर से चलाई जा रही तीर्थयात्रा का लाभ उठा रहे हैं। इसके तहत नि:शुल्क तीर्थयात्रा करवाई जाती है। इसके लिए काफी पैसा खर्च होता है। इस योजना को लेकर जो जानकारी सामने आ रही है। उसके मुताबिक तीर्थ यात्रा योजना के लिए अब वित्त विभाग की अनुमति आवश्यक होगी। इसके अलावा वित्त विभाग ने सरकार की करीब 70 से अधिक सरकारी योजनाओं पर वित्तीय पाबंदी लगा दी है और इसमें तीर्थ यात्रा योजना भी शामिल है। अब इस योजना को सरकार को संचालित करने के लिए वित्त विभाग से अनुमति लेना आवश्यक होगा।

2025 तक लागू रहेगी योजनाओं पर पाबंदी

वित्त विभाग ने पहले ही 33 विभागों की 70 से अधिक योजनाओं पर वित्तीय पाबंदी लगा दी है। इन योजनाओं के लिए पैसा खर्च करने से पहले वित्त विभाग से अनुमति लेना जरूरी होगा। यानी वित्त विभाग की मंजूरी के बाद ही विभाग इन योजनाओं के लिए पैसा खर्च कर सकता है। जिन योजनाओं पर वित्तीय पाबंदी लागू की गई है, वे योजनाएं सीधा आम आदमी से संबंध रखती हैं। वित्त विभाग द्वारा जारी आदेश में बताया गया है कि यह पाबंदी 2025 तक के लिए लगाई गई है। ऐसे में नया वित्तीय वर्ष शुरू होने से पहले तक ये रोक इसी महीने से लागू रहेंगी।

वित्त विभाग ने किन योजनाओं पर लगाई पाबंदी

मध्यप्रदेश में अब सड़क मरम्मत, शहरी सड़कों के सुधार के लिए कायाकल्प योजना, पीडब्ल्यूडी की सड़कों के सुधार, उन्नयन, डामरीकरण और नवीनीकरण के लिए वित्त विभाग की अनुमति लेनी जरूरी होगी। इसी तरह बालिका स्कूटी योजना, लाखों किसानों में बंटने वाला एक हजार करोड़ के करीब बोनस का पैसा, मुख्यमंत्री कृषक फसल उपार्जन सहायता योजना, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, संबल योजना में अब वित्त विभाग की बिना मंजूरी के खजाने से पैसा नहीं निकाला जाएगा। सीएम सोलर पंप स्कीम, बेरोजगार युवक-युवतियों को रोजगार की ट्रेनिंग, उच्च शिक्षा के लिए विदेश अध्ययन, तीर्थयात्रा योजना के लिए भी वित्त विभाग की अनुमति जरूरी होगी।

आर्थिक संकट से जूझ रही सरकार ने फिजूलखर्ची पर रोक लगाई

मध्यप्रदेश सरकार इस समय आर्थिक संकट से जूझ रही है। ऐसे में वित्त विभाग ने अब फिजूलखर्ची रोकने के लिए यह फैसला लिया है कि अब इन योजनाओं के लिए पैसा खर्च करने से पहले वित्त विभाग की हरी झंडी जारी होगी। वित्त विभाग की मंजूरी के बाद ही इन योजनाओं के लिए पैसा खर्च किया जा सकता है। वित्त विभाग द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि यह पाबंदी मार्च 2025 तक के लिए लागू रहेगी। इसके अलावा वित्त विभाग ने खर्च की सीमा भी तय कर दी है और 25 करोड़ रुपए से अधिक के आहरण पर पाबंदी लगा दी है।

जन हितैषी योजनाओं का लाभ दिलाने में पूरे देश में नंबर 1 

जन हितैषी योजनाओं का पात्र हितग्राहियों को लाभ दिलाने में पूरे देश में मध्यप्रदेश सरकार नंबर वन पायदान पर है। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश में विकास की जो गंगा बह रही है उसमें मध्यप्रदेश भी विकास की ओर तेजी से अग्रसर हो रहा है। मध्यप्रदेश में आमजन से जुड़ी कई योजनाओं का क्रियान्वयन हो रहा है जिसका उन्हें भरपूर लाभ मिल रहा है। इन योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए प्रदेश को कई पुरस्कार भी मिल चुके हैं। सीएम डॉ. मोहन यादव ने कहा कि केंद्र सरकार की जिन योजनाओं के क्रियान्वयन में मध्यप्रदेश देश में अग्रणी हैं, उनमें पीएम स्व-निधि योजना, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना, कृषि अवसंरचना निधि, प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना, पीएम स्वामित्व योजना शामिल है। साथ ही नशा मुक्त भारत अभियान, आयुष्मान भारत योजना, मछुआ क्रेडिट कार्ड योजना, राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम, प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना, राष्ट्रीय आजीविका मिशन और स्वच्छ भारत मिशन भी शामिल हैं।  

प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण की उपलब्धि 97.58 प्रतिशत

प्रदेश में प्रधानमंत्री (शहरी) में 8 लाख 40 हजार 940 आवास निर्माण के लक्ष्य के विरूद्ध 8 लाख 20 हजार 575 आवास बनाए जा चुके हैं। योजना में उपलब्धि 97.58 प्रतिशत है। प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण में 37 लाख 98 हजार 709 आवास निर्माण के लक्ष्य के विरूद्ध 36 लाख 25 हजार 20 आवास बनाए जा चुके हैं। योजना की उपलब्धि 95.43 प्रतिशत है। इसी प्रकार जल जीवन मिशन के तहत 83 लाख 27 हजार 582 के लक्ष्य के विरूद्ध 72 लाख 89 हजार 229 नल कनेक्शन (हर घर-नल से जल) देकर 87.53 प्रतिशत उपलब्धि हासिल की है। 

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