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किसानों की आय बढ़ाने को गोबर से बनेगी बिजली, 10 करोड़ का होगा निवेश

Published - 17 Feb 2022

अब तक 5 उद्यमियों ने किया एमओयू, जल्द शुरू होगा प्रोजेक्ट

किसानों की आय बढ़ाने के लिए केंद्र और राज्य सरकार की ओर से प्रयास जारी है। इसी क्रम छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से किसानों की आय बढ़ाने के लिए गोधन न्याय योजना के तहत गौठानों में गोबर की खरीद की जाती है। इससे कम्पोस्ट खाद तैयार किया जाता है। वहीं अब गोबर से बिजली बनाने का काम भी किया जाएगा। इसके लिए छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार राज्य के गौठानों में गोबर से बिजली उत्पादन प्रोजेक्ट लगाने जा रही है। इसके लिए अब तक 5 युवा उद्यमियों ने एमओयू किया है। उद्यमियों द्वारा गौठानों में इसके लिए 10-10 करोड़ रुपए का निवेश किया जना प्रस्तावित है। राज्य के गौठानों में बिजली बनाने के लिए किसानों से गोबर खरीदा जाएगा। इससे उनकी आय में बढ़ोतरी होगी। 

बिजली उत्पादन को लेकर क्या है छत्तीसगढ़ सरकार की योजना

राज्य में बिजली उत्पादन को बढ़ाने के उद्देश्य से गोधन न्याय योजना के तहत गोबर की खरीद की जाएगी और इससे बिजली का बनाने का काम किया जाएगा। इसके लिए सरकार की ओर से युवा उद्यमियों को आमंत्रित किया गया है। इसमें अब तक 5 युवा उद्यमियों ने एमओयू किया है। उद्यमियों द्वारा गौठानों में इसके लिए 10-10 करोड़ रुपए का निवेश प्रस्तावित है। बिजली उत्पादन के लिए गौठानों में क्रय किए जाने वाले गोबर का उपयोग उद्यमियों द्वारा प्राथमिकता से किया जाएगा। इसके बाद निजी क्षेत्र की डेयरी फार्म के गोबर एवं शहर में एकत्र होने वाले वेस्टेज का भी उपयोग विद्युत उत्पादन के लिए किया जा सकेगा। यह जानकारी कृषि एवं जल संसाधन मंत्री रविन्द्र चौबे की अध्यक्षता में नवा रायपुर स्थित महानदी मंत्रालय भवन में आयोजित गोधन न्याय मिशन की प्रथम बैठक में दी गई। रविन्द्र चौबे ने बैठक में गोधन न्याय मिशन के उद्देश्यों की पूर्ति के साथ-साथ गौठानों में गतिविधियों को तेजी से विस्तार देने के निर्देश दिए।

गौठानों के आजीविका केंद्र की तरह विकसित करने की जरूरत

रविन्द्र चौबे ने कहा कि गौठानों को ग्रामीणों के आजीविका के केंद्र के रूप में विकसित करने की जरूरत है। उन्होंने ने अधिकारियों को गौठानों में उत्पादित वर्मी कम्पोस्ट सहित अन्य उत्पादों के मार्केटिंग एवं विक्रय की बेहतर व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। किसान गौठानों से सीधे वर्मी कम्पोस्ट एवं सुपर कम्पोस्ट खाद का उठाव कर सके, इसके लिए उन्होंने अधिकारियों को आवश्यक दिशा और निर्देश तैयार करने को भी कहा है। 

ग्रामीण उद्योगों को बढ़ावा देने पर युवाओं को मिलेगा रोजगार

मुख्यमंत्री के सलाहकार प्रदीप शर्मा ने कहा कि गौठानों के रूरल इंडस्ट्रियल पार्क से इच्छुक युवा उद्यमियों को जोड़ा जाना चाहिए। इससे ग्रामीण उद्योग को बढ़ावा मिलेगा और युवाओं को रोजगार मिलेगा। उन्होंने कहा कि उपयुक्त गौठानों का चयन कर वहां युवा उद्यमियों को उद्योग स्थापना के लिए भूमि उपलब्ध कराई जानी चाहिए।

गोधन न्याय योजना के लिए स्पष्ट लक्ष्य का हो निर्धारण

बैठक में मुख्य सचिव अमिताभ जैन ने कहा कि गोधन न्याय मिशन के तहत राज्य स्तर पर यह स्पष्ट लक्ष्य निर्धारित किया जाना चाहिए कि किस सामग्री का कितना प्रोडक्शन गौठानों के माध्यम से किया जाना है, ताकि मार्केटिंग एवं विक्रय का प्रबंध किया जा सके। उन्होंने गोधन न्याय योजना के तहत पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव, लघु वनोपज संघ के प्रबंध संचालक को सदस्य के रूप में शामिल करने पर जोर दिया। 

