प्रकाशित - 17 Sep 2022
सरकार की ओर से किसानों के लाभार्थ नेशनल डेयरी स्कीम चलाई जा रही है। इसके तहत किसान उत्पादक संगठनों को लाभ होता है। इस योजना के तहत दूध उत्पादक संगठनों को करोड़ों रुपए का भुगतान किया गया है। इसके अलावा दूध खरीद के लक्ष्य को भी बढ़ाकर तीन गुना कर दिया गया है। इस बात की जानकारी पिछले दिनों हुई राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के अध्यक्ष मीनेश शाह ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में दी।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के अध्यक्ष मीनेश शाह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि किसानों के स्वामित्व वाले दूध उत्पादक संगठनों ने दूध की खरीद को तीन गुना से भी अधिक करने का लक्ष्य रखा है, जो अब 5,575 करोड़ से बढक़र 18,000 करोड़ रुपए हो गया है। इसका उत्पादन प्रति दिन 100 लाख लीटर से भी अधिक हो गई है। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि एनडीडीबी अपनी शाखा एनडीडीबी डेयरी सर्विसेज के माध्यम से ऐसे और संगठनों की सुविधा प्रदान करेगा, जो इस क्षेत्र के विकास को उत्तरोत्तर वृद्धि करने में सहायक होगा।
उन्होंने कहा कि हम हर जिले में दूध उत्पादक संगठनों का विस्तार करेंगे और संबंधित अधिकारियों से अनुरोध करेंगे कि सहकारी समितियों और एमपीसीज के बीच तालमेल बैठाकर बेहतर कार्य किया जाए ताकि प्रगति के पथ पर उत्तरप्रदेश का हर एक जिला, गांव और कस्बा बेहतर तरीके से जुड़े। शाह ने कहा कि इस क्षेत्र में स्टार्ट-अप अवधारणा हाल ही में आई है लेकिन एमपीसीज लंबे समय से इस क्षेत्र में काम कर रहे हैं और देखा जाय तो सही मायने में ये ही असली स्टार्ट-अप हैं।
उन्होंने बताया कि पिछले वित्त वर्ष (2021-2022) तक डेयरी क्षेत्र के किसानों को 27,500 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया। देश में 20 किसान स्वामित्व वाले संगठन चालू हो गए हैं और पिछले वित्त वर्ष के अंत में प्रति दिन 40 लाख लीटर से अधिक दूध की खरीदा जा रहा है। उन्होंने बताया कि 70 प्रतिशत से अधिक महिलाओं सहित करीब 750,000 किसानों ने लगभग 20 उत्पादक स्वामित्व वाली संस्थाएं (एमपीसीज) बनाई हैं, जो अपनी कार्यकुशलता और लगन के साथ निरंतर कीर्तिमान स्थापित कर रही हैं। इन संस्थाओं ने पिछले साल करीब 5,600 करोड़ रुपए का कारोबार किया था।
दूध डेयरी उत्पादक संगठनों के किसानों ने पिछले दस वर्षों में 175 करोड़ रुपए से अधिक जमा किए हैं और सामूहिक रूप से 400 करोड़ रुपए से अधिक भंडार और अधिशेष के रूप में हैं। उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से संचालित राष्ट्रीय डेयरी योजना, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन जैसी अनेक योजनाओं के माध्यम से वित्तीय सहायता प्रदान की जा रही है। इससे किसानों की आय बढ़ रही है।
इन दूध उत्पादक किसान संगठनों में 5 लाख से अधिक महिला सदस्य शामिल हैं। ये महिला सदस्य दूध बिक्री करके आय का 85 प्रतिशत तक बढ़ाने में योगदान दे रही हैं। इन 18 परिचालन संस्थाओं में से 12 का स्वामित्व पूरी तरह से महिला सदस्यों के पास है। इस तरह दूध उत्पादक संगठनों के माध्यम से महिलाओं को प्रोत्साहन दिया जा रहा है जिससे वे आत्मनिर्भर हो रही हैं।
राष्ट्रीय डेयरी योजना (नेशनल डेयरी स्कीम) ये केंद्र सरकार की योजना है। इसका संचालन पशुपालन और डेयरी विभाग की ओर से विश्व बैंक के सहयोग से किया जा रहा है। यह योजना देश के 18 राज्यों में दुग्ध सहकारी समितियों और दुग्ध उत्पादक कंपनियों को प्रजनन सुधार पहल के साथ समर्थन देने के लिए चलाई जा रही है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य दुधारू पशुओं की उत्पादकता बढ़ाने में मदद करना जिससे दूध की तेजी से बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए दुग्ध उत्पादन में वृद्धि हो सके।
नेशनल डेयरी स्कीम देश के जिन 18 राज्यों में चलाई जा रही है, उनमें आंध्र प्रदेश, बिहार, गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, उत्तराखंड, झारखंड और छत्तीसगढ़ शामिल हैं।
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