प्रकाशित - 05 Feb 2023
भारत के साथ ही सम्पूर्ण विश्व साल 2023 को अंतरराष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष के रूप में मना रहा है। अपने देश में भी मोटे अनाज की खेती करने के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से केंद्र सरकार में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वर्ष 2023 के आम बजट में श्री अन्न योजना की शुरुआत करने की घोषणा की है। निर्मला सीतारमण ने कहा कि देश में अब मोटे अनाज की खेती करने वाले किसानों को प्रोत्साहित किया जाएगा। खास बात यह है कि मोटे अनाजों को अब श्री अन्न के नाम से भी जाना जाएगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने भाषण के दौरान कहा कि अब मोटे अनाजों की खेती और भोजन के रूप में बढ़ावा देने के लिए श्री अन्न योजना की शुरुआत की जा रही है। भारत में प्राचीन समय से ही मोटे अनाजों की खेती की जा रही है। मोटे अनाजों को हर तरह की मिट्टी व जलवायु की परिस्थितियों में उगाया जा रहा है। किसान बंजर जमीन पर भी मोटे अनाज की खेती करके बढ़िया उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं। वहीं दूसरी तरफ सामान्य अनाज के मुकाबले बाजार में मोटे अनाजों के भाव काफी अच्छे मिलते हैं। मोटे अनाज के नियमित सेवन से शरीर का इम्यूनिटी सिस्टम मजबूत होता है और शरीर में लगने वाली बीमारियों का खतरा भी कम रहता है। मोटे अनाज की खेती करने में ज्यादा लागत नहीं आती, इसलिए किसानों को इसकी खेती करने से बढ़िया मुनाफा हो जाता है।
किसान भाइयों आज ट्रैक्टर जंक्शन की इस पोस्ट के माध्यम से हम आपके साथ श्री अन्न योजना से जुड़ी सभी जानकारियां साझा करेंगे।
भारत में प्राचीन समय से ही मोटे अनाज की खेती करने का चलन रहा है। भारत के विभिन्न राज्यों में अलग-अलग प्रकार के मोटे अनाजों की खेती की जाती है। इसमें से ज्वार, बाजरा, चीना, रागी, कोदो, कुटकी, सांवा, कंगनी, झंगोरा, कुट्टू, चौलाई और ब्राउन टॉप आदि की खेती प्रमुख रूप से की जाती है।
मोटे अनाज यानी की मिलेट्स को ही अब श्री अन्न के नाम से जाना जाएगा। इस तरह के मोटे अनाजों में विटामिन, खनिज, फाइबर और दूसरे पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। वित्त मंत्री के अनुसार भारत दुनिया में मिलेट्स का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक देश है। भारत के किसान ज्वार, रागी, बाजरा, कुट्टू, रामदाना, कंगनि, कुटकी, कोडो, छीना और सामा जैसे कई श्री अन्न की खेती करते हैं। मोटे अनाज सामान्य अनाज के मुकाबले हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत ही लाभदायक होते हैं। सरकार अब देश को श्री अन्न का ग्लोबल हब बनाने की तैयारी कर रही है। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मिलेट रिसर्च, हैदराबाद भारत में मिलेट्स अनाज के उत्पादन बढ़ाने के लिए विभिन्न प्रकार के रिसर्च भी कर रहा है।
पूरी दुनिया में मोटे अनाज की खेती सबसे ज्यादा अफ्रीका में की जाती है, लेकिन मोटे अनाज का सबसे अधिक उत्पादन देने वाला देश भारत है। निर्यात की बात करें तो अफ्रीका मोटे अनाजों का सबसे बड़ा निर्यातक देश है, जबकि भारत मोटे अनाजों के निर्यात करने में दूसरे स्थान पर है। भारत से लीबिया ,यूएई, नेपाल, सऊदी अरब, मिस्र, ट्यूनीशिया, ओमान, यमन, ब्रिटेन और अमेरिका में ज्वार, बाजरा, रागी, कनेरा और कुटू का निर्यात कर रहा है। दुनियाभर में मिलेट्स के प्रमुक उत्पादकों की लिस्ट में, चीन, माली, सुडान, नाइजीरिया इथोपिया, बर्किना फासो, चाड, पाकिस्तान, सेनेगल, तंजानिया, नेपाल, रूस, यूक्रेन, युगांडा, म्यांमार, घाना और गिनी आदि देश शामिल हैं।
मोटे अनाज की फसलों की खेती में बेहद ही कम पानी की जरूरत होती है। अन्य फसलों के मुकाबले मोटे अनाज की खेती कम पानी वाली जमीन पर भी की जा सकती है। बाजरे की खेती करते समय पूरी फसल तैयार होने में सिर्फ 350 मिलीमीटर पानी की आवश्यकता होती है। दूसरी तरफ बाकी फसलें पानी की कमी होने के कारण बर्बाद हो जाती हैं, वहीं, मोटे अनाज की फसल खराब होने की स्थिति में पशुओं के चारे के काम आ जाती है।
अपने देश में मोटे अनाजों की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। पूरी दुनिया में भारत का अनुमानित मोटे अनाज का हिस्सा लगभग 41 प्रतिशत है। एफएओ की रिपोर्ट के अनुसार, साल 2020 में मोटे अनाजों का उत्पादन पूरे विश्व में 30.464 मिलियन मीट्रिक टन तक का हुआ था। इसमें से भारत का हिस्सा 12.49 एमएमटी था।
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