प्रकाशित - 31 Jul 2023
जलवायु परिवर्तन (Climate change) के इस दौर में किसानों को खेती-किसानी में हर साल प्राकृतिक आपदा से नुकसान उठाना पड़ रहा है। ऐसे में सरकार किसानों के हित में एक बहुत ही महत्वपूर्ण कदम उठाने जा रही है। अब किसानों को बैंक से लिए कर्ज को लेकर ज्यादा टेंशन लेने की जरूरत नहीं होगी। आर्थिक स्थिति कमजोर होने की दशा में किसान ऋण माफी (loan waiver) के लिए आयोग में आवेदन कर सकेंगे।
अक्सर सुनने और पढ़ने में आता है कि कर्ज के बोझ के कारण अमुख किसान ने आत्महत्या कर ली। इस तरह की खबरें मन को विचलित करने वाली तो होती ही हैं, साथ ही किसानों के संदर्भ में सरकार की मंशा पर भी सवाल उठाती हैं। बता दें कि राज्य सरकार पर कई बार आरोप लगते रहे हैं कि किसानों द्वारा कर्ज नहीं चुकाने पर बैंकों द्वारा उनकी जमीन कुर्क कर नीलाम कर दी गई। ऐसे में राज्य सरकार अपनी किसान हितैषी छवि बनाए रखने के लिए एक खास बिल लेकर आ रही है।
राज्य सरकार की ओर से ऋण राहत आयोग का गठन किए जाने को लेकर विधानसभा में 2 अगस्त को राजस्थान कृषक ऋण आयोग विधेयक 2023 (Rajasthan Farmers Credit Commission Bill 2023) पेश किया जाएगा। यदि इस विधेयक को मंजूरी मिल जाती है तो किसानों को कृषि ऋण (agriculture loan) के संबंध में बहुत बड़ी राहत मिल सकेगी।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार बैंक से लिए गए कर्ज को नहीं चुकाने वाले किसानों की जमीन बैंकों द्वारा नीलाम करने से बचाने के लिए राजस्थान की गहलोत सरकार राजस्थान राज्य कृषक ऋण आयोग विधेयक 2023 (Rajasthan Farmers Credit Commission Bill 2023) ला रही है। इस विधेयक को 2 अगस्त को राजस्थान विधानसभा में पेश किया जाएगा। इस विधेयक को मंजूरी मिलने पर यह कानून बन जाएगा और इसके बाद इस किसान कर्ज राहत आयोग का गठन किया जाएगा। इसके गठन होने के बाद किसानों को बहुत राहत मिलेगी।
किसान कर्ज राहत आयोग (Farmers Debt Relief Commission) के गठन होने के बाद किसानों को इससे बहुत राहत मिलेगी, खासकर उन छोटे किसानों को जो मजबूरीवश बैंक से लिए गए कर्ज को समय पर नहीं चुका पाते हैं। किसान कर्ज राहत आयोग के गठन के बाद किसानों को जो लाभ या राहत प्राप्त हो सकेंगी, वे प्रकार से हैं
किसान कर्ज राहत आयोग में अध्यक्ष सहित पांच सदस्यों को शामिल किया जाएगा। इसमें हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज अध्यक्ष होंगे। आयोग के सदस्यों में एसीएस या प्रमुख सचिव रैंक पर रहे रिटायर्ड आईएएस, जिला और सेशन कोर्ट से रिटायर्ड जज, बैंकिंग सेक्टर में काम कर चुके अधिकारी के अलावा एक एग्रीकल्चर एक्सपर्ट को भी सदस्य के रूप मे शामिल किया जाएगा। वहीं सहकारी समितियों के एडिशनल रजिस्ट्रार स्तर के अधिकारी को इसका सदस्य सचिव बनाया जाएगा।
किसान कर्ज राहत आयोग का कार्यकाल तीन साल का होगा। इसमें आयोग के अध्यक्ष और मेंबर का कार्यकाल भी तीन वर्ष का ही रहेगा। हालांकि सरकार अपने स्तर पर आयोग की अवधि को बढ़ा सकेगी। इसके अलावा किसी भी सदस्य को हटाने का अधिकार भी सरकार के पास होगा।
