Published - 02 Mar 2022
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को लेकर सवाल उठते रहे हैं। इसमें कई बार ऐसे मामले सामने आए हैं जिसमें किसान को बीमा क्लेम राशि के भुगतान में देरी किया जाना या कभी बहुत ही कम मुआवजा राशि खाते में आना शामिल है। ठीक ऐसी ही समस्या का इन दिनों सामना कर रहे हैं मध्यप्रदेश राज्य केे कई जिलों के किसान। इन जिलों के कई किसानों ने इस संंबंध में प्रशासन को शिकायत दी है और समस्या से अवगत कराया है।
दरअसल हाल ही में प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बैतूल में आयोजित किए गए भव्य फसल बीमा मुआवजा राशि वितरण कार्यक्रम में किसानों को सिंगल क्लिक के माध्यम से फसल क्लेम की राशि का वितरण किया था। इसमें प्रदेश के 49 लाख 85 हजार 24 किसानों को खरीफ 2020 और रबी 2020-21 का फसल बीमा 7 हजार 618 करोड़ रुपए सिंगल क्लिक से किसानों के खातों में डाले गए थे। लेकिन किसानों की शिकायत सें सामने आया कि कई किसानों के खातें में राशि नहीं पहुंची ही नहीं है और कई किसानों को फसल नुकसान के मुकाबले बहुत ही कम मुआवजा राशि का भुगतान किया गया है। जिसे लेकर इन जिलों के कई किसानों ने नाराजगी जताई है।
मध्यप्रदेश के राजगढ़, विदिशा, शाजापुर, खंडवा, देवास, रायसेन सहित अन्य जिलों के किसानों ने नाराजगी जताते हुए शिकायत की है कि उनके खातें में अभी तक बीमा क्लेम की राशि नहीं आई है। वहीं कई किसानों ने बीमा राशि बहुत ही कम दिए जाने की शिकायतें भी की है। ऐसे मेें सहकारिता विभाग भी यह पता लगाने में जुटा है कि किस कारण से खातों में फसल बीमा की राशि नहीं पहुंची है। इसके लिए अपेक्स बैंक ने बीमा कंपनियों से किसानों की सूची मांगी है ताकि जो समस्या आ रही है, उसे दूर कराया जा सके।
खरीफ 2020 और रबी 2020-21 के फसल बीमा की राशि नहीं मिलने को लेकर किसानों में नाराजगी है। वहीं कांग्रेस ने विधानसभा के बजट सत्र में इस मुद्दे को उठाने की तैयारी कर ली है। दरअसल, बैंक फसल बीमा को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं कर रहे है। बकाया ऋण की वसूली भी फसल बीमा से की जा रही है। जबकि, डिफाल्टर किसान के अलावा किसी किसान से बिना उसकी सहमति के बीमा राशि से ऋण का समायोजन नहीं किया जा सकता है।
किसानों के खातों में बीमा राशि नहीं पहुंचने की शिकायत को लेकर सहकारिता विभाग ने बैंक और बीमा कंपनियों के अधिकारियों के साथ बैठक की। इसमें पता चला कि कुछ बैंक शाखाओं द्वारा आईएफएससी कोड गलत डाल दिए गए तो कुछ बैंक खातों के नंबर में त्रुटि है।
सबसे बड़े आश्चर्य की बात यह है कि इतने दिनों बाद भी कृषि अधिकारी और बैंकों के पास उन किसानों की सूची नहीं है जिन्हें बीमा क्लेम दिया गया है। यही हाल कई जिलों का है वहां बीमित किसानों की सूची ही गायब है। इससे पता चलता है यहां अनियमितताओं का आलम किस कदर है। हालांकि राज्य के मुख्यमंत्री ने किसानों को आश्वस्त किया है कि हर उस किसान को राहत प्रदान की जाएगी जिसकी फसल को प्राकृतिक कारणों से नुकसान हुआ है।
इधर कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी ने बताया कि शाजापुर में किसानों को जितना नुकसान अतिवृष्टि से हुआ था, उसके अनुपात में फसल बीमा नहीं मिला है। सरकार का नियम है कि पचास प्रतिशत से अधिक नुकसान होने पर उसे शत-प्रतिशत माना जाता है। इसके बाद भी बीमा कम मिल रहा है। उन्होंने बताया कि किसानों को यह तक नहीं बताया जा रहा है कि उन्हें फसल बीमा की कितनी राशि मिली है। कई किसानों को एक हजार रुपए से कम बीमा मिलने की सूचना मिल रही है। उन्होंने संसद में प्रस्तुत की गई कृषि मंत्रालय की स्थायी समिति की रिपोर्ट के हवाले से बताया कि किसानों ने जितना प्रीमियत जमा किया, उससे कम बीमा मिला है।
इधर कम बीमा दावे को लेकर किसानों की नाराजगी एवं हंगामा होने के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने फैसला किया है कि एक हजार रुपए से कम बीमा दावा किसी भी किसान को नहीं मिलेगा। यदि बीमा दावा कम बना है तो अंतर की राशि सरकार भरकर किसानों को एक हजार देगी। इस नई पहल की जानकारी किसानों को एसएमएस भेजकर दी जाएगी। कृषि विभाग के उच्च अधिकारी का कहना है कि बीमा कंपनियों से उन किसानों की सूची मांगी गई है जिनका बीमा दावा एक हजार रुपए से कम बना है। एक आकलन के मुताबिक सरकार को लगभग 28 करोड़ रुपए की अंतर राशि देनी होगी।
बता दें कि इससे पहले भी जब राज्य के मुख्यमंत्री ने वित्तीय वर्ष 2018-19 की फसल बीमा क्लेम की राशि का वितरण किया था तब भी समाचार पत्रों में किसी किसान के खाते में चार रुपए आने, तो किसी के खातें पैसा नहीं पहुंचने जैसी खबरें सामने आईं थीं। इसलिए ये कहना कि इस बार ऐसा हुआ है ये ठीक नहीं है, क्योंकि फसल बीमा योजना में किसान भी प्रीमियम भरता है तो उसके बाद उसे इसका जो लाभ मिलना चाहिए वे नहीं मिल पाता। ऐसा क्यंू? ये विचारणीय बिंदु है। यहीं कारण है कि अधिकतर राज्यों के किसान फसल बीमा योजना से दूरी बनाए हुए हैं। इसके पीछे कारण यह हैं कि कई किसानों के खातों में समय पर बीमा दावा पहुंचता ही नहीं। कभी बीमा कंपनियों की गलती तथा कभी बैंकों की गलती का खामियाजा किसान को प्रीमियम भरने के बाद भी भुगतना पड़ता है।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना वर्ष 2016 से यह योजना लागू की गई थी। इसके तहत रबी और खरीफ सीजन की फसलों का बीमा सरकार की ओर से किया जाता है। यह स्वैच्छिक है। तब से लेकर अब तक लगभग 16750 करोड़ रुपए का बीमा दावा लगभग 73 लाख 69 हजार 614 किसानों को मिला है।
वर्ष 2016-17 से प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना चलाई जा रही है। इस योजना के तहत किसानों तथा केंद्र और राज्य सरकारों के द्वारा प्रीमियम राशि फसल बीमा कंपनी को दी जाती है। फसल नुकसानी पर किसानों को दावे के अनुसार भुगतान किया जाता है। इस योजना के तहत अब तक वित्तीय वर्ष के अनुसार किसानों को अब तक दावा राशि का भुगतान किया गया वे इस प्रकार से है-
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