प्रकाशित - 19 Feb 2024
अगर कोई आपसे कहे कि आपकी बंजर जमीन भी पैसा उगलेगी तो शायद आप इसे गंभीरता से नहीं लेंगे। लेकिन 2024 में यह सच होने वाला है। भारत में किसानों की आय को दोगुना करने के लिए केंद्र सरकार लगातार काम कर रही है। कई योजनाओं के माध्यम से किसानों को फायदा पहुंचाया जा रहा है। अब केंद्र सरकार ने बंजर जमीन से किसानों की आय बढ़ाने के लिए एक योजना पर विशेष ध्यान देना शुरू कर दिया है। इस योजना के तहत किसान को खेती में कोई लागत नहीं लगानी है। उसे सिर्फ अपना खेत सरकार को सौंपना है। सरकार उसकी बंजर भूमि पर खेती करेगी। किसान को सिर्फ खेती की देखभाल करनी है। इसके बाद जो उपज प्राप्त होगी उस पर किसान का ही हक रहेगा। किसान इस उपज को सरकार के सहयोग से बेचकर लाभ कमा सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि कैक्टस का लाभ 25 वर्षों तक मिलता रहेगा। आईये, ट्रैक्टर जंक्शन की इस पोस्ट से जानें बंजर जमीन से कमाई कैसे होगी और किसानों को लाभ कैसे मिलेगा।
आज भी हमारे देश में 67 लाख हेक्टयेर भूमि बंजर है। इन पर फसल नहीं उगाई जा सकती है। पानी की कमी, रसायनिक खादों के अंधाधुंध उपयोग व अन्य कारणों से भूमि बंजर हो जाती है। देश में बंजर भूमि के लगातार बढ़ने पर सरकार भी चिंता जता चुकी है। सरकार ने कई योजनाओं के माध्यम से बंजर भूमि धारक किसानों को राहत प्रदान की है। वर्तमान में केंद्र सरकार प्रधानमंत्री सिंचाई योजना के माध्यम से हर खेत तक पानी पहुंचाने के लिए प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (Pradhan Mantri Krishi Sinchai Yojana) के माध्यम से काम कर रही है। पीएम सिंचाई योजना के वाटर शेड कोपोंनेंट (WDC-PMKYS) के तहत बंजर भूमि पर खेती को प्रोत्साहित किया जा रहा है। वोटर शेड परियोजनाओं में कांटा रहित खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। ग्रामीण विकास विभाग के सहयोग से कांटा रहित कैक्टस की खेती से किसानों की आय में इजाफा किया जाएगा।
आज हर राज्य का किसान बंजर भूमि की समस्या से जूझ रहा है। राजस्थान, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, पंजाब, दिल्ली, हरियाणा, उत्तराखंड, बिहार, झारखंड और छत्तीसगढ़ में बंजर भूमि का रकबा बढ़ता जा रहा है। बंजर भूमि का पीएच लेवल 10.0 होता है और उपजाऊ जमीन का पीएच मान 7.0 से 7. 5 होता है। प्रधानमंत्री सिंचाई योजना (Pradhan Mantri Sinchai Yojana) के वोटर शेड परियोजनाओं के तहत अब 2024 में सबसे पहले झारखंड के किसानों को लाभ मिलेगा। झारखंड के किसान बिना किसी लागत के अपने खेतों में बिना कांटेदार कैक्टस की खेती कर पाएंगे। बंजर जमीन पर कैक्टस की खेती करना बहुत आसान होता है और किसान कैक्टस की खेती से लंबे समय तक आय प्राप्त कर सकता है।
झारखंड में बंजर जमीन को खेती के लिए योग्य बनाया जाएगा। योजना के तहत सबसे पहले प्रदेश की 68 प्रतिशत बंजर जमीन को कवर किया जाएगा और बिना कांटेदार कैक्टस की खेती शुरू की जाएगी। इसके लिए राज्य सरकार की ओर से किसानों की भरपूर मदद की जाएगी। किसान को सिर्फ अपनी जमीन सरकार को सौंपनी होगी। किसान बिना सिंचाई वाली भूमि व बंजर भूमि सरकार को खेती के लिए दे सकता है। इस भूमि पर सरकार की ओर से खेती की जाएगी। खेती की समस्त व्यवस्था ग्रामीण विकास विभाग द्वारा की जाएगी।जबकि खेती को संभालने की जिम्मेदारी किसान की होगी।
ग्रामीण विकास विभाग के संयुक्त सचिव अवध नारायण प्रसाद के अनुसार राज्य की बंजर भूमि को हरा-भरा करने के लिए सरकार कांटा रहित कैक्टस की खेती की ओर कदम बढ़ा रही है। विभाग राज्य की 157 हेक्टेयर भूमि पर कैक्टस की प्रायोगिक तौर पर खेती की शुरुआत करने जा रहा है। खूंटी जिले में इसका प्रयोग शुरू हो गया है। केंद्र प्रायोजित इस योजना का मुख्य उद्देश्य बंजर भूमि का विकास करना है।
कैक्टस के फायदों से अधिकांश किसान अनजान है। कैक्टस की खेती का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसकी खेती बंजर भूमि पर कम से कम पानी और न्यूनतम लागत से की जा सकती है। इसकी खेती के लिए सिर्फ बारिश का पानी ही पर्याप्त रहता है। वहीं, कैक्टस से प्राप्त बायोमास से पशु चारा, बायो फ्यूल, कृत्रिम चमड़ा, खाद्य पदार्थ, मुरब्बा, जूस, अमृत, कैंडी, मादक पेय, अचार, सॉस, शैंपू, साबुन और लोशन बनाए जा रहे हैं। ये बाजार में बहुत महंगी कीमत में बिकते हैं। इन सबके उत्पादन के लिए कैक्टस के बायोमास की डिमांड हमेशा बनी रहती है। इसके अलावा विभिन्न प्रकार के कैक्टस दुधारू पशुओं के लिए शानदार चारा साबित हो रहे हैं जिसके सेवन से पशुओं के दुग्ध उत्पादन में वृद्धि हो रही है। कई शोधों में यह सामने आया है कि दुधारू पशु इसे चाव से खाते हैं और पाचन संबंधी कोई दिक्कत भी नहीं आती है। गर्मी के दिनों में इसके सेवन से पशुओं को गर्मी और डिहाइड्रेशन से बचाया जा सकता है। कैक्टस के इन्हीं फायदों को देखते हुए सरकार बिना कांटेदार कैक्टस की खेती को बढ़ावा दे रही है।
कैक्टस की खेती के फायदों को देखते हुए केंद्र सरकार इसकी खेती को बढ़ावा देगी। कैक्टस की खेती भूमिगत जल स्तर को बनाये रखने में भी सहायक सिद्ध होती है तथा इसकी खेती से वाटरशेड का विकास संभव है। इसके लिए केंद्र सरकार जल्द ही एक राष्ट्रीय कैक्टस सेल गठित करेगी। यह सेल राज्यों के समन्वय से कांटारहित कैक्टस की खेती को बढ़ावा देने की दिशा में काम करेगा। इसके अलावा राज्य में भी वन, कृषि, उद्योग, ग्रामीण विकास विभाग आदि के प्रतिनिधियों को मिलाकर राज्य कैक्टस प्रकोष्ठ की स्थापना की जाएगी।
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