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खेती के साथ मधुमक्खी पालन से होगी 10 लाख की कमाई, 75% मिलेगी सब्सिडी

प्रकाशित - 13 May 2023

मधुमक्खी पालन पर सब्सिडी : खेतों में ऐसे करें मधुमक्खी का पालन, प्रशिक्षण भी मिलेगा

भारत में किसानों की कमाई बढ़ाने के लिए सरकार तरह-तरह के प्रयास करती नजर आती है। सरकारी प्रयास के साथ-साथ देश के किसान भी अपनी आय में वृद्धि को लेकर सकारात्मक रवैया अपना रहे हैं और तेजी से डिमांड वाली खेती की ओर शिफ्ट हो रहे हैं। साथ ही एक ही खेत में विविधता वाली फसलें लगाकर किसान अपनी आय को दो से तीन गुना तक बढ़ा पा रहे हैं। किसान भाइयों, ट्रैक्टर जंक्शन के माध्यम से हम एक ऐसी ही एक खेती के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं। अगर किसान, खेती के साथ साथ खेतों में ही मधुमक्खी का पालन करें तो शहद की पैदावार के रूप में किसानों की अतिरिक्त इनकम हो जाएगी। ये अतिरिक्त इनकम 10 से 20 लाख रुपए सालाना तक भी हो सकती है। इसके अलावा सरकार द्वारा भी इस कार्य के लिए किसानों के कुल लागत का 75% भुगतान किया जाएगा। 

किन किसानों को करना चाहिए मधुमक्खी पालन

ऐसे किसान जो परंपरागत अनाज या फूल आदि की खेती करते हैं उनके लिए मधुमक्खी पालन एक बेहतरीन आय का साधन हो सकता है। इस काम में किसानों को बेहद कम लागत की जरूरत होती है। मधुमक्खियां खुद ही बाहर से परागण कर अपना खाना (शहद) तैयार करती रहती है। इस तरह किसान को अतिरिक्त मुनाफा मिलता रहता है। गौरतलब है कि बाजार में अच्छी क्वालिटी के शहद की बेहद डिमांड है। नकली शहद की वजह से बहुत सारे उपभोक्ता परेशान हैं। अगर किसान सही क्वालिटी के बिना मिलावट वाला शहद तैयार करते हैं तो निश्चित ही उपभोक्ता किसान के फार्म से शहद खरीदेंगे। ऐसे किसान जो बागवानी करते हैं, वे भी मधुमक्खी पालन का साइड बिजनेस कर सकते हैं। बागवानी किसानों को भी मधुमक्खी पालन से काफी फायदा होता है। 

मधुमक्खी पालन के क्या हैं लाभ

मधुमक्खी पालन किसानों के लिए कम लागत में अधिक मुनाफा दे सकता है। किसान इसे एक साइड बिजनेस के तौर पर देख सकते हैं। मधुमक्खी पालन से रॉयल जेली, मोम, प्रोपोलिस या बी गम और मधुमक्खी पराग जैसे अतिरिक्त उत्पाद बनाए जा सकते हैं। इन उत्पादों की बिक्री करके भी किसानों की आमदनी में काफी बढ़ोतरी की जा सकती है। मधुमक्खी पालन से शहद के अलावा इतने सारे उत्पाद मिलने से किसानों को काफी लाभ होता है।

मधुमक्खी पालन से कितनी होगी कमाई (Honey Bee Farming)

मधुमक्खी पालन का व्यापार लंबे समय से चलता आ रहा है। मधुमक्खी शहद का निर्माण करती है, और शहद के कई सारे उपयोग की वजह से सालों भर इसकी मांग बनी रहती है। शहद को प्राकृतिक चीनी के तौर पर, वहीं बहुत से लोग इसे इसके औषधीय गुण की वजह से भी खाते हैं। कई बार एलर्जी जैसी शिकायत पर डॉक्टर भी मरीज को शहद खाने का सुझाव देते हैं। शहद की इन्हीं जरूरतों और शहद व्यापार की अच्छी अपॉर्चुनिटी को देखते हुए बहुत सारे किसान मधुमक्खी पालन करना चाहते हैं। ऐसे ही एक किसान रमेश रंजन जो बिहार से आते हैं, शहद का उत्पादन कर सालाना 20 लाख रुपए की आमदनी कर पा रहे हैं। वहीं हरियाणा के प्रगतिशील किसान मैनपालजी जो पहले बागवानी विभाग में सेवारत थे, उन्होंने भी मधुमक्खी पालन की शुरुआत की। जिसके बाद आज वे सालाना 400 क्विंटल शहद का उत्पादन कर रहे हैं और लागत और श्रम को कम करने के बाद भी करोड़ों रुपए की कमाई कर रहे हैं। मैनपाल जी 400 क्विंटल शहद को अगर थोक भाव में भी बेचते हैं तो कम से कम 2 करोड़ रुपए की आमदनी सालाना हो जाती है। पिता के बिजनेस के बढ़ते मुनाफे को देखते हुए, मैनपालजी के पुत्र विनय फोगाट ने भी पिता का हाथ बटाया। बता दें कि विनय फोगाट गुरुग्राम में जॉब कर रहे थे। उन्होंने मैकेनिकल इंजीनियरिंग से बीटेक किया है। हालांकि मैनपाल जी रकवा के मामले में बड़े किसान हैं लेकिन अगर छोटे किसान 1 से 2 एकड़ में भी इस बिजनेस को शुरू करें तो सालाना 10 से 15 लाख रुपए की कमाई आसानी से कर पाएंगे।

