Published - 30 Oct 2021
भारत में कश्मीर के सेब काफी प्रसिद्ध हैं। सेब की खेती अधिकांशत: भारत के कश्मीर और जम्मू में होती है। ऐसा माना जाता है कि सेब ठंडे स्थानों में ही उगाया जा सकता है। इसलिए इसकी खेती भारत में उन स्थानों पर ही की जाती है जिन इलाकों में सर्दी पड़ती है, ठंडी जलवायु सेब की खेती के लिए काफी अच्छी रहती है। लेकिन अब इसे बिहार में भी उगाया जा रहा है। इसके लिए कृषि वैज्ञानिकों की ओर से सेब की एक विशेष प्रजाति या किस्म विकसित की गई है जो यहां की जलवायु के हिसाब से है। इस किस्म की विशेष बात यह है कि इसे किसी भी प्रकार की मिट्टी में उगाया जा सकता है। आइए जानतें हैं बिहार में सेब की खेती को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार की ओर से क्या प्रयास किए जा रहे हैं और किसानों को इससे क्या लाभ होगा।
यह एक गोलाकार पेड़ होता है जो सामान्य तौर पर 15 मीटर ऊंचा होता है। ये पेड़ जोरदार और फैले हुए होते हैं। पत्ते ज्या दातर लघु अंकुरों या स्पूर्स पर गुच्छेदार होते हैं। सफेद फूल भी स्पेर्स पर उगते हैं। इसका उत्पति केंद्र पूर्वी यूरोप और पश्चिमी एशिया माना जाता है। सेब के पौधे में संकर परागण होता है। इसमें गुणसूत्रों की संख्या 2एन=34 होती है।
सेब में विटामिन ए, विटामिन सी, पोटेशियम, फाइबर, कार्बोहाइड्रेट्स पाया जाता है। एक नॉर्मल साइज के सेब में करीबन 95 कैलोरी मौजूद होती हैं। सेब सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होता है। जैसा कि सेब में विटामिन ए, बी, सी, कैल्शियम, पोटेशियम और एंटीऑक्सीडेंट्स भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं, जो दिमाग में खून के प्रवाह को सही करते हैं। सेब खाने से दिमागी स्ट्रेस और दिमागी बीमारियां दूर होती हैं। सेब के अंदर कई प्रकार के पोषक तत्व पाए जाते हैं जो लिवर की गंदगी को साफ करते हैं।
भारत में सेब की खेती जम्मू एवं कश्मीर हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश तथा उत्तराखंड की पहाडिय़ों में की जाती है। इसके अलावा इसकी खेती अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड, पंजाब और सिक्मिम में भी की जाती है। वर्तमान में बिहार में इसकी खेती को सरकार की ओर से प्रोत्साहित किया जा रहा है।
विशेष उद्यानिक फसल (निजी और सार्वजनिक क्षेत्र ) योजना के तहत सेब की खेती को बिहार में नई फसल के रूप में प्रारंभ किया जाना है। कृषि विभाग ने पहली बार सेब की बागवानी को इस नई योजना में शामिल किया है। कृषि विभाग का मानना है कि सेब एक शीतोष्ण (कम तापमान वाली फसल) फल है। बिहार का मौसम भले ही इसके अनकूल नहीं है, लेकिन सेब की हरिमन-99 प्रजाति को विकसित किया गया है। इस प्रजाति का सेब बिहार के मौसम में पैदा किया जा सकता है।
बिहार में करीब 20 हेक्टेयर क्षेत्रफल में सेब की खेती की शुरुआत की जाएगी। इसमें 10 हेक्टेयर रकबा में कृषि विभाग और 10 हेक्टेयर पर इसमें रुचि रखने वाले किसानों से इसकी बागवानी कराई जाएगी। विभाग किसानों को 50 फीसदी के करीब सब्सिडी देगा। एक हेक्टेयर में करीब ढाई लाख रुपए की लागत आएगी। निजी क्षेत्र के तहत विभिन्न जिलों के किसानों को सेब की खेती से जोड़ा जाएगा। सेब की का क्षेत्र विस्तार करने के लिए सरकार किसानों को प्रति हेक्टेयर पर ढाई लाख रुपए तीन किस्तों में देगी। पहली किस्त में अनुदान का 60 फीसदी मिलेगा। बचा अनुदान दो समान किस्तों में दिया जाएगा।
इससे पहले प्रयोग के तौर पर राज्य के औरंगाबाद, वैशाली, बेगूसराय व भागलपुर में सेब को सफलतापूर्वक उगाया जा चुका है। यहां के किसान सेब की बागवानी का अच्छा अनुभव ले चुके हैं। यहां प्रयोग सफल होने के बाद ही कृषि विभाग राज्यभर में अक्टूबर से फरवरी के बीच इसकी सेब की बागवानी के कार्य का क्रियान्वयन शुरू किया जा रहा है। कृषि विभाग सेंटर ऑफ एक्सीलेंस, देसरी में 10 हेक्टेयर में सेब का उत्पादन करेगा।
डॉ. राजेंद्र प्रसाद कृषि विवि, पूसा के निदेशक ( अनुसंधान ) डॉ एसके सिंह के अनुसार सेब की उन्नत खेती सामान्यत ठंडे राज्यों में हो रही है। मैदानी क्षेत्र के लिए हरिमन-99 प्रजाति को विकसित किया गया है। यह 45 डिग्री तापमान पर भी अनकूल है। गया, नवादा अरवल आदि दक्षिण बिहार के जिलों को छोड़ दिया जाये, तो उत्तरी बिहार के सभी जिलों में सेब की खेती की जा सकती है।
जम्मू कश्मीर में गोल्डन डिलिशियस सहित अर्ली, मिड और लेट श्रेणी की लगभग 20 वैरायटी के सेब की खेती होती है। यह सभी वैरायटी बर्फबारी वाले इलाके में ही होती हैं।
सेब की खेती पर सब्सिडी की अधिक जानकारी के लिए बिहार के किसान भाई अपने जिले के उद्यान विभाग से संपर्क कर सकते हैं। इसके अलावा इसकी आधिकारिक वेबसाइट http://horticulture.bihar.gov.in पर जाकर पंजीयन करा सकते हैं।
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