गोधन न्याय योजना के लिए 11.56 करोड़ रुपए का वार्षिक बजट प्रस्तावित

बैठक की शुरुआत में गोधन न्याय मिशन के प्रबंध संचालक डॉ. एस. भारतीदासन ने कहा कि मिशन के काम को गति देने के लिए 11.56 करोड़ रुपए का वार्षिक बजट प्रस्तावित किया गया है। उन्होंने बताया कि मिशन के कामकाज की मॉनिटरिंग एवं क्रियान्वयन के लिए कृषि, उद्यानिकी, पशुपालन, मछली पालन, ग्रामोद्योग सहित अन्य विभागों से अधिकारियों एवं कर्मचारियों को अतिरिक्त जिम्मेदारी दी जाएगी। मार्केटिंग, डाटा मैनेजमेंट सहित अन्य कार्यों के लिए नियमानुसार अधिकारियों-कर्मचारियों पूर्ति की जाएगी। उन्होंने बताया कि राज्य में अब तक 10,591 गौठान से स्वीकृत किए गए हैं। जिसमें से 8,048 गौठान निर्मित एवं संचालित हैं। गौठानों में गोबर विक्रय हेतु 2.87 लाख ग्रामीण पशुपालक पंजीकृत हैं, जिसमें से 2.04 लाख गोबर विक्रय कर लाभान्वित हो रहें हैं। 

Godhan Nyay Yojana : अब तक किसानों को कितना किया गया गोबर खरीद का भुगतान

उन्होंने बताया कि गौठानों में 62.60 लाख क्विंटल गोबर की खरीद की गई और इसके एवज में 125.22 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया है। इससे 2549 गौठान स्वावलंबी हो गए हैं। गौठानों से 11,477 महिला समूह जुड़े हुए हैं। महिला समूहों को विविध गतिविधियों से अब तक 51.53 लाख रुपए की आय हुई है। गौठान समितियों को 46.44 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया है। इसके अलावा स्व-सहायता समूहों को 30.34 करोड़ रुपए की लाभांश राशि का भुगतान किया जा चुका है। गौठानों में 868 प्रसंस्करण इकाई स्थापित की जा चुकी है। गौठानों में 15.30 लाख क्विंटल कम्पोस्ट का उत्पादन तथा 9.41 लाख क्विंटल का विक्रय किया गया है।

गोधन न्याय योजना : गौठानों की मॉनिटरिंग के लिए तैयार किया जी-मैप ऐप

बैठक में जानकारी दी गई कि गौठानों की गतिविधियों की मॉनिटरिंग के लिए जी-मैप-ऐप तैयार किया गया है। 4043 गौठानों मल्टीएक्टिविटी संचालित है, जिसके अंतर्गत कृषि एवं संबद्ध क्षेत्र सहित प्रसंस्कृत उत्पाद, यूटीलिटी प्रोडक्ट्स, हस्तशिल्प, विशिष्ट एवं अन्य उत्पाद तैयार किए जा रहे हैं। बैठक में कार्बन क्रेडिट परियोजना, पैरादान एवं चारा उत्पादन के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी गई। 

गोबर से कैसे बनती है बिजली

  • सबसे पहले 250 किलो गोबर और 500 लीटर पानी को एक टैंक में डाला जाता है। गोबर एक पैक फ्लोटिंग टैंक में भेज दिया जाता है।
  • बिजली बनाने के लिए शुद्ध मिथेन गैस की जरुरत पड़े, तो यह यह टैंक में फॉर्मालेशन से तैयार रहती है। इसे बलून में पहुंचाते हैं।
  • बलून से मीथेन गैस स्क्रबर में पहुंचती है। वहां जहां सल्फर, कार्बन डाइऑक्साइड और नमी को पृथक किया जाता है।
  • निर्धारित दबाव से गैस जनरेटर तक पहुंचती है और बिजली पैदा होने लगती है। इससे स्ट्रीट लाइट तक को जलाया जा सकता है।

गोबर से बिजली का उत्पादन होने से क्या-क्या होंगे लाभ

  • अधिकारियों के अनुसार गोबर से सस्ती बिजली उत्पादन होने के साथ-साथ जैविक खाद का भी उत्पादन होगा। इससे गौठान समितियों और महिला स्व-सहायता समूहों को दोहरा लाभ होगा।
  • प्रथम चरण में राखी, सिकोला और बनचरौदा गांव में गोबर से बिजली उत्पादन की यूनिट लगाई गई है। एक यूनिट में 85 क्यूबिक घन मीटर गैस का निर्माण होगा। एक क्यूबिक घन मीटर से 1.8 किलोवाट विद्युत का उत्पादन होता है। 
  • इस तरह एक यूनिट में 153 किलोवाट विद्युत का उत्पादन होगा। इस प्रकार तीनों गौठानों में स्थापित बायो गैस जेनसेट इकाइयों से लगभग 460 किलोवाट विद्युत का उत्पादन होगा। इससे गौठानों में प्रकाश व्यवस्था के साथ-साथ वहां स्थापित मशीनों का संचालन हो सकेगा।उन्होंने बताया कि इस यूनिट से बिजली उत्पादन के बाद शेष स्लरी के पानी का उपयोग बाड़ी और चारागाह में सिंचाई के लिए होगा तथा अन्य अवशेष से जैविक खाद तैयार किया जाएगा।


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