प्रकाशित - 15 Dec 2024 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा
किसानों सहित अन्य ग्रामीणों को डीजल व पेट्रोल की जरूरत अब उनके गांव में और भी आसानी से पूरी हो सकेगी। इसके लिए सरकार की ओर से गांव व कस्बा स्तर पर बनी प्राथमिक कृषि ऋण समितियों यानी पैक्स को पेट्रोल-डीजल की बिक्री के लिए आउटलेट के रूप में विकसित किया जाएगा। इसके लिए 25 राज्यों से 286 पैक्स के आवदेन प्राप्त हुए हैं जिन्होंने पेट्रोल-डीजल की बिक्री करने में रूचि दिखाई है। सरकार ने इन समितियों को पेट्रोल और डीजल पंपों की डीलरशिप लेने की अनुमति भी दे दी है। अभी 4 राज्यों के 109 पैक्स को मंजूरी दी गई है। शेष राज्यों को भी चरणबद्ध तरीके से मंजूरी दी जाएगी।
हाल ही में केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह ने संसद में बताया कि अब तक 25 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की 286 प्राथमिक कृषि ऋण समितियों ने खुदरा पेट्रोल और डीजल आउटलेट स्थापित करने के लिए आवेदन किया है। राज्यसभा को दिए गए लिखित जवाब में केंद्रीय मंत्री ने यह भी बताया कि 4 राज्यों की 109 समितियों ने अपने कंज्यूमर पंपों को खुदरा आउटलेट में बदलने पर सहमति जताई है। इनमें से 45 प्राथमिक कृषि समितियों को पहले ही तेल बाजार कंपनियों (ओएमसी) से लेटर मिल चुके हैं।
प्राथमिक कृषि ऋण समितियां पैक्स (PACS) और कंज्यूमर पंपों को पेट्रोल- डीजल आउटलेट बनाने की पहल से रेवेन्यू बढ़ाने और उनकी वित्तीय स्थिरता में बढ़ोतरी होगी। इससे पैक्स को मजबूती मिलेगी। यह खुदरा दुकानों के संचालन और प्रबंध के माध्यम से ग्रामीण युवाओं के लिए रोजगार के अवसर भी पैदा करती है। इससे दूर-दराज में रहने वाले ग्रामीण लोगों को कृषि कार्यों के लिए पेट्रोल-डीजल की आवश्यकता पूरी होगी, ग्रामीणों को गांव में ही पेट्रोल-डीजल उपलब्ध होने से उनके समय की बचत होगी।
सहकारिता मंत्री ने कहा कि ग्रामीण इलाकों में ईंधन को सुलभ बनाकर पैक्स स्थानीय आर्थिक विकास में योगदान करते हैं। ऐसी सेवाओं के लिए शहरी केंद्रों पर निर्भरता को कम भी करते हैं। सरकार ने इन समितियों को पेट्रोल और डीजल पंपों की डीलरशिप लेने की अनुमति दे दी है। इस संबंध में तेल बाजार कंपनियों ने दिशा-निर्देश भी जारी कर दिए हैं। इसमें उन्हें अपने होलसेल कंज्यूमर पंपों को खुदरा दुकानों में बदलने का ऑप्शन भी दिया गया है।
सहकारिता मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार पैक्स को कॉमन सर्विस सेंटर के रूप में भी विकसित किया गया है ताकि सामान्य सेवा केंद्रों के माध्यम से दी जाने वाली सेवाओं को आसानी से ग्रामीणों को उपलब्ध कराया जा सके। पैक्स के माध्यम से किसानों को खाद, बीज, कीटनाशक, कृषि उपकरण, कृषि कार्यों के लिए ऋण, पशुओं की दवाइयां, सरकारी योजनाओं और बैंकिंग सहित कई तरह की सेवाएं ग्रामीणों को मिल रही हैं। पैक्स पर बैंकिंग, गैस एजेंसी, जन औषधि केंद्र, अनाज खरीद, अनाज भंडारण, खाद-बीज वितरण, खेत से जुड़े दस्तावेज अपडेट व सीएससी की सेवाएं सहित 27 प्रकार की सेवाएं ग्रामीणों को मिल रही हैं।
प्राथमिक सहकारी समितियां यानी पैक्स एक विशिष्ट संगठन होते हैं जिनका स्वामित्व और संचालन गांव के चयनित लोग करते हैं। इसके सदस्यों में किसान भी शामिल हैं। एक प्राथमिक सहकारी समिति में कम से कम 10 सदस्य होने जरूरी हैं। वहीं राजस्थान में सहकारी समिति के पंजीकरण के लिए 15 सदस्य होने आवश्यक हैं। यह प्राथमिक सहकारी समिति अपने सदस्य किसानों को कम ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध कराती हैं। उनकी फसल को उचित कीमत पर खरीद करने सहित कई प्रकार की सुविधा देती है। इससे किसानों को अपनी फसल का सही मूल्य मिलता है और किसानों को बिचौलियों से सुरक्षा मिलती है।
नोट : तेल कंपनियों की ओर से प्रतिदिन पेट्रोल व डीजल कीमतें जारी की जाती है। ऐसे में यहां ऊपर दी गई कीमतों में परिवर्तन संभव है।
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