प्रकाशित - 29 Mar 2023 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा
असम के कृषि मंत्री अतुल बोरा ने कहा है कि पूर्वोत्तर या नार्थ ईस्ट राज्यों में कृषि तकनीक का बेहद अभाव है, यहां के किसानों के पास पूंजी की कम उपलब्धता राज्य के लिए चुनौती है। असम में जैविक खेती की बहुत ज्यादा संभावनाएं है। असम की उपजाऊ मिट्टी का इस्तेमाल यदि जैविक उत्पादों के उत्पादन हेतु किया जाए तो असम के किसानों की आय में काफी बढ़ोतरी हो सकती है। अतुल बोरा ने कहा कि फर्टिलाइज़र, पेस्टिसाइड्स या कीटनाशक एवं अन्य केमिकल्स के ज्यादा उपयोग से मिट्टी की गुणवत्ता लगातार कम हो रही है। कृषि मंत्री कहते हैं, पहाड़ी क्षेत्रों में आदिवासी किसान दशकों से जैविक खेती (Organic Farming) करते आ रहे हैं, बस इन किसानों को जैविक खेती के वैज्ञानिक पद्धति को अपनाने के लिए प्रोत्साहन दिया जाएगा तो इन किसानों का उत्पादन बहुत बढ़ सकता है। जैविक खेती की वैज्ञानिक तकनीक किसानों के नेचुरल फार्मिंग को आसान बनाएगी।
बोरा आगे कहते हैं, क्लाइमेट चेंज के नकारात्मक प्रभाव की वजह से एग्रीकल्चर सेक्टर काफी प्रभावित हुआ है। चूंकि असम राज्य के ज्यादातर किसान छोटे और सीमान्त कैटेगरी में आते हैं, इसलिए नेचुरल फार्मिंग उनके लिए बेस्ट होगा यदि किसानों को जैविक खेती की सही तकनीक प्रदान किया जाए तो असम के किसान इस फील्ड में काफी आगे बढ़ सकते हैं क्योंकि रासायनिक खेती में दिन प्रति दिन बढ़ती लागत से काफी किसान परेशान हैं। अतः जैविक खेती में समग्र, सुरक्षित एवं टिकाऊ प्रबंधन की आवश्यकता है। मंत्री ने एक्सपर्ट को निर्देश देते हुए कहा है कि वे इस काम में जुट जाएं। बता दें कि सरकार देश में जैविक खेती को प्रोत्साहन दे रही है। इसके लिए किसानों को सरकार से अनुदान भी दिया जाता है।
नेचुरल फार्मिंग को ही हिंदी में जैविक खेती भी कहा जाता है। भारत में उपभोक्ता लगातार जैविक उत्पादों की मांग कर रहे हैं। रासायनिक पद्धति से की गई खेती से मिले उत्पादों का क्रेज मार्केट में कम हो रहा है। बहुत से किसान नेचुरल फार्मिंग (Natural Farming) की तरफ जा रहे हैं। बता दें कि नेचुरल फार्मिंग से पैदा होने वाले उत्पाद की कीमत मार्केट में कई गुना है। नेचुरल फार्मिंग को ही आर्गेनिक फार्मिंग भी कहा जाता है, आप मार्केट में आर्गेनिक उत्पाद का टैग वाले प्रोडक्ट देखे होंगे, इन प्रोडक्ट्स की कीमत सामान्य कृषि उत्पादों की कीमत से अधिक होते हैं। अतः किसान जैविक उत्पादों की खेती कर अपना आय बढ़ा सकते है। नेचुरल फार्मिंग या जैविक खेती में रासायनिक खाद की जगह जैविक खाद का उपयोग किया जाता है। कई बार कुछ किसान ऐसा सोचते हैं कि आखिर जैविक खाद उपयोग करने के क्या फायदे हैं? जैविक खेती उन्हें क्यों करना चाहिए, तो आपको बता दें कि जैविक खेती से आपकी आय में वृद्धि तो होती ही है, साथ ही भूमि की उर्वरा शक्ति भी बढ़ती है। बहुत लोगों का एक सवाल ये भी होता है कि जैविक खेती में कौन-कौन सी फसल आती हैं, तो आपको बता दे कि जैविक खेती में आप अधिकांश फसल पैदा कर सकते हैं, जैविक खेती के माध्यम से कई फसलें जैसे चना, गेहूं, मक्का, दलहन की और सारी फसलें, तिलहन में सरसों आदि फसलें पैदा कर सकते हैं। हालांकि किसान भाई एक चीज पर गौर कर सकते हैं कि मार्केट में किस फसल की डिमांड ज्यादा है, अधिक डिमांड वाले फसलों के उत्पादन से किसान अपनी फसल के ज्यादा दाम प्राप्त कर सकते हैं।
जैविक खेती के फायदों की बात करें तो इस खेती में आप कम लागत में अच्छा उत्पादन कर सकते हैं। इसके अलावा इस खेती से पैदा हुए उत्पाद को डेढ़ गुना या दो गुना दाम में बेच सकते हैं। यही वजह है कि किसानों में नेचुरल फार्मिंग या जैविक खेती की लोकप्रियता बढ़ रही है। जैविक उत्पादों का बड़ा लाभ उपभोक्ताओं को भी मिलता है, जहरीले रासायनिक खाद का अधिक उपयोग, किसानों के उत्पाद को उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य के प्रतिकूल बनाती है। उपभोक्ता का रुझान जैविक खेती की और तेजी से बढ़ा है। इसके और भी लाभ हैं जैसे , मिटटी में कीटों के जीवन पर भी गलत असर नहीं पड़ता। केंचुए को किसान का मित्र कहा गया है, रासायनिक उत्पाद के अधिक उपयोग से केंचुओं की लाइफ पर भी बुरा असर पड़ता है, लेकिन जैविक खाद से खेत में केचुओं की संख्या बढ़ जाती है, जो मिट्टी को भुरभुरी कर पोषक तत्वों से परिपूर्ण करती है। इसके अलावा मिट्टी की जलधारण क्षमता में भी बढ़ोतरी होती है।
