प्रकाशित - 12 Sep 2022
सरकार की ओर से किसानों को पारंपरिक फसलों के साथ ही बागवानी फसलों जिनमें फल और सब्जियों की खेती को प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसके लिए सरकार की ओर से किसानों को सब्सिडी दी जा रही है। इसी कड़ी में बिहार सरकार की ओर से किसानों को पपीते की खेती के लिए 75 प्रतिशत सब्सिडी दी जा रही है। यह जानकारी बिहार कृषि विभाग के आधिकारिक ट्वीटर अकाउंट में साझा की गई है। इसमें कहा गया है कि पपीता की खेती करने वाले किसानों के लिए सुनहरा मौका है। एकीकृत बागवानी विकास मिशन एमआईडीएच योजना के अंतर्गत पपीता प्रति इकाई के लिए सरकार 75 प्रतिशत का अनुदान दिया जा रहा है। राज्य के किसान इस योजना के तहत आवेदन करके अनुदान पर पपीते की खेती कर सकते हैं। बता दें कि पपीते की बाजार मांग अच्छी होने से किसानों को इसके अच्छे भाव मिल जाते हैं। इससे उन्हें बेहतर मुनाफा हो सकता है।
पपीते की खेती (Papaya Farming) शुरू करने के लिए बिहार सरकार की ओर से यहां के किसानों को सब्सिडी का लाभ दिया जा रहा है। इस योजना का लाभ प्राप्त करने के लिए किसान बिहार सरकार की आधिकारिक वेबसाइट horticulture.bihar.gov.in में जाकर अपना आवेदन कर सकते हैं। वहीं इस योजना के संबंध में अधिक जानकारी के लिए अपने जिले के सहायक निदेशक उद्यान से संपर्क कर सकते हैं।
फलों की बागवानी पर सब्सिडी के लिए आवेदन हेतु किसानों को जिन दस्तावेजों की आवश्यकता होगी। जो इस प्रकार से हैं-
पपीते पर सब्सिडी के लिए किसानों का चयन पहले आओ पहले पाओ के आधार पर किया जाएगा। चयनित किसान के पास सिंचाई की सुविधा उपलब्ध होनी चाहिए। किसान आधुनिक फसल उत्पादन तकनीक व बूंद-बूंद सिंचाई अपनाने पर सहमत होना चाहिए।
किसान पपीते की खेती से प्रति हेक्टेयर 2,777 पपीता के पौधे को रोपित कर प्रति पेड़ 40-50 फल तक उत्पादन ले सकते हैं। एक फल भार करीब 0.5 किग्रा. से 3.0 किग्रा. तक होता है। पपीते के एक अच्छे बाग से औसतन 300-350 क्विंटल फल प्रति हेक्टेयर प्रति वर्ष प्राप्त किया जा सकता है। इस तरह किसान प्रति हेक्टेयर पपीते की खेती पर करीब 60 से 65 हजार रुपए राशि व्यय करके 5 से 6 लाख रुपए तक लाभ कमा सकते हैं। बता दें कि बिहार पपीते की खेती को शुरू करने के लिए सरकार से किसानों को 75 प्रतिशत अनुदान दिया जा रहा है।
पपीते की रेड लेडी प्रभेद प्रजाति अधिक उत्पादन देने वाली प्रजाति मानी जाती है। पपीते की इस प्रजाति का पौधा छह से सात महीने में फल देने लगता है। इसकी खेती के लिए दोमट और बलुई दोनों ही मिट्टी उपयुक्त मानी जाती है। पीपीते की खेती में इस बात का खास ध्यान रखना चाहिए कि पपीते के खेत में पानी नहीं भरना चाहिए। इसकी खेती के लिए ऊंचे खेतों का चयन किया जाना चाहिए।
पपीते की खेती (papita ki kheti) का उचित समय जुलाई से सितंबर और फरवरी से मार्च तक का माना गया है। इस अवधि में पीपते का बीज बोने से पपीते की अच्छी पैदावार मिलती है। पपीते की खेती में सिंचाई की आवश्यकता होती है। इसलिए किसानों को इसकी खेती करने से पहले सिंचाई की व्यवस्था कर लेनी चाहिए। इसके लिए ड्रिप सिंचाई सिस्टम अपनाया जा सकता है। खेत में ड्रिप सिंचाई सिस्टम स्थापित करने के लिए सरकार से 90 प्रतिशत तक सब्सिडी का लाभ किसानों को प्रदान किया जाता है।
पपीता को विटामिन ए की प्रचुर मात्रा पाई जाती है। इसके अलावा इसमें विटामिन सी भी पाया जाता है। पपीते में अधिकांश मात्रा में पानी, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट पदार्थ, क्षार तत्व, कैल्शियम, फास्फोरस, आयरन, शर्करा आदि पोषक तत्व होते हैं। इसके अलावा पपीते में फाइबर, कैरोटिन और मिनरल्स की भरपूर मात्रा पाई जाती हैं।
पपीते खाने से हमारे शरीर को कई प्रकार के लाभ मिलते हैैं। वहीं कई रोगों से भी बचाव होता है। पपीता खाने से कुछ लाभ इस प्रकार से हैं
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