प्रकाशित - 10 Jan 2023
केंद्र सरकार की ओर से किसानों की फसल नुकसान से सुरक्षा के लिए पीएम फसल बीमा योजना का संचालन किया जा रहा है। इसके तहत जिन राज्यों में ये योजना लागू है वहां इसका लाभ किसानों को प्रदान किया जा रहा है। पीएम फसल बीमा योजना के तहत हर साल काफी संख्या में किसान अपनी फसलों का बीमा कराते हैं ताकि उन्हें फसल नुकसान होने पर राहत मिल सके। बीते साल रबी सीजन में सरकार की ओर से फसल बीमा रथों के माध्यम से किसानों को अपनी रबी की फसलों का बीमा कराने के लिए प्रोत्साहित किया गया था। ऐसे में लाखों किसानों ने अपनी फसलों का बीमा करवाया है। इसी बीच राजस्थान से खबर निकल कर सामने आ रही है कि पीएम फसल बीमा योजना के तहत कई किसानों को बीते साल कम मुआवजा मिला है। इसे लेकर किसानों में असंतोष है और उन्होंने सरकार से बीमा कंपनी की ओर से कम मुआवजा दिए जाने की शिकायत की है। बता दें कि इससे पहले महाराष्ट्र के किसानों ने भी पीएम फसल बीमा योजना के तहत दिए गए मुआवजे को कम बताया था और ये खबर काफी सुर्खियों में रही थी। अब राजस्थान के बाड़मेर जिले के किसानों ने बीमा क्लेम को लेकर सवाल उठाया है। ऐसे में किसानों द्वारा कम मुआवजा मिलने की शिकायत पर सरकार ने बीमा कंपनी से रिपोर्ट मांगी है और जांच के निर्देश दिए हैं।
आज हम ट्रैक्टर जंक्शन की इस पोस्ट में किसान भाईयों को पीएम फसल बीमा (PM Fasal Bima Yojana) योजना के तहत मुआवजा राशि कम मिलने के कारणों और इसके समाधान के लिए सरकार की ओर से उठाए जा रहे कदम आदि अन्य बातों के बारे में जानकारी दे रहे हैं, साथ ही पीएम फसल बीमा योजना से संबंधित खास बातों को भी बता रहे हैं ताकि आपको फसल नुकसान पर मुआवजा राशि मिलने में आसानी हो सकें।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पीएम फसल बीमा योजना के तहत कम मुआवजा मिलने का ये मामला राजस्थान के बाड़मेर जिले का है। यहां किसानों को खरीफ की फसल में 2021 के दौरान हुए नुकसान का बहुत ही कम मुआवजा मिला है, ऐसे में यहां के किसानों ने राज्य से कम मुआवजा मिलने की शिकायत की है। बता दें कि बाड़मेर, केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी का गृह जिला है इसलिए ये मामला इन दिनों काफी सुर्खियों में है। हालांकि इस मामले को लेकर केंद्र सरकार ने जांच के निर्देश दे दिए हैं और इसे लेकर राज्य सरकार से विस्तृत रिपोर्ट भी मांगी गई है।
किसानों को कम मुआवजा मिलने के मामले को लेकर केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार की ओर से न्यूनतम मुआवजा दिए जाने के संबंध में नीति बनाई गई है, इसके तहत यदि फसल बीमा मुआवजा की राशि 1000 रुपए से कम है तो जितनी राशि कम होगी उतनी राज्य सरकार की ओर से वहन की जाएगी। इस तरह किसान को कम से कम 1000 रुपए का मुआवजा मिलेगा। उन्होनें कहा कि महाराष्ट्र सरकार की तरह ही अन्य राज्यों में भी ऐसी व्यवस्था लागू होनी चाहिए। इसके लिए अब अन्य राज्यों में भी किसानों को कम से कम 1000 रुपए बीमा क्लेम दिलवाने के लिए राज्य सरकारों के साथ चर्चा करके केंद्र की ओर से नीतिगत निर्णय लिया जाएगा। उन्होंने बताया बाड़मेर में किसानों द्वारा कम बीमा क्लेम मिलने की शिकायत के बाद केंद्र सरकार ने बीमा कंपनियों को पत्र लिखकर फसल नुकसान मुआवजा देने के तौर-तरीकों को बदलने के निर्देश दिए हैं।
