मुख्यमंत्री बागवानी बीमा योजना : सब्जी, फलों और मसालों का भी होगा बीमा 

Share Product Published - 25 Sep 2021 by Tractor Junction

मुख्यमंत्री बागवानी बीमा योजना :  सब्जी, फलों और मसालों का भी होगा बीमा 

जानें, क्या है मुख्यमंत्री बागवानी बीमा योजना, प्रीमियम और बीमा लाभ

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की तरह ही अब राज्य सरकारें अपने स्तर पर राज्य के किसानों के लिए बीमा योजनाएं शुरू कर रही हैं। इसमें बिहार, झारखंड, गुजरात राज्य पहले से ऐसी योजनाएं चल रही हैं। अब हरियाणा में भी किसानों के लिए सब्जी, मसाला तथा फलों की खेती करने वाले किसानों के लिए अलग से एक बागवानी बीमा योजना शुरू की है। इस योजना का नाम मुख्यमंत्री बागवानी बीमा योजना हरियाणा (Mukhyamantri bagwani bima yojana haryana) है। इस योजना को हरियाणा सरकार ने प्रतिकूल मौसम और प्राकृतिक आपदाओं के कारण बागवानी फसल के नुकसान की भरपाई के लिए मुख्यमंत्री बगवानी बीमा योजना (एमबीबीवाई) के कार्यान्वयन को मंजूरी दे दी है।

 

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क्या है मुख्यमंत्री बागवानी फसल बीमा योजना

हरियाणा सरकार ने राज्य के किसानों के लिए मुख्यमंत्री बागवानी बीमा योजना शुरू की है। इसके तहत किसानों को उच्च जोखिम वाली बागवानी फसलों की खेती के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से इस योजना को बागवानी फसल बीमा योजना के रूप में डिजाइन किया गया है। विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं जैसे ओलावृष्टि, पाला, वर्षा, बाढ़, आग आदि के कारण हुए नुकसान को कवर करने के लिए कुल  21 सब्जी, फल और मसाला फसलों को योजना के तहत कवर किया जाएगा। यह निर्णय चंडीगढ़ में मुख्यमंत्री एमएल खट्टर की अध्यक्षता में हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में लिया गया था। 


मुख्यमंत्री बागवानी बीमा योजना के लिए कितना बजट

इस योजना के तहत प्राकृतिक कारणों से फसलों की नुकसानी होने पर किसान को नुकसानी के आधार पर बीमा राशि दी जाएगी। इस योजना के लिए पहले वर्ष में राज्य सरकार ने 10 करोड़ रुपए का बजट रखा है। यह योजना किसानों के लिए अनिवार्य नहीं होगी।


मुख्यमंत्री बागवानी बीमा योजना में कितनी फसलों को किया जाएगा कवर

मुख्यमंत्री बागवानी बीमा योजना (एमबीबीवाई) के तहत कुल 21 सब्जी, फल एवं मसाला फसलों को कवर किया जाएगा। इसके लिए किसान की सहमति लेना जरूरी होगा। मतलब किसान यदि इस योजना में पंजीकरण करवाना चाहते हैं तो उन्हें इसके लिए पंजीकरण करना होगा।  


मुख्यमंत्री बागवानी बीमा योजना के लिए कहां करना होगा पंजीयन

मुख्यमंत्री बागवानी बीमा योजना का लाभ लेने के लिए किसानों को मेरी फसल मेरा ब्योरा (एमएफएमबी) पोर्टल पर पंजीयन करना होगा। इसके लिए किसान को अपनी फसल और क्षेत्र का पंजीकरण करते समय इस योजना का विकल्प चुनना होगा। मुख्यमंत्री बागवानी बीमा योजना के तहत मौसमवार फसल पंजीकरण की अवधि समय-समय पर निर्धारित एवं अधिसूचित की जाएगी। यह योजना व्यक्तिगत क्षेत्र पर लागू की जाएगी अर्थात फसल हानि का आकलन व्यक्तिगत क्षेत्र स्तर पर किया जाएगा। 


मुख्यमंत्री बागवानी बीमा योजना में किन परिस्थितियों में मिलेगा बीमा लाभ

बागवानी किसानों के लिए प्रतिकूल मौसम और प्राकृतिक आपदाओं के कारण बागवानी फसलों को होने वाले नुकसान की भरपाई की जाएगी। प्राकृतिक कारणों में इस योजना के तहत ओलावृष्टि, पाला, वर्षा, बाढ़, आग आदि जैसे मापदंडों को लिया गया है जिससे फसल को नुकसान होता है। 


मुख्यमंत्री बागवानी बीमा योजना बीमा राशि : 30 से 40 हजार रुपए प्रति हैक्टेयर के हिसाब से मिलेगा बीमा क्लेम

मुख्यमंत्री बागवानी बीमा योजना के तहत प्राकृतिक कारणों से फसलों की नुकसानी पर किसानों को नुकसानी के आधार पर बीमा राशि दी जाएगी। दावा-मुआवजा सर्वेक्षण और नुकसान की चार श्रेणियों 25, 50, 75 और 100 प्रतिशत की सीमा पर आधारित होगा। योजना के तहत सब्जी एवं मसाला फसलों की नुकसानी पर अधिकतम 30,000 रुपए प्रति हेक्टेयर और फलों की नुकसानी पर अधिकतम 40,000 रुपए दिए जाएंगे।  


मुख्यमंत्री बागवानी बीमा योजना में किसान को कितना देना होगा प्रीमियम

मुख्यमंत्री बागवानी बीमा योजना के तहत किसानों को फसलों का बीमा करवाना होगा। इसके लिए किसान को बीमा राशि का 2.5 प्रतिशत प्रीमियम देना होगा। योजना के अनुसार सब्जी तथा मसाला के लिए 750 रुपए प्रति हेक्टेयर तथा फलों के लिए 1,000 रुपए की प्रीमियम राशि देनी होगी।


मुख्यमंत्री बागवानी बीमा योजना की खास बातें

  • हरियाणा सरकार की ओर से शुरू की गई योजना पूर्णरूप से वैकल्पिक होगी और पूरे राज्य को कवर करेगी। 
  • इस योजना के तहत, किसानों को  सब्जी और मसाले की फसल के लिए 750 रुपए और फल फसलों के लिए 1000 रुपये का भुगतान करना होगा।
  • दावा मुआवजा 25 प्रतिशत, 75 प्रतिशत और 100 प्रतिशत की 4 श्रेणियों में सर्वेक्षण और नुकसान की सीमा पर आधारित होगा। 
  • प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमबीएफवाई) के  तहत राज्य और जिला स्तर पर राज्य सरकार द्वारा 10 करोड़ रुपये का फंड  आवंटित किया  जाएगा, जो राज्य स्तर के साथ-साथ जिला स्तर पर विवादों की निगरानी, समीक्षा और समाधान करेगा। 

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