Published - 03 Apr 2021 by Tractor Junction
खेतों में फसल अवशेष जलाने की समस्या पंजाब और हरियाणा में काफी पहले से है और इसको रोकने के लिए यहां की राज्य सरकार ने कड़े नियम भी बनाए और अवशेष जलाने वाले किसानों पर कार्रवाई भी की गई। इसके बाद भी फसल अवशेष की जलाने की घटनाएं नहीं रूक रही हैं। इसी तरह बिहार में भी फसल अवशेष को जलाया जा रहा है जिसे लेकर बिहार सरकार ने चिंता जताई है। फसल अवशेष जलाने की समस्या पर गंभीरता दिखाते हुए बिहार के कृषि मंत्री अमरेन्द्र प्रताप सिंह ने राज्य में खेतों में फसल अवशेषों को जलाए जाने की बढ़ती घटनाओं पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि ऐसा करने वाले लोगों के खिलाफ सरकार दंडात्मक कार्रवाई करेगी। इधर राजस्थान के कोटा में भी किसानों को समझाइश कर फसल अवशेष जलाने से रोका जा रहा है।
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फसल अवशेष जलाने की समस्या अब एक राज्य की नहीं रही है। ऐसा कई राज्यों के किसान कर रहे हैं। हालांकि कृषि विभाग की ओर से किसानों को फसल अवशेष जलाने से रोकने के लिए काफी प्रयास किए जा रहे हैं। इसके बाद भी फसल अवशेषों को जलाने की घटनाएं नहीं रूक पा रहीं है । इस समय कई राज्यों में गेहूं की कटाई चल रही है। कटाई पूरी होने के बाद फसल अवशेष की समस्या किसानों के समाने फिर खड़ी हो जाएगी और अगली फसल की बुवाई समय पर करने के लिए किसान को खेत से ये अवशेष हटाने होंगे। इसके चलते किसान भाई खेत खाली करने की जल्दी में फसल अवशेष को खेतों में जलाना शुरू कर देंगे। पर किसान भाइयों को यह समझना चाहिए कि फसल अवशेष को खेतों में जलाने से खेत तो खाली हो जाता है पर मिट्टी के पोषक तत्व खत्म होने लगते हैं। आज हम किसान भाइयों को फसल अवशेष प्रबंधन के बारें में बताएंगे कि वे किस तरह से इसका प्रबंधन करें जिससे उन्हें फसल अवशेष को जलाने की समस्या से छुटकारा मिलने के साथ उन्हें इसका लाभ मिल सके।
एनजीटी के आदेशानुसार 2 एकड़ तक अवशेष जलाने पर 2500 रुपए जुर्माना और 2 से 5 एकड़ तक अवशेष जलाने पर 5000 रुपए के जुर्माने से दंडित करने का प्रावधान है। एनजीटी यह फाइन पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के लिए लिया जा रहा है।
फसल अवशेषों को आग के हवाले करने की जगह किसान भाइयों को चाहिए की वे इन फसल अवशेषों को रोटावेटर या डिस्क हेरो आदि की सहायता से भूमि में मिला दें। इससे जीवांश के रूप में खाद की बचत की जा सकती है। फसल अवशेषों को खेत में मिलाने से भूमि की उर्वरा शक्ति बढऩे के साथ ही अनेक लाभ मिलते है। बता दें कि भूसे में नत्रजन 0.5, प्रतिशत, स्फुर 0.6 और पोटाश 0.6 प्रतिशत पाया जाता है, जो नरवाई में जलकर नष्ट हो जाता है। फसल के दाने से डेढ़ गुना भूसा होता है अर्थात् यदि एक हेक्टयर में 40 क्विंटल गेहूं का उत्पादन होगा तो भूसे की मात्रा 60 क्विंटल होगी और भूसे से 30 किलो नत्रजन, 36 किलो स्फुर, 90 किलो पोटाश प्रति हेक्टेयर प्राप्त होगा। जो वर्तमान मूल्य के आधार पर लगभग 3,000 रुपए का होगा जो जलकर नष्ट हो जाता है।
किसानों की सुविधा के लिए वैज्ञानिकों की ओर से कई सुझाव दिए गए हैं ताकि उनको प्रबंधन करने में किसी परेशानी का सामना नहीं करना पड़े। ये सुझाव इस प्रकार हैं-
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