प्रकाशित - 11 Jan 2021 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा
किसान बड़ी मेहनत से खेत में फसल उगाता है और आवारा जानवर खेत में घुसकर उसकी फसल को नष्ट कर देते हैं। इन आवारा पशुओं से खेत की रखवाली करना किसान के लिए जरूरी हो जाता है। पर चौबीस घंटे खेत की निगरानी करना किसान के लिए संभव नहीं है। इसके लिए उसे कई प्रकार के प्रबंध करने होते हैं ताकि उसके खेत में आवारा पशु नहीं घुस पाए। इसके लिए वे परंपरागत तरीके अपनाता है जैसे- ढोल पीटना, पटाखे फोडऩा या शोर मचाकर पशुओं को भगाना। पर ये तरीके पूरी तरह से कारगर नहीं है। आज तकनीकी का जमाना है और नई-तकनीकों पर जोर दिया जा रहा है। इसी तरह कृषि के क्षेत्र में भी पशुओं से फसल की सुरक्षा के लिए सोलर बाड़बंदी सिस्टम अपनाया जा रहा है। इसकी शुरुआत भी हो चुकी है। हिमाचल प्रदेश में किसान इस तकनीक का लाभ उठा रहे हैं। इसके लिए हिमाचल प्रदेश में मुख्यमंत्री खेत संरक्षण योजना के तहत 85 प्रतिशत तक अनुदान दिया जा रहा है।
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हिमाचल प्रदेश सरकार किसान के खेतों की सुरक्षा के लिए सोलर बाड़बंदी की सुविधा प्रदान कर रही है। इस बाड़बंदी के बाद खेतों में आवारा पशु नहीं आ पाते और फसल की सुरक्षा होती है। इस सोलर बाड़ के संपर्क में आते ही जानवरों का करंट लगता है और वो खेतों से दूर भागते हैं। करंट का स्तर इतना कम है कि उससे किसी जानवर की मृत्यु नहीं हो सकती और न ही वो अपंग हो सकते हैं। बस इसके संपर्क में आने पर जोर का झटका लगता है और जानवर खेतों से दूर हो जाते हैं। यदि इस बाड़ को पार कर करंट को सहते हुए कोई जानवर खेतों में आ भी जाता है, तो सोलर मशीन जोर का अलार्म बजाती है, जिसकी आवाज़ सुनकर जानवर भागने लग जाते हैं और किसान सचेत हो जाते हैं। सोलर बाड़बंदी सुअरों, बंदरों, नीलगायों और अन्य जंगली जानवरों से खेत की सुरक्षा में बड़े उपयोगी साबित हो रहे हैं।
सोलर बाड़बंदी के लिए आवेदन करने के बाद कृषि विभाग से अधिकृत कंपनी की की ओर से किसान के खेत में करीब 8 फीट की ऊंचाई वाले जैसे पिल्लर लगाएं जाते हैं। इन पिल्लरों को स्पेशल तारों से जोड़ा जाता है जिनमें सोलर एनर्जी के द्वारा हल्का करंट पैदा होता है। इसमें एक सोलर बैटरी लगती है, जिससे सोलर फेंसिंग सिस्टम को चलाया जाएगा। इस हाइटेक सिस्टम को कोई व्यक्ति या किसानों का एक गु्रप भी मिलकर लगावा सकता है।
सोलर फेंसिंग सिस्टम को लगाने के लिए 5 एकड़ जमीन में अनुमानित 40,000 रुपए आती है। बांस और बल्ली का इंतजाम किसान को करना पड़ता है। सोलर फेंसिंग सिस्टम लगाने के बाद इस सिस्टम की मेंटिनेंस भी कंपनी की ओर से देखा जाएगा। सिस्टम को कैसे चलाना है, इसकी ट्रेनिंग किसान को दी जाएगी।
सोलर फेंसिंग सिस्टम लगाने के लिए करीब 60 प्रतिशत सब्सिडी दी जाती है। अगर कोई किसान इस सिस्टम को लगवाना चाहता है, तो प्रोजेक्ट का 60 प्रतिशत हिस्सा सरकार द्वारा दिया जाएगा, बाकी 40 प्रतिशत हिस्सा किसान द्वारा होगा। ये सब्सिडी अलग-अलग राज्यों में वहां के नियमानुसार अलग-अलग हो सकती है। इस समय हिमाचल में राज्य सरकार की ओर से 85 प्रतिशत तक सब्सिडी किसानों को दी जा रही है। इसके अलावा कांटेदार तारबंदी के लिए भी सरकार सहायता प्रदान करती है।
सोलर बाड़बंदी के लिए किसानों को कृषि विभाग में जाकर आवेदन करना होगा। इसके बाद विभाग से सूचीबद्ध कंपनी ने अधिकारी किसानों के जमीन का आंकलन करते हैं। आंकलन के बाद आवेदन की सत्यता होने पर सब्सिडी दी जाती है।
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