Published - 02 Jan 2021 by Tractor Junction
किसानों को अब पेड़ गिरवी रख कर लोन मिल सकेगा। शायद आपको सुनने में कुछ अजीब सा लग रहा होगा। पर यह सही है। जी, हां अब आप पेड़ लगाकर लोन प्राप्त कर सकते हैं, वो भी बिना ब्याज के। हाल ही में केरल के एक गांव में किसानों के लिए इस खास योजना की शुरुआत की गई है। इस योजना का मकसद पेड़ों की संख्या बढ़ा कर पर्यावरण संरक्षण करना है। जैसा कि हम सब जानते हैं कि पेड़ मानव जीवन के लिए कितने अहम है। पेड़ों से हमें आक्सीजन मिलती है। वहीं पेड़ वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड ग्रहण कर उसका संतुलन बनाए रखते हैं। पेड़ मानव जीवन के जन्म से लेकर मृत्यु तक साथ काम आते हैं। इसलिए पेड़ों का संरक्षण करना बहुत जरूरी है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए पेड़ गिरवी रख कर लोन वाली ये ट्री बैंकिंग योजना केरल राज्य के वायनाड जिले के मीनांगडी पंचायत में शुरू हुई है, जिसमें 33 हजार लोग हैं।
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ये खास योजना राज्य के वित्त मंत्री टीएम थॉमस इसाक के दिमाग में आई थी, जिसे हाल ही में लॉन्च किया गया है। ट्री बैंक में एक किसान को 5,000 रुपए का चेक देकर इस योजना का शुभारंभ किया गया। बता दें कि इस योजना का ऐलान फरवरी 2018 में किया गया था। तब इसाक पेरिस में हुए पर्यावरण पर एक सम्मेलन में भाग लेकर लौटे थे। उन्होंने वायनाड जिले की मीनांगडी पंचायत में इस योजना की फॉर्मेट तैयार किया था। इस योजना के लिए केरल सरकार ने पर्यावरण संरक्षण से जुड़े लोगों के साथ भागीदारी की।
योजना के तहत हर पेड़ को 10 साल की अवधि के लिए 50 रुपए प्रति सालाना के हिसाब से गिरवी रखा जा सकता है। इसलिए अगर कोई किसान अपनी जमीन पर 100 पेड़ लगाता है तो बैंक उसे कर्ज के रूप में 10 साल के लिए 5000 रुपए प्रति वर्ष देगा। योजना में लोन के ब्याज का भुगतान पंचायत द्वारा किया जाता है। किसान को सिर्फ मूल राशि का भुगतान करना होता है। ये मूल राशि भी तब लौटानी होगी अगर वे पेड़ काटने का फैसला करता है। यदि वह पेड़ नहीं काटने का विकल्प चुनता है तो लोन चुकाने की जरूरत नहीं।
राज्य सरकार ने मीनांगडी सेवा सहकारी बैंक में परियोजना के लिए 10 करोड़ रुपए का स्पेशल फंड बनाया गया है, जिसका उपयोग लोन बांटने के लिए किया जाएगा। अभी तक पंचायत के 2 वार्डों में 184 किसानों को लोन दिया गया है। पिछले दो वर्षों में पंचायत ने अपनी मनरेगा नर्सरी के माध्यम से प्राइवेट प्लांटेशन पर करीब 1.57 लाख पौधे लगाए हैं। ट्री बैंकिंग योजना के अनुसार पंचायत पहले तीन सालों के लिए पौध की देखभाल में मदद करेगी। इसके बाद इसकी जिम्मेदारी किसानों की होगी।
पंचायत ने पेड़ों की 34 प्रजातियों की लिस्ट तैयार की है जो किसान अपनी भूमि पर लगा सकते हैं। इनमें आम, कटहल और देवदार शामिल हैं। सागौन और भारतीय शीशम जैसे पेड़ों को इस परियोजना से बाहर रखा गया हैं।
राज्य सरकार को उम्मीद है कि ये योजना पर्यावरण के संरक्षण में मददगार होगी। अक्सर यह देखने में आता है कि छोटे किसान आर्थिक तंगी के चलते पैसों की आवश्यकता पडऩे पर पेड़ों को काटने और बेचने पर मजबूर हो जाते हैं। इस परियोजना के माध्यम से किसानों को पेड़ों का काटने की नहीं होगी बल्कि उनका संरक्षण करने की ओर प्रोत्साहित किया जाएगा। इस परियोजना से छोटे किसानों को अस्थाई रूप से पेड़ों की सुरक्षा के लिए फाइनेंशियल मदद मिल सकेगी। साथ ही क्षेत्र में कार्बन उत्सर्जन को घटाने में मदद मिलेगी।
वर्तमान समय में वायुमंडल में निरंतर कार्बन डाइऑक्साइड गैस का प्रतिशत बढ़ता जा रहा है। सडक़ पर चलते वाहन और फैक्ट्रियों व ईंट भट्टा से निकलता धुंआ सहित अन्य कई कारक पर्यावरण को दूषित कर रहे हैं। दिल्ली में वायु प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ा हुआ। वायु प्रदूषण की वजह से यहां रहने वाले लागों में से कई लोग सांस, अस्थिमा सहित अन्य गंभीर बीमारियों के शिकार हो रहे हैं। आज पेड़ों को लगाने और उनका संरक्षण करने की महती आवश्यकता है।
केरल राज्य से शुरू की गई इस योजना को पूरे देश लागू किया जाना चाहिए ताकि पेड़ों का संरक्षण हो सके और मानव जीवन भी प्रदूषण रहित हो सके। इस योजना को राष्ट्रीय स्तर पर चलाने की आवश्यकता है। इसके लिए केंद्र सरकार को पहल करनी चाहिए। साथ ही हम सब को भी इस मंत्र को अच्छी तरह समझ लेना चाहिए कि पेड़ है तो जीवन है।
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