किसानों को मिलेगी 50 प्रतिशत तक हार्वेस्टर पर सब्सिडी - जानें, पूरी जानकारी

Share Product प्रकाशित - 12 Dec 2022 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा

किसानों को मिलेगी 50 प्रतिशत तक हार्वेस्टर पर सब्सिडी - जानें, पूरी जानकारी

जानें, अब कैसे मिलेगा ट्रैक टाईप पैडी हार्वेस्टर पर सब्सिडी का लाभ

किसानों खेती के लिए ट्रैक्टर सहित कई प्रकार के कृषि यंत्रों की खरीद करते हैं। इसके लिए सरकार की ओर से किसानों को सब्सिडी का लाभ भी प्रदान किया जाता है। इससे किसानों को ये यंत्र कम कीमत पर प्राप्त हो जाते हैं। किसानों को कृषि यंत्र खरीदने के लिए अलग-अलग राज्य सरकारें अपने यहां निर्धारित नियमों के अनुसार सब्सिडी का लाभ प्रदान करती है। इसी कड़ी में मध्यप्रदेश सरकार की ओर से किसानों की बढ़ती मांग को देखते हुए हार्वेस्टर कृषि यंत्र को ऑन डिमांड श्रेणी से अलग कर दिया है। अब किसान इसे बिना ऑन डिमांड के भी प्राप्त कर सकेंगे।

अभियांत्रिकी संचालनालय, मध्यप्रदेश भोपाल द्वारा दी गई सूचना के अनुसार ट्रैक टाईप पैडी हार्वेस्टर को ‘ऑन डिमांड श्रेणी‘ से पृथक कर दिया गया है। इसका कारण इस यंत्र का किसानों के बीच लोकप्रिय होना है। उल्लेखनीय है कि कृषि अभियांत्रिकी संचालनालय द्वारा पूर्व में ‘ऑन डिमांड श्रेणी के तहत किसानों से अनुदान पर ट्रैक टाईप पैडी हार्वेस्टर प्राप्त करने के आवेदन मांगे गए थे। किसानों से 210 ट्रैक टाईप पैडी हार्वेस्टर के आवदेन प्राप्त हुए हैं तथा 50 से अधिक किसानों द्वारा दूरभाष पर आवेदन की इच्छा दर्शायी गई है। समुचित रूप से लोकप्रिय होने के कारण इस यंत्र को ‘ऑन डिमाण्ड श्रेणी‘ से पृथक कर दिया गया है। यह सूचना कृषि अभियांत्रिकी विभाग के ई-कृषि यंत्र अनुदान पोर्टल पर देखी जा सकती है। 

क्या ट्रैक टाईप पैडी हार्वेस्टर (Track Type Paddy Harvester)

ट्रैक टाईप पैडी हार्वेस्टर धान की फसल को काटने और दाना अलग करने के काम आता है। यह हार्वेस्टर दो प्रकार के आते हैं। एक स्वचालित कंबाइन हार्वेस्टर और ट्रैक्टर चालित कंबाइन हार्वेस्टर। स्वचालित कंबाइन हार्वेस्टर में ट्रैक्टर की आवश्कयता नहीं पड़ती है। इसके अंदर मशीन फीट रहती है जिसकी सहायता से ये काम करता है। वहीं ट्रैक्टर चालित हार्वेस्टर को ट्रैक्टर के साथ जोडक़र चलाया जाता है। बता दें कि इस प्रकार के हार्वेस्टर को कंबाइन हार्वेस्टर इसलिए कहा जाता है, क्योंकि इससे फसल कटाई, थ्रेसिंग और विनोइंग काम एक साथ किया जाता है। इसलिए इसे कंबाइन हार्वेस्टर (Tractor Combine Harvesters) कहते है।

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ट्रैक टाईप पैडी हार्वेस्टर पर कितनी मिलती है सब्सिडी

सरकार की ओर से किसानों को हार्वेस्टर खरीदने के लिए सब्सिडी का लाभ प्रदान किया जाता है। ये अलग-अलग राज्यों में वहां के नियमानुसार दिया जाता है। सामान्यत: हार्वेस्टर पर लघु, सीमांत किसानों जिसमें अनसूचित जाति, जनजाति व महिला किसान शामिल हैं, को 50 प्रतिशत तक सब्सिडी का लाभ प्रदान किया जाता है। वहीं सामान्य वर्ग के किसानों को 40 प्रतिशत सब्सिडी दी जाती है।

कितनी होती है ट्रैक टाइप पैडी हार्वेस्टर की कीमत

“ट्रैक टाइप पैडी हार्वेस्टर” का कीमत करीब 25 लाख रुपए तक होती है, किसान इसमें अपने स्तर पर डीलर से मोलभाव भी कर सकते हैं। जिसपर सरकार की ओर से अधिकतम 50 प्रतिशत तक की सब्सिडी दी जाती है। जो ट्रैक टाइप 6-8 फ़ीट कटरबार के लिए अधिकतम 11,00,000 लाख रुपए की राशि एवं ट्रैक टाइप 6-8 फ़ीट कटरबार से कम के लिए अधिकतम 7,00,000 रुपए तक का अनुदान दिया जाता है।

ट्रैक टाइप पैडी हार्वेस्टर के लिए अब कैसे करना होगा आवेदन

ट्रैक टाइप पैडी हार्वेस्टर के लिए किसानों को अब लक्ष्य के अनुसार आवेदन करना होगा। इसके लिए मध्यप्रदेश सरकार की ओर से जिलावार लक्ष्य निर्धारित किया जाएगा। इसके बाद किसानों से आवेदन आमंत्रित किए जाएंगे। किसान इसमें आवेदन करके ट्रैक टाइप पैडी हार्वेस्टर पर सब्सिडी का लाभ उठा सकेंगे। किसानों का चयन लॉटरी के माध्यम से किया जाएगा। लॉटरी (Lottery) में चयनित किसानों ट्रैक टाइप पैडी हार्वेस्टर की खरीद पर सब्सिडी का लाभ दिया जाएगा।

ट्रैक टाइप पैडी हार्वेस्टर के लिए आवेदन हेतु आवश्यक दस्तावेज

किसानों को सब्सिडी पर कृषि यंत्र लेने के लिए ऑनलाइन आवेदन करना होता है। इसके लिए उन्हें कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेजों की आवश्यकता होगी, जो इस प्रकार से हैं-

  • बैंक ड्राफ़्ट की स्कैन कॉपी
  • आधार कार्ड (Aadhaar Card) की कॉपी
  • बैंक पासबुक के प्रथम पृष्ठ की कॉपी
  • सक्षम अधिकारी द्वारा जारी जाति प्रमाण पत्र (केवल अनुसूचित जाति एवं जनजाति के किसानों हेतु)
  • बी-1 की प्रति
  • ट्रैक्टर रजिस्ट्रेशन (ट्रैक्टर से चालित कृषि यंत्रों के लिए किसान के पास पहले से ट्रेक्टर होना जरूरी है)।

किसानों आवेदन के समय बैंक ड्राफ़्ट की स्कैन कॉपी लगाना भी अनिवार्य है। आवेदन के बाद यदि किसान का चयन योजना के तहत हो जाता है तो कृषि अधिकारियों के द्वारा इन दस्तावेज़ों की जांच कर सत्यापन किया जाता है। 

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