जैविक खेती करने की सही प्रक्रिया ये होगी कि आप अपने क्षेत्र कि मिट्टी और जलवायु को समझ कर खेती का चुनाव करें। किसान यदि अपने यहां की जलवायु को समझकर कृषि सलाहकार की मदद से खेती की शुरुआत करें, सबसे पहले अपने मिट्टी का परीक्षण करवाएं। फार्मिंग की शुरुआत प्रशिक्षण से करें। यदि सम्भव हो तो नजदीकी कृषि विश्वविद्यालय विजिट करें और वहां खेती से सम्बंधित सलाह लें।
जैविक खेती या आर्गेनिक खेती के साथ आप पशुपालन भी कर सकते हैं। खेती के साथ पशुपालन करना फायदे का सौदा होता है क्योंकि पशुपालन के लिए जरूरी चारा किसानों को खेती के साथ ही मिल जाता है। इसके अलावा पशुपालन से खेती के लिए जरूरी खाद भी मिल जाता है। अगर छोटा किसान एक गाय भी पालता है तो उसके साल भर की आर्गेनिक या जैविक खाद की जरुरत पूरी हो सकती है।
इसके अलावा सरकारी योजनाओं की मदद लेकर भी किसान अपनी वित्तीय जरूरतों को पूरी कर सकते हैं। देश में जैविक खेती करने पर अनुदान देने के लिए देश में बहुत सारी योजनाएं चलाई जा रही है। जैविक खेती को प्रोत्साहन देने के लिए सरकार द्वारा परंपरागत कृषि विकास योजना भी शुरू की गई है। इसके लिए सालाना लगभग 17000 रुपए प्रति हेक्टेयर का अनुदान किसानों को दिया जाता है। देश में कई राज्य, केंद्र सरकार के साथ मिलकर इस मिशन में आगे बढ़ रहे हैं। भारत का पहला जैविक राज्य सिक्किम बना है, जहां 100 % जैविक खेती की जाती है।
जैविक उत्पाद को बेचने के लिए केंद्र सरकार और कई राज्य सरकार पोर्टल बना चुकी है, भारत सरकार ने परंपरागत कृषि विकास योजना ( पीकेवीवाइ ) लाई है, जिसके तहत पीजीएस इंडिया यानि जैविक कृषि प्रमाणन प्रणाली लागू की गई, जिसके तहत किसानों को सहायता पहुंचाई जाती है। किसान अपने जैविक उत्पाद को केंद्र सरकार के नाफेड जैसे पोर्टल पर भी बेच सकते हैं। ये एक तरह से जैविक खेती बाजार या आर्गेनिक फार्मिंग मार्केट है, जिसमें किसान अपना आर्गेनिक उत्पाद बेच सकते हैं। लगातार जैविक खेती को मिल रहे प्रोत्साहन से देश में जैविक खेती का दायरा धीरे-धीरे बढ़ रहा है।
जैविक खेती से संबंधित प्रश्न और उनके उत्तर-
1 ) असम में जैविक खेती के क्या स्कोप हैं?
असम जैविक खेती के मामले में संभावनाओं से भरा राज्य है, यहां जैविक खेती के विकास असीमित संभावनाए हैं। यहां की उपजाऊ मिट्टी किसानों के जैविक खेती के लिए बेहद अनुकूल है।
2 ) जैविक खेती क्यों लोकप्रिय है?
जैविक खेती के लोकप्रिय होने का दो कारण है, एक जैविक उत्पादों की बढ़ती डिमांड क्योंकि रासायनिक उत्पादों से उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य पर गलत असर पर रहा है। दूसरा कारण ये है कि जैविक खेती से मिट्टी की उर्वरा शक्ति में वृद्धि होती है। किसान रासायनिक उत्पादों के ज्यादा उपयोग की वजह से मिट्टी कि गुणवत्ता में कमी का सामना कर रहे हैं।
3 ) जैविक खेती के लाभ एवं उद्देश्य क्या हैं?
जैविक खेती के कई फायदे हैं जैसे कम लागत, अधिक मुनाफा, रसायन रहित उत्पाद की पैदावार, मिट्टी कि उर्वरता में वृद्धि, मिट्टी में पोषक तत्वों की मात्रा बने रहना आदि। वहीं देश में जैविक खेती का उद्देश्य किसानों की आय में बढ़ोतरी करना है क्योंकि जैविक उत्पादों के मांग देश ही नहीं विदेशों में भी काफी है।
4 ) जैविक खेती पर कितना अनुदान मिलता है?
जैविक खेती पर अनुदान के लिए केंद्र सरकार ने बहुत सारी योजनाएं चला रखी हैं। केंद्र सरकार के अलावा राज्य सरकार भी जैविक खेती के लिए किसानों को अनुदान देती हैं। परंपरागत कृषि विकास योजना के तहत किसानों को हर तीन साल पर 50000 रुपए का अनुदान जैविक कृषि के लिए दिया जाता है।
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