मधुमक्खी पालन कैसे करें / मधुमक्खी पालन की विधि (How To Start Honey Bee Farming)

मधुमक्खी पालन एक ऐसा व्यवसाय है जिसमें किसानों का प्रशिक्षित होना बहुत जरूरी है।  मधुमक्खी पालन में किसानों को प्रशिक्षण के समय मधुमक्खी से अच्छा संबंध बनाना भी सिखाया जाता है। आसपास के ऐसे उद्यमी जो मधुमक्खी पालन करते हैं, उनसे संपर्क करते हुए मधुमक्खी पालन का टिप्स ले सकते हैं। मधुमक्खी पालन में किसान को व्यावहारिक तौर पर मधुमक्खियों से मिलना, उससे दोस्ती करना और उनके साथ अनुकूल होना जरूरी होता है। अगर आप मधुमक्खी पालन के लिए ट्रेनिंग लेना चाहते हैं तो इन संस्थाओं से ले सकते हैं। मधुमक्खी पालन केंद्र की जानकारी नीचे दी गई है। 

  • भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, पूसा रोड, नई दिल्ली
  • मधुमक्खी पालन एंड शोध संस्थान कृषि विश्वविद्यालय, हिसार, हरियाणा
  • मधुमक्खी प्रशिक्षण संस्थान, हल्द्वानी, नैनीताल, उत्तराखंड
  • राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड, लालकोठी, जयपुर, राजस्थान
  • ज्योति ग्रामोद्योग संस्थान, गंगोह, सहारनपुर, यूपी

मधुमक्खी पालन कैसे करते हैं, मधुमक्खी पालन कैसे शुरू करें, मधुमक्खी पालन करने के तरीके आदि विषय से जुड़ी सभी जानकारी किसानों को प्रशिक्षण केंद्र पर दी जाती है। इसके अलावा आप इंटरनेट के माध्यम से नजदीकी प्रशिक्षण केंद्र का भी चुनाव कर सकते हैं। मधुमक्खी पालन प्रशिक्षण केंद्र, बिहार, राजस्थान, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, झारखंड आदि लगभग सभी राज्यों में उपलब्ध है।

मधुमक्खी पालन के उपकरण खरीदने पर सरकार दे रही है 75% तक सब्सिडी

बिहार सरकार द्वारा मधुमक्खी पालन करने वाले किसानों को 75% सब्सिडी दी जाती है। बिहार सरकार ने प्रदेश में शहद के उत्पादन को बढ़ाने के लिए और देशभर में शहद की बढ़ती मांग को देखते हुए ऐसा फैसला लिया है। अगर किसान को मधुमक्खी पालन के उपकरण खरीदने में 1 लाख रुपए की लागत आती है तो उन्हें सरकार की ओर से 75 हजार रुपए दिए जाएंगे। बिहार सरकार एकीकृत बागवानी मिशन के तहत ये सब्सिडी किसानों को देती है। इस योजना में रजिस्ट्रेशन के लिए ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया भी उपलब्ध है। या फिर किसान इस योजना का लाभ उठाने के लिए नजदीकी कृषि विभाग के कार्यालय में संपर्क कर सकते हैं। जरूरी दस्तावेजों के साथ, आवश्यक पात्रता, शर्तों को पूरा करने वाले किसानों को इस योजना का लाभ दिया जाने का प्रावधान है। ज्यादा जानकारी मुख्यमंत्री एकीकृत बागवानी मिशन के ऑफिशियल वेबसाइट पर विजिट करें।

ट्रैक्टर जंक्शन हमेशा आपको अपडेट रखता है। इसके लिए ट्रैक्टरों के नये मॉडलों और उनके कृषि उपयोग के बारे में एग्रीकल्चर खबरें प्रकाशित की जाती हैं। प्रमुख ट्रैक्टर कंपनियों जॉन डियर ट्रैक्टर, ऐस ट्रैक्टर आदि की मासिक सेल्स रिपोर्ट भी हम प्रकाशित करते हैं जिसमें ट्रैक्टरों की थोक व खुदरा बिक्री की विस्तृत जानकारी दी जाती है। अगर आप मासिक सदस्यता प्राप्त करना चाहते हैं तो हमसे संपर्क करें।

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