Published - 03 Mar 2022 by Tractor Junction
केंद्र सरकार की ओर से ड्रोन को खेती में इस्तेमाल पर जोर दिया जा रहा है। इसके पीछे सरकार का उद्देश्य भारतीय कृषि को हाईटेक बनाना है। ड्रोन के इस्तेमाल से किसानों को कम समय में अधिक उत्पादन प्राप्त करने में सहायता मिलेगी। जैसा कि अब ड्रोन को कृषि यंत्रों की सूची में शामिल कर लिया गया है और इसके लिए सरकार की ओर से किसानों को सब्सिडी दी जा रही है। ये सब्सिडी अलग-अलग राज्यों में वहां की सरकार द्वारा तय किए मानदंडों के हिसाब से अलग-अलग हो सकती है। मध्यप्रदेश में किसानों को ड्रोन खरीदने के लिए 5 लाख रुपए तक की सब्सिडी दी जा रही है।
भारत सरकार ने सब मिशन ऑन एग्रीकल्चर मैकेनाईजेशन (एसएमएएम) योजना के तहत कृषि यंत्रों की सूची में ड्रोन को शामिल किया है। जिसके तहत ड्रोन खरीदने पर अनुसूचित जाति, जनजाति, लघु-सीमांत तथा महिला कृषकों को प्रति यंत्र लागत का 50 प्रतिशत या अधिकतम 5 लाख रुपए अनुदान प्रदान किया जाएगा। वहीं अन्य कृषकों को लागत का 40 प्रतिशत या अधिकतम 4 लाख रुपए अनुदान दिया जाएगा। भारत सरकार के निर्देशों के अनुसार प्रदेश में ड्रोन निर्माताओं का पंजीयन किया जाएगा।
मीडिया में जारी खबरों के अनुसार म.प्र. कृषि अभियांत्रिकी के संचालक राजीव चौधरी ने बताया कि प्रदेश में ड्रोन संचालन के लिए योजना तैयार की जा रही है जिसके तहत कस्टम हायरिंग केंद्रों का विस्तार किया जा रहा है। इन केंद्रों पर ड्रोन भी उपलब्ध होंगे जिसे किसान किराए पर भी ले सकेंगे। उन्होंने बताया कि प्रदेश में 3150 कस्टम हायरिंग केन्द्र कार्य कर रहे हैं। यहां सभी प्रकार के कृषि यंत्र उपलब्ध हैं जिसे छोटे एवं मध्यम किसान किराए पर लेते हैं। उन्होंने बताया कि कस्टम हायरिंग सेंटर के माध्यम से किसानों को खेत तैयार करने, बोवनी और कटाई के लिए यंत्र किराए पर मिलते हैं। अब इसमें ड्रोन सेवा को भी शामिल किया जा रहा है। इसके लिए ड्रोन सेवा का संचालन करने के इच्छुक केंद्रों के प्रस्ताव लेकर बैंकों को ऋण स्वीकृति के लिए भेजे जाएंगे। साथ ही, अनुदान भी दिलाया जाएगा। ड्रोन डीजीसीए (नागर विमानन महानिदेशालय) से मान्यता प्राप्त संस्था से ही लिए जाएंगे। इसके लिए अनुबंध किया जाएगा।
चौधरी ने बताया कि प्रदेश में अभियांत्रिकी संचालनालय के तहत वर्तमान में 5 कौशल विकास केंद्र चल रहे है। जहां युवा एवं बेरोजगारों को ट्रैक्टर, हारवेस्टर चलाने का प्रशिक्षण दिया जाता है। यह केंद्र भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर, सागर एवं सतना में है। शीघ्र ही 6वां कौशल विकास केन्द्र इंदौर में खोला जाएगा। उन्होंने बताया कि इन केंद्र पर अन्य उपकरणों के साथ अब ड्रोन उड़ाने एवं उसके रखरखाव का प्रशिक्षण दिया जाएगा। यह प्रशिक्षण ड्रोन निर्माता कंपनियां देंगी।
नागर विमानन मंत्रालय (एमओसीए) और नागर विमानन महानिदेशक (डीजीसीए) द्वारा सशर्त छूट सीमा के माध्यम से ड्रोन परिचालन की अनुमति दी जा रही है। एमओसीए ने भारत में ड्रोन के उपयोग और संचालन को विनियमित करने के लिए 25 अगस्त, 2021 को जीएसआर संख्या 589 (ई) के माध्यम से ‘ड्रोन नियम 2021’ प्रकाशित किए थे। कृषि एवं किसान कल्याण विभाग कृषि, वन, गैर फसल क्षेत्रों आदि में फसल संरक्षण के लिए उर्वरकों के साथ ड्रोन के उपयोग और मिट्टी तथा फसलों पर पोषक तत्वों के छिडक़ाव के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) भी लाई गई हैं। प्रदर्शन करने वाले संस्थानों और ड्रोन के उपयोग के माध्यम से कृषि सेवाओं के प्रदाताओं को इन नियमों/ विनियमों और एसओपी का पालन करना होगा।
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