दूध गंगा योजना : किसानों को डेयरी फार्मिंग बिजनेस के लिए मिलेंगे 24 लाख रुपए

Share Product प्रकाशित - 26 Jul 2022 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा

दूध गंगा योजना : किसानों को डेयरी फार्मिंग बिजनेस के लिए मिलेंगे 24 लाख रुपए

जानें, क्या है राज्य सरकार की दूध गंगा योजना और इससे कैसे मिलेगा लाभ

देश में दूध उत्पादन बढ़ाने को लेकर सरकार की ओर से कई प्रकार की योजनाएं चलाई जा रही हैं। आज भी जितनी दूध की खपत है उतना दूध का उत्पादन देश में नहीं हो रहा है। पशुधन को समृद्ध बनाने को लेकर सरकार की ओर से विभिन्न योजनाओं के माध्यम से किसानों को लाभ प्रदान किया जाता है। इसके तहत किसानों को कम ब्याज पर ऋण और सब्सिडी का लाभ प्रदान किया जाता है। ये सब्सिडी अलग-अलग राज्य सरकारें अपने स्तर पर प्रदान करती हैं। इस कार्य में नाबार्ड की अहम भूमिका रहती है। इसी कड़ी में हिमाचल प्रदेश सरकार की ओर से राज्य में दूध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए दूध गंगा योजना शुरू की गई है। इसके तहत किसानों को दुधारू पशु पालने से लेकर इसके बड़े स्तर पर बिजनेस करने तक में सहयोग प्रदान किया जाएगा। इसके तहत किसानों को अधिकतम 24 लाख रुपए तक का ऋण प्रदान किया जाएगा जिस पर सब्सिडी का लाभ दिया जाएगा। इस तरह राज्य के किसान इस योजना का लाभ लेकर दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए साथ ही इससे अच्छी कमाई कर सकते हैं। आज हम आपको ट्रैक्टर जंक्शन के माध्यम से हिमाचल प्रदेश की दूध गंगा योजना के बारे में जानकारी दे रहे हैं। 

क्या है दूध गंगा योजना (Doodh Ganga Yojana)

राज्य में दूध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए हिमाचल प्रदेश सरकार की ओर से दूध गंगा योजना की शुरुआत की गई है। इस योजना के तहत राज्य सरकार की ओर से सब्सिडी का लाभ राज्य के किसानों को प्रदान किया जाएगा। यह सब्सिडी उत्तम नस्ल की गाय व भैंस खरीदने के लिए प्रदान की जाती है। यह योजना कई वर्षों से चल रही है। इस योजना को भारत सरकार के पशुपालन विभाग की ओर से डेयरी उद्यम पूंजी योजना के रूप में राष्ट्री कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) के माध्यम से शुरू किया गया था। इस योजना के तहत डेयरी फार्मिंग में लगे सूक्ष्म उद्यमों को संगठित डेयरी व्यवसाय उद्यमों में बदलना है। बता दें कि डेयरी वैंचर कैपिटल फंड (दूध गंगा परियोजना) सितंबर, 2010 में इस परियोजना के आर्थिक सहायता के स्वरूप में बदलाव किया गया। इसके बाद इसका नया नाम डेयरी एंटरप्रेन्योरशिप डेवलपमेंट स्कीम (डीईडीएस) रखा गया है। जिसमें ब्याज युक्त ऋण के बदले उपदान (छूट) देने की व्यवस्था है।

क्या है दूध गंगा योजना के उद्देश्य

  • स्वच्छ दूध उत्पादन के लिए आधुनिक डेयरी फार्म तैयार करना।
  • उत्तम नस्ल के दुधारू पशुओं को तैयार करने तथा उनके संरक्षण हेतु बछड़ी पालन को प्रोत्साहन देना।
  • असंगठित क्षेत्र में आधारभूत बदलाव लाकर दूध के आरंभिक उत्पादों को गांव स्तर पर ही तैयार करवाना।
  • दूध उत्पादन के परंपरागत तरीकों को उन्नत कर व्यावसायिक स्तर पर लाना।
  • स्वरोजगार उत्पन्न करना तथा असंगठित डेरी क्षेत्र को मूलाधार सुविधा देना।