किसान कर्ज राहत आयोग को कोर्ट की तरह ही शक्तियां प्राप्त होंगी। यदि किसी क्षेत्र में फसल खराब हो जाती है और इसकी वजह से किसान अपना बैंक कर्ज नहीं चुका पाता है तो ऐसी स्थिति में आयोग को यह अधिकार होगा कि वह स्थिति की नजाकत को देखते हुए पूरे जिले को संकटग्रस्त घोषित कर सकता है ताकि किसानों को राहत मिल सके। किसानों के संदर्भ में भी यही बात लागू की जाएगी। यदि किसान कर्ज चुका पाने में असमर्थ है और आयोग को कर्ज माफी के लिए आवेदन करता है तो आयोग सरकार को अपने स्तर पर समझाएगा कि हालत वाकई खराब है तो उसे संकटग्रस्त किसान घोषित किया जा सकेगा। यहां संकटगस्त किसान से तात्पर्य ऐसे किसान से है जो प्राकृतिक आपदा (natural calamity) के कारण फसल नुकसान (crop loss) की वजह से कर्ज चुका पाने में असमर्थ है। संकटग्रस्त किसान घोषित होने के बाद बैंक उस किसान से जबरदस्ती कर्ज की वसूली नहीं कर सकेगा।
संकटग्रस्त किसान घोषित करने के बाद आयोग का काम होगा कि वह बैंक कर्ज को सेटलमेंट के आधार पर चुकाने की प्रक्रिया निर्धारित करेगा। इसके तहत आयोग बैंकों के प्रतिनिधियों की भी सुनवाई करेगा। उसके बाद दोनों पक्षों के लिए एक सुविधाजनक प्रक्रिया तय करेगा। इसके तहत लोन को री-शेड्यूल करने और ब्याज दर को कम करने जैसे फैसले शामिल होंगे। इसके अलावा आयोग किसानों को बैंक द्वारा दिए जाने वाले कर्ज को सरल करने के संबंध में सुझाव देगा। यदि जरूरत हुई तो आयोग संकटग्रस्त किसान की हालत को देखते हुए अपनी रिपोर्ट में उसका कर्ज माफ करने की सिफारिश भी सरकार को कर सकेगा।
किसान कर्ज राहत आयोग के पास सिविल कोर्ट के बराबर शक्तियां होंगी। आयोग के फैसले को सिविल कोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकेगी। आयोग को यह अधिकार होगा कि वह किसी भी संबंधित अधिकारी या व्यक्ति को समन देकर बुला सकेगा।
किसान कर्ज राहत आयोग के तहत किसान कर्ज माफी के लिए आयोग के समक्ष आवेदन फाइल कर सकता है। इसके बाद इस पर आयोग अपना फैसला देगा। इसके अलावा आयोग समय-समय पर फील्ड में जाकर बैठकें भी करेगा। आयोग ऐसी जगहों पर अपनी बैठकें करेगा जहां पर उसे आवश्यकता महसूस होगी। इसमें संकटग्रस्त किसानों का पक्ष जाना जाएगा और आयोग के प्रतिनिधि खराब फसलों का जायजा भी लेंगे।
यदि आयोग किसी किसान या क्षेत्र को संकटग्रस्त घोषित करता है तो बैंक ऐसे इलाकों में अपने कर्ज की वसूली के लिए किसी भी तरह से किसान की जमीन जब्त या नीलाम नहीं कर सकेगा। जब तक आयोग के पास में केस पेंडिंग रहता है तब तक किसान के विरूद्ध किसी भी प्रकार के वाद आवेदन, अपील और याचिकाओं पर रोक रहेगी। इस दौरान किसान या किसान की जमीन के संबंध में बैंक की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की जा सकेगी।
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