प्रकाशित - 21 May 2023
खेती में अच्छे उत्पादन के लिए खाद और उर्वरक का बड़ा महत्त्व है। बिना खाद और उर्वरक के खेती में अच्छा उत्पादन संभव नहीं है। लेकिन खाद और उर्वरक के बढ़ते दामों से ज्यादातर किसान परेशान हैं। इसकी बड़ी वजह ये है कि खाद और उर्वरक के दाम बढ़ने से किसानों की लागत बढ़ जाती है। यही वजह है कि सरकार खाद और उर्वरक पर सब्सिडी देती है ताकि कम कीमत पर किसानों को खाद और उर्वरक उपलब्ध हो सके। हाल ही में खबर आई है कि भारत में खाद और उर्वरक पर दी जाने वाली सब्सिडी को भारत सरकार ने कम कर दिया है।
ट्रैक्टर जंक्शन के इस पोस्ट में हम खाद और उर्वरक पर सब्सिडी कम होने से पड़ने वाले असर, खाद-उवर्रक किन दामों पर मिलेंगे, कितनी सब्सिडी कम हुई आदि के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं।
सूत्रों के अनुसार बुधवार को आयोजित कैबिनेट बैठक में फर्टिलाइजर की सब्सिडी में कमी की गई है। केंद्रीय मंत्रीमंडल ने फर्टिलाइजर पर सब्सिडी को 35.36% तक कम कर दिया है। सरकार के इस कदम से खाद निर्माता कंपनियों को खाद के कम रेट मिलेंगे। क्योंकि सरकार ने ये फैसला किया है कि किसानों के लिए एमआरपी में किसी प्रकार की बढ़ोतरी न की जाए। यूरिया, पोटाश, फॉस्फेट, सल्फर और अन्य उर्वरकों पर भी सब्सिडी घटाई गई है।
सरकार की ओर से बताई गई जानकारी के मुताबिक सरकार के इस कदम से किसानों पर कोई असर नहीं पड़ेगा। सरकार ने साफ किया है कि उनके इस कदम से किसानों के जेब पर कोई असर नहीं पड़ेगा क्योंकि सरकार ने बताया कि इससे रिटेल कीमतों पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
केंद्रीय मंत्री मनसुख मंडाविया ने बताया कि उर्वरकों की एमआरपी पर कोई असर नहीं पड़ेगा। देश में जिस तरह अभी यूरिया की एक बोरी 276 रुपए की मिलती है, आगे भी इसी कीमत में मिलेगी। वर्तमान में डीएपी की कीमत 1350 रुपए प्रति बोरी है।
वर्ष 2023-24 के खरीफ सीजन में सरकार ने किसानों के खाद और उर्वरक के लिए 1.08 लाख करोड़ रुपए की सब्सिडी का ऐलान किया। इस सब्सिडी में यूरिया के लिए करीब 70 हजार करोड़ और डीएपी व अन्य खाद के लिए 38000 करोड़ रुपए की सब्सिडी का ऐलान किया। सरकार के इस कदम से खरीफ सीजन की खेती करने वाले लगभग 12 करोड़ किसानों को फायदा होगा।
सरकार यूरिया के लिए 70 हजार तो वहीं उर्वरकों के लिए 38 हजार करोड़ रुपए की सब्सिडी का ऐलान किया है। फॉस्फेट और पोटाश उर्वरकों पर सब्सिडी दिए जाएंगे। जिसमें,
सब्सिडी दिया जाने का प्रावधान किया गया है।
केंद्रीय मंत्री द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक ये सब्सिडी किसानों को 1 अप्रैल 2023 से 30 सितंबर 2023 तक यानी लगभग 6 महीने तक दी जाएगी। जब तक सरकार की ये योजना लागू है किसानों को एनबीएस दरों यानी सस्ते दरों पर ही खाद एवं उर्वरक मिलते रहेंगे।
खरीफ की फसल में सबसे ज्यादा धान की बुआई होती है। धान की फसल में उर्वरक और खाद का काफी महत्व होता है। धान की फसल के लिए नाइट्रोजन बहुत जरूरी होता है। इसलिए यूरिया की आवश्यकता होती है। अगर यूरिया के दाम बढ़ते तो धान उत्पादक किसानों के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती थी। इसके अलावा मौसम विभाग की एक रिपोर्ट के मुताबिक देश में कई जगहों पर सूखा पड़ने की संभावना है। इसलिए उत्पादन कम होने से धान के भाव में तेजी देखने को मिल सकता है।
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