दूध गंगा योजना में कितनी मिलती है सब्सिडी

दूध गंगा योजना के तहत एससी, एसटी वर्ग के किसानों को 33 फीसद व सामान्य वर्ग के किसानों को 25 प्रतिशत सब्सिडी मिलती है। राज्य सरकार की ओर से इस योजना के तहत अतिरिक्त सब्सिडी का भी प्रावधान किया गया है। केंद्र के अलावा किसानों को राज्य सरकार की ओर से देशी गाय व भैंस खरीदने पर 20 प्रतिशत और जर्सी गाय खरीदने पर 10 प्रतिशत अतिरिक्त सहायता भी प्रदान की जाती है। 

इस परियोजना के तहत दी जाने वाली सब्सिडी के लिए निम्नलिखित प्रावधान किए गए हैं-

1. इस योजना के तहत किसानों को 2 से 10 दुधारू पशुओं के लिए 5 लाख रुपए तक का ऋण प्रदान किया जाता है। 
2. 5 से 20 का बछड़ा पालन के लिए 4.80 लाख रुपए का ऋण मिल सकता है।
3. वर्मी कम्पोस्ट (दुधारू गायों के इकाई के साथ जुड़ा होगा) के लिए 0.20 लाख रुपए का ऋण दिया जाता है।
4. दूध दोहने की मशीन/मिल्कोटैस्टर/ बड़े दूध कूलर इकाई (2000 लीटर तक) के लिए 18.00 लाख रुपए का ऋण प्रदान करना।
5. दूध से देसी उत्पाद बनाने की इकाइयों के लिए 12.00 लाख तक ऋण मिल सकता है। 
6. दूध उत्पादों की ढुलाई तथा कोल्ड चैन सुविधा के लिए 24.00 लाख रुपए तक ऋण प्रदान किया जाता है।
7. दूध व दूध उत्पादों के शीत भंडारण यानि कोल्ड स्टोरेज के लिए 30.00 लाख रुपए तक ऋण दिया जाता है।
8. निजी पशु चिकित्सा इकाइयों के लिए ऋण व्यवस्था-
(क) मोबाइल इकाई के लिए 2.40 लाख रुपए का ऋण दिया जाता है।
(ख) स्थाई इकाई के लिए 1.80 लाख रुपए तक ऋण मिल सकता है।
9. दूध उत्पाद बेचने हेतू बूथ स्थापना के लिए 0.56 लाख रुपए तक ऋण दिया जाता है।

  • इस योजना में सामान्य वर्ग के लिए 25 प्रतिशत तथा अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के पशुपालकों को ऋण पर 33.33 प्रतिशत अनुदान अंत में समायोजित करने का प्रावधान है।
  • उपरोक्त सभी मदों पर ऋणदाता को कुल ऋण की 10 प्रतिशत सीमांत राशि अग्रिम रूप में संबंधित बैंक में जमा करवाई जाती है।

50 प्रतिशत ऋण होगा ब्याज मुक्त

इस योजना के तहत स्वयं सहायता समूहों को 10 पशुओं के डेयरी फार्म के लिए 3 लाख रुपए की लागत से ऋण प्रदान किया जाता है। इसमेें 50 प्रतिशत ऋण ब्याज मुक्त होता है यानि केवल डेढ लाख रुपए की राशि पर ही ब्याज चुकाना होता है।

कौन ले सकता है इस योजना का लाभ

  • इस योजना का व्यक्ति विशेष, स्वयं सहायता समूह, गैर सरकारी संगठन, दुग्ध संगठन, दुग्ध सहकारी सभाएं, तथा कंपनियां इत्यादि लाभ उठा सकती है।
  • इस परिवार के एक से ज्यादा सदस्य भी इस योजना के अंतर्गत अलग-अलग इकाइयां अलग-अलग स्थानों पर स्थापित करके इस योजना का लाभ उठा सकते हैं बशर्ते उनके द्वारा स्थापित इकाइयों की आपस की दूरी कम से कम 500 मीटर की हो।

कैसे उठा सकते इस योजना का लाभ

इस योजना का लाभ लेने के लिए आप हिमाचल प्रदेश की आधिकारिक पशुपालन वेबसाइट hpagrisnet.gov.in/hpagris/AnimalHusbandry पर जा सकते हैं। यहां आप इस योजना के संबंध में विस्तारपूर्वक जानकारी ले सकते हैं साथ ही इस योजना का लाभ भी उठा सकते हैं।

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