पीएम फसल बीमा को किसानों के लिए सुरक्षा कवच बनाने को लेकर अभी इसमें बदलाव की जरूरत है ताकि किसान को फसल नुकसान का सही मुआवजा मिल सके और उन्हें राहत मिल सके। बता दें कि कुछ समय पहले ही केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में किसानों के हित में बदलाव करने की घोषणा की थी। ऐसे में ये तो तय है कि फसल बीमा योजना में बदलाव की गुंजाइश है और केंद्र सरकार इस योजना में जल्द बदलाव कर सकती है।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना किसानों को फसल नुकसान होने पर आर्थिक सुरक्षा प्रदान करती है। इसके लिए इस योजना के तहत रबी फसलों के लिए 1.5 प्रतिशत और खरीफ फसलों के लिए 2 प्रतिशत की प्रीमियम पर फसलों का बीमा किया जाता है। इसके अलावा बागवानी या व्यावसायिक फसलों का बीमा कराने के लिए 5 प्रतिशत प्रीमियम राशि का भुगतान करना होता है। किसान से पूरा प्रीमियम वसूल करने के बाद भी किसानों को बीमा कंपनी से कम मुआवजा देने की शिकायतें कई बार सुनने को आती है। इस पर केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री ने बताया कि ऐसा हो सकता है कि छोटा रकबा होने के कारण किसानों को कम मुआवजा मिला हो। इस योजना के तहत किसानों को मुआवजे का वितरण आवेदन के हिसाब से किया जाता है। कई मामलों में देखा गया है कि एक ही किसान के कई खेत हैं यानि एक ही किसान कई खेतों का मालिक है। ऐसे में छोटे खेतों पर मुआवजा की राशि कम और बड़े खेतों में मुआवजा की राशि अधिक होती है। यदि खातों में मुआवजे की राशि कम आती है तो किसानों में असंतोष देखने को मिलता है। ऐसी स्थिति में राज्य सरकार और बीमा कंपनियों के बीच परामर्श की जरूरत है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार पीएम फसल बीमा योजना के तहत बाड़मेर के किसानों को खरीफ सीजन 2021 के लिए दिए गए फसल नुकसान मुआवजे के संबंध में कैलाश चौधरी ने बताया कि केंद्र सरकार की ओर से किसानों को हो रही असुविधा को देखते हुए बीमा कंपनियों से फसल नुकसान पर किसानों को वितरित किए गए मुआवजा का ब्यौरा मांगा गया। इस रिपोर्ट में पाया गया कि आवेदन के अनुसार बीमित फसल का क्षेत्रफल कम होने के कारण किसानों को मुआवजा राशि कम मिली है। बता दें कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत जब कोई किसान अपना रजिस्ट्रेशन करवाता है तो अलग-अलग फसलों के लिए अलग-अलग आवेदन करना होता है और प्रत्येक आवेदन के लिए प्रीमियम और पॉलिसी की राशि भी अलग-अलग होती है, जो फसल और बीमित क्षेत्र के आधार पर निर्धारित की जाती है।
पीएम फसल बीमा योजना के नियमों के अनुसार फसल में 33 प्रतिशत से अधिक नुकसान होने पर ही किसान को मुआवजा मिलता है। यदि इससे कम फसल में नुकसान होता है तो किसी प्रकार का मुआवजा देय नहीं होता है। इसके अलावा किसान को बीमित फसल में हुए नुकसान की सूचना जिस कंपनी से किसान ने बीमा कराया है उस बीमा कंपनी को तीन दिन यानि 72 घंटे के अंदर देनी होती है। सूचना के बाद कंपनी की ओर से नियुक्त किए गए अधिकारी फसल नुकसान का सर्वे करने के लिए आते हैं और फसल में हुए नुकसान की रिपोर्ट तैयार करते हैं। इस रिपोर्ट के आधार पर ही किसानों को फसल नुकसान का मुआवजा दिया जाता है।
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