प्रकाशित - 15 Jul 2024 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा
Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana : प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को लेकर एक बहुत ही राहत भरी खबर सामने आई है। अब प्रदेश के किसानों को जल्द फसल बीमा का मुआवजा दिया जाएगा। इसके लिए पिछले दिनों हुई समीक्षा बैठक में प्रमुख शासन सचिव ने बीमा कंपनी के प्रतिनिधियों को निर्देश दिए हैं कि वे किसानों को जल्द फसल बीमा के मुआवजे का भुगतान करें ताकि उन्हें राहत मिल सके। बैठक में प्रमुख शासन सचिव ने कंपनी प्रतिनिधियों से कहा है कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में लंबित प्रकरणों को तुरंत प्रभाव से पूरा कर बीमित किसानों को मुआवजे का लाभ जल्द से जल्द दिया जाए।
प्रमुख शासन सचिव ने बैठक में कहा कि खरीफ 2023 का अब तक 887 करोड़ रुपए का क्लेम किसानों को वितरित किया जा चुका है। अब शेष मुआवजा राशि का भुगतान भी जल्द किया जाएगा। उन्होंने बताया कि रबी 2023-24 के लिए बीमा कंपनियों को दी जाने वाली सब्सिडी (Subsidy) में से करीब 461 करोड़ रुपए की स्वीकृति जारी की जा चुकी है। बैठक में रबी 2023-24 के फसल कटाई प्रयोगों में आ रही आपत्तियों का भी जल्द निस्तारण करने के निर्देश दिए गए।
राजस्थान सरकार के प्रमुख शासन सचिव कृषि एवं उद्यानिकी वैभव गालरिया ने कंपनियों को निर्देशित किया है कि वे जल्द से जल्द किसानों के बकाया क्लेम का निपटारा करें। प्रमुख सचिव कृषि एवं उद्यानिकी ने बीमा कंपनियों को यह निर्देश बीते दिनों पंत कृषि भवन में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana) की बीमा कंपनियों के प्रतिनिधियों के साथ हुई समीक्षा बैठक के दौरान दिए। बैठक में आयुक्त कृषि कन्हैयालाल स्वामी, संयुक्त निदेशक कृषि (फसल बीमा) मुकेश कुमार माथुर, उप निदेशक कृषि (फसल बीमा) डॉ. रामदयाल यादव, उप निदेशक कृषि (फसल बीमा), रेखा कुमावत, विभागीय अधिकारी तथा राज्य में कार्यरत बीमा कंपनियां: क्षेमा जनरल इन्श्योरेन्स कंपनी, रिलायंस जनरल इन्श्योरेंस कंपनी और एग्रीकल्चर इन्श्योरेंस कंपनी ऑफ इंडिया लिमिटेड के प्रतिनिधि मौजूद रहे।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana) के तहत किसानों को बीमा क्लेम का भुगतान बीमा क्षेत्र के अनुसार अधिसूचित की गई फसल पर ही दिया जाता है। सामान्यत: बीमा कंपनियां जिन फसलों पर बीमा क्लेम प्रदान करती है, वे इस प्रकार से हैं-
अनाज फसलें : धान, गेहूं, बाजरा आदि।
नकदी फसलें : कपास, गन्ना, जूट आदि।
दलहन फसलें : मटर, चना, मूंग, अरहर, उड़द, सोयाबीन, लोबिया आदि।
तिलहन फसलें : तिल, सरसों, मूंगफली, बिनौला, सूरजमुखी, कुसुम, अलसी, तोरिया, नाइजर सीडस आदि।
बागवानी फसलें : केला, सेब, आम, संतरा, अमरूद, पपीता, लीची, अनानास, चीकू, मटर, टमाटर, आलू, प्याज, अदरक, फूलगोभी, हल्दी आदि।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत किसानों को दावा राशि का भुगतान तब किया जाता है जब उनके द्वारा इसका बीमा क्लेम किया जाता है। बीमा क्लेम की प्रक्रिया फसल की अलग-अलग परिस्थितियों में अलग- अलग होती है।
बीमित क्षेत्र को बुवाई/रोपण/अंकुरण से घाटे की बारिश या प्रतिकूल मौसम की स्थिति के कारण रोका जाता है। इस स्थिति में बीमा राशि का 25 प्रतिशत भुगतान किया जाता है और पॉलिसी समाप्त हो जाती है।
इसके तहत गैर-रोकथाम योग्य जोखिमों के कारण उपज के नुकसान को कवर करने के लिए व्यापक जोखिम बीमा प्रदान किया जाता है। सूखा, बाढ़, व्यापक कीट, रोग का दौरा, भूस्खलन, प्राकृतिक कारण से आग, बिजली, तूफान और चक्रवात से नुकसान को कवर किया जाता है।
कटाई से केवल दो सप्ताह की अधिकतम अवधि तक कवरेज मिलता है। यह कवरेज उन फसलों के लिए मिलता है जिन्हें हेल्स्टॉर्म, चक्रवात, चक्रवाती बारिश और बारिश के विशिष्ट खतरों के खिलाफ कटाई के बाद खेत में कटे और फैले/ छोटे बंडल स्थिति में सूखने की आवश्यकता होती है।
अधिसूचित क्षेत्र में अलग-अलग खेतों को हल्का करने के कारण ओलावृष्टि, भूस्खलन, बाढ़, बादल फटने और प्राकृतिक आग के पहचाने गए स्थानीय जोखिम की घटना के परिणामस्वरूप अधिसूचित बीमित फसलों को नुकसान या क्षति होने पर बीमा कवर मिलता है।
राज्यों को जंगली जानवरों द्वारा हमले के कारण फसल नुकसान के लिए कवरेज प्रदान करने पर विचार किया जा सकता है, जहां जोखिम पर्याप्त माना जाता है और पहचान योग्य है।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana) को युद्ध और परमाणु जोखिम, दुर्भावनापूर्ण क्षति और अन्य रोके जाने योग्य जोखिमों से उत्पन्न होने वाले नुकसानों से बाहर रखा गया है।
रोका बुवाई/रोपण/अंकुरण जोखिम व मिड सीजन की प्रतिकूलता के मामले में क्षेत्र आधारित दृष्टिकोण लागू होता है। इसमें व्यक्तिगत रूप किसान को सम्मिलित करने की आवश्यकता नहीं होती है। इसमें राज्य सरकार द्वारा अनुमानित नुकसान के आधार पर बीमा क्लेम दिया जाता है। इसमें राज्य सरकार की द्वारा बीमा कंपनी को नुकसान की रिपोर्ट भेजी जाती है।
पोस्ट हार्वेस्ट नुकसान/स्थानीयकृत आपदाओं के मामले में फसल क्षति का आकलन व्यक्तिगत बीमाकृत कृषि स्तर के आधार पर किया जाता है। इसमें किसान या नामित एजेंसियों को नुकसान की जानकारी दर्ज कराना आवश्यक है। किसान को 72 घंटे के अंदर बीमा कंपनी, संबंधित बैंक, स्थानीय कृषि विभाग या जिला अधिकारियों या बीमा कंपनी के टोल फ्री नंबर या राष्ट्रीय फसल बीमा पोर्टल पर फसल नुकसान की सूचना देना जरूरी होता है।
फसल नुकसान की सूचना देने के बाद कृषि विभाग और बीमा कंपनी के अधिकारी या प्रतिनिधि द्वारा किसान के खेत का सर्वे कर नुकसान का आकलन किया जाता है। किसान से बीमा क्लेम का फॉर्म भरवाया जाता है। इसके बाद कंपनी की ओर से किसानों को बीमा क्लेम का भुगतान किया जाता है।
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