Published - 08 Dec 2021 by Tractor Junction
मध्यप्रदेश सरकार राज्य में दूध उत्पादन को बढ़ाने पर जोर दे रही है। इसके तहत गौ-सेवा योजना चलाई जा रही है। इस योजना के तहत मध्यप्रदेश सरकार की ओर से गौशाला में गायों की देखभाल के लिए प्रति गाय 20 रुपए की अनुदान राशि प्रदान की जा रही है। बता दें कि प्रदेश में मुख्यमंत्री गौ-सेवा योजना और अशासकीय स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा संचालित 1768 गौ-शालाओं में 2.5 लाख से ज्यादा गौ-वंश की देखभाल की जा रही है। सरकार प्रति गौवंश प्रति दिन 20 रुपए का अनुदान दे रही है। मुख्यमंत्री गौ-सेवा योजना में अब तक पूर्ण 1141 गौ-शालाओं में 76 हजार 941 गौ-वंश का पालन किया जा रहा है। स्वयंसेवी संस्थाओं की पंजीकृत 627 गौ-शालाओं में भी करीब एक लाख 74 हजार गौ-वंश की देखभाल की जा रही है।
मीडिया में प्रकाशित समाचारों में मध्य प्रदेश सरकार ने दावा किया है कि पिछले वित्त वर्ष में रोजाना औसतन 9 लाख 13 हजार किलो लीटर दूध का कलेक्शन किया गया है जबकि औसत 6 लाख 38 हजार लीटर पैकेट दूध की बिक्री हुई है। लॉकडाउन के दौरान दुग्ध संघों द्वारा 2 करोड़ 54 लाख लीटर अतिरिक्त दूध खरीदा गया। किसानों को 94 करोड़ रुपए की राशि का अतिरिक्त भुगतान किया गया। प्रदेश में करीब सवा 7 हजार दुग्ध सहकारी समितियां कार्यरत हैं।
गोशाला परियोजना के अंतर्गत गायों के लिए भूसे, दाने के अनुदान के संबंध में जो दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं, वे इस प्रकार से हैं-
जिला गौपालन एवं पशुधन संवर्धन समिति के कार्यों के संचालन तथा गौशालाओं को आर्थिक सहायता प्रदान करने हेतु राशि मध्यप्रदेश राज्य कृषि विपणन बोर्ड (मंडी बोर्ड) की कृषि अनुसंधान एवं अधोसंरचना विकास निधि से मध्यप्रदेश गौपालन एवं पशुधन संवर्धन बोर्ड को उपलब्ध कराई जाती है। गौशालाएं सामान्यत: धार्मिक, सामाजिक तथा स्वंयसेवी संस्थाओं द्वारा संचालित की जाती है जहाँ वृद्ध, अशक्त, रोगी, बेसहारा, अनुत्पादक तथा न्यायालय/पुलिस कस्टडी द्वारा गौशालाओं को सौंपे गये गौवंशी पशुओं का रख रखाव तथा प्रबंधन किया जाता है।
मध्यप्रदेश गौपालन एवं पशुधन संवर्धन बोर्ड द्वारा गौशालाओं को आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनाने हेतु तथा विकास के लिए जैसे गोबर, गौमूत्र से औषधियों एवं फसल रक्षक का निर्माण, उन्नत प्रजनन, चारा विकास, पशु चिकित्सा, जैविक खाद बनाना, दुग्ध उत्पादन, बायोगैस संयंत्रों की स्थापना, औषधि वनस्पति की खेती, सब्जी उत्पादन,पुष्प उत्पादन, आदि हेतु निरंतर प्रोत्साहित किया जाता है तथा तकनीकी मार्गदर्शन दिया जाता है।
गौवंश के संरक्षण हेतु प्रदेश में मध्यप्रदेश गौवध प्रतिरोध अधिनियम 2004, मध्यप्रदेश कृषक पशुपरिरक्षण अधिनियम 1959 तथा पशु क्रूरता निवारण अधिनियम 1960 लागू है। इन अधिनियमों के क्रियान्वयन हेतु मध्यप्रदेश गौपालन एवं पशुधन संवर्धन बोर्ड जिला गौपालन एवं पशुधन संवर्धन समितियों तथा स्थानीय पुलिस विभाग के सहयोग से निरंतर कार्यरत है। इन अधिनियमों को और प्रभावी बनाने के हेतु विभाग द्वारा संशोधन की कार्रवाई की जा रही है।
20वीं पशु गणना 2019 के अनुसार पूरे भारत में पशुओं की संख्या 53.78 मिलियन तथा मध्यप्रदेश में 40.5 मिलियन है। 20वीं गणना के अनुसार भारत में 18.7 मिलियन गायें एवं 10.3 मिलियन भैंसें मध्यप्रदेश में पाई जाती हैं। गायों संख्या की दृष्टि से मध्यप्रदेश का देश में पहला स्थान है। यहां विभिन्न जिलों में गाय की अनेक प्रजातियां देखी जा सकती है। इनमें निमाड़ी गाय, मालवी गाय, गावलाब प्रजाति प्रमुख हैं।
मध्यप्रदेश में 19 अक्टूबर 2004 को गोपालन एवं संवर्धन बोर्ड का गठन किया गया। इसके तहत समितियों का गठन किया गया है। बोर्ड के कृत्यों के संचालन हेतु राज्य स्तर पर जिला गौपालन एवं पशुधन संवर्धन समितियों का गठन किया गया व सभी 51 जिलों की समितियां भी पंजीकृत है। गौपालन एवं पशुधन संवर्धन समितियां पंजीयन हेतु प्राप्त नवीन प्रकरणों का परीक्षण कर समिति की अनुशंसा के साथ मय समस्त दस्तावेजों के प्रकरण बोर्ड मे प्रस्तुत करती है तत्पश्चात बोर्ड द्वारा नवीन गौशालाओं का पंजीयन किया जाता है। बोर्ड द्वारा 31 अगस्त 2019 की स्थिति में प्रदेश में पंजीकृत की गई कुल गौशालाओं में से 625 गौशालाएं क्रियाशील है व उनमें उपलब्ध गौवंश की संख्या लगभग 1,66,967 है। गौशालाओं के सुदृढीकरण हेतु बुनयादी सुविधाएं जैसे चारा, पानी, भूमि, शेड आदि के लिए आर्थिक सहायता उपलब्ध करने का दायित्व जिला गौपालन समिति द्वारा निभाया जाता है। मुख्यमंत्री गौ-सेवा योजना की जानकारी के लिए सीधा लिंक : http://gopalanboard.mp.gov.in/
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