सुअर पालन बिजनेस : सुअर पालन के लिए सरकार से मिलेगी 95 प्रतिशत सब्सिडी

Share Product Published - 30 Mar 2022 by Tractor Junction

सुअर पालन बिजनेस : सुअर पालन के लिए सरकार से मिलेगी 95 प्रतिशत सब्सिडी

जानें, क्या है सूअर पालन बिजनेस और इससे होने वाले लाभ

किसानों और पशुपालकों के लिए सरकार की ओर से कई लाभकारी योजनाएं चलाई जा रही है। इसके अलावा ग्रामीण युवाओं के लिए भी स्वरोजगार के लिए योजना शुरू की गई है। इसके जरिये ग्रामीण युवा गांव में रहकर अपना रोजगार शुरू कर सकते हैं। इन्हीं रोजगार में से एक सुअर पालन बिजनेस हैं। इस बिजनेस के लिए सरकार की ओर से 95 प्रतिशत तक सब्सिडी का लाभ प्रदान किया जाता है। ये बिजनेस पशुपालकों के साथ ही बेरोजगार युवाओं के लिए भी अच्छी कमाई का जरिया बन सकता है। इस बिजनेस को शुरू करने के लिए आपको सिर्फ 5 प्रतिशत राशि ही अपने पास से लगानी होती है। शेष राशि की व्यवस्था बैंक लोन से हो जाएगी। आज हम ट्रैक्टर जंक्शन के माध्यम से आपको सुअर पालन बिजनेस की जानकारी दे रहे हैं।

क्या है सूअर पालन बिजनेस

सूअर पालन बिजनेस एक ऐसा बिजनेस हैं जो कम लागत पर अधिक लाभ देता है। जबकि अन्य पशुपालन व्यवसाय में इसके मुकाबले अधिक खर्चा होता है और मेहनत भी ज्यादा होती है। लेकिन सूअर पालन बिजनेस में धन और श्रम बहुत कम खर्च होता है और मुनाफा इससे दुगुना होता है। इसे देखते हुए सुअर पालन बिजनेस मुनाफे का सौंदा बन सकता है। बता दें कि सुअर एक ऐसा पशु है, जिसकी प्रजनन क्षमता काफी अधिक होती है। मादा सुअर एक बार में कम से कम 5 से लेकर 14 बच्चों को आराम से जन्म दे सकती है। इससे लोगों को काफी अधिक मुनाफा होता है, क्योंकि बाजार में इसके मांस की मांग बहुत रहती है और इसकी कीमत भी अच्छी मिलती है।

सुअर से प्राप्त होने वाले उत्पाद और उनका उपयोग

सुअर के मांस की ही नहीं सुअर के बालों की भी बाजार में अच्छी खासी मांग रहती है। इसके बालों का उपयोग पेंटिंग ब्रश बनाने के साथ ही अन्य प्रकार के ब्रश बनाने में किया जाता है। सुअरों की चर्बी से मिलने वाले जलेटिन को पोर्कीन जलेटिन या पोर्क जलेटिन कहते हैं। दवाएं बनाने में जलेटिन का इस्तेमाल कई तरह से होता है। वैक्सीन में इसका इस्तेमाल एक स्टेबलाइजर की तरह किया जाता है। इसके अलावा सुअर की चर्बी का घी को चोट, मोच, और लकवा (पैरालिसिस) आदि को ठीक करने में उपयोग किया जाता है, यह बहुत ही गर्म प्रकृति का होने के कारण काफी असरदार साबित होता है। इसके अलावा इसके मांस का प्रयोग केमिकल्स के रूप में जैसे सौन्दर्य उत्पाद और रसायनों में अन्य तरीके से उत्पादों में प्रयोग किया जाता है। वहीं इसके गोबर यानि अवशिष्ट को खाद बनाने के लिए उपयोग मे लाया जाता है।

सुअर पालन बिजनेस से होने वाले लाभ

  • सुअर पालन बिजनेस कम लागत पर शुरू किया जा सकता है और इससे अधिक आय प्राप्त की जा सकती है।
  • अन्य पशुओं की तुलना में सुअर से अधिक मांस प्राप्त किया जाता है। इसकी मांग देश और विदेशों में अधिक है।
  • जो खाना हम बेकार समझ कर फेंक देेते हैं। वे खाना सुअर खा लेते हैं। इससे उनके आहार पर भी कोई अलग से खर्च करने की आवश्यकता कम ही होती है।
  • इस बिजनेस में सुअरों के रखरखाव के लिए स्थान या अन्य सामग्री पर कम निवेश की आवश्यकता होती है।
  • मादा सुअर एक बार में 10 से 12 बच्चों को जन्म देती है। ये साल में तीन बार बच्चों को जन्म देती है। एक बच्चा 8-9 महीने बड़ा हो जाता है। इस तरह इस बिजनेस से हर साल मोटी कमाई की जा सकती है।
  • सुअर का मांस अच्छे प्रोटीनयुक्त और पोषक मांस के रूप में जाना जाता है। इसकी बाजार मांग भी अधिक होने से इसके मांस के विक्रय से अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है।

कैसे शुरू करें सुअर पालन बिजनेस

सुअर पालन बिजनेस को शुरू करने से पूर्व आपको इस व्यवसाय से जुड़ी बातों की जानकारी होनी चाहिए। इसके लिए आपको यह जानना जरूरी होगा कि इस व्यवसाय को शुरू करने में कितना खर्च आएगा। सुअरों के लिए स्थान का चुनाव, सुअर की प्रजाति का सही ज्ञान होना, सुअर से प्राप्त उत्पाद के लिए बाजार की मांग को पता करना। इसके अलावा सबसे अहम जो है वे यह कि इस बिजनेस में आने वाले जोखिमों की जानकारी होना भी जरूरी है जैसे- सुअरों में होने वाली बीमारियों और इससे बचाव की जानकारी होना भी जरूरी है। इन सब बातों की जानकारी के बाद सुअर पालन बिजनेस शुरू किया जाए तो काफी अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है।

सुअर पालन बिजनेस के लिए कितनी मिलेगी सब्सिडी

हिमाचल प्रदेश में राष्ट्रीय पशुधन मिशन के तहत कई योजनाएं संचालित की जा रही है। इसके तहत पोल्ट्री, भेड़, बकरी, सूअर पालन आदि योजनाएं शामिल की गई है। इन योजनाओं के माध्यम से राज्य के लोगों को स्वरोजगार का अवसर प्रदान किया जा रहा है। इस क्रम में हिमाचल प्रदेश सरकार की ओर से राज्य में सूअर पालन को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसके लिए ग्रामीण बैकयार्ड विकास योजना का क्रियान्वयन किया जा रहा है। इस केंद्र प्रायोजित योजना के तहत बीपीएल परिवार से संबंधित सूअर पालकों को 95 प्रतिशत सब्सिडी दी जा रही है, जिसमें 90 प्रतिशत हिस्सेदारी केंद्र तथा 5 प्रतिशत प्रदेश सरकार द्वारा वहन की जा रही है। सूअर पालकों को 95 प्रतिशत सब्सिडी पर तीन मादा और एक नर सूअर प्रदान किए जाते हैं। इस तरह कुल लागत की केवल 5 प्रतिशत राशि ही लाभार्थी अपने पास से लगानी पड़ती है।

सुअर पालन बिजनेस के लिए बैंक से मिलता है लोन

सूअर पालन का बिजनेस शुरू करने के लिए सरकारी बैंको और नाबार्ड द्वारा लोन दिया जाता है। इस लोन पर ब्याज दर और समय अवधि अलग-अलग होती है। जानकारी के मुताबिक, लोन की राशि पर ब्याज दर करीब 15 से 25 प्रतिशत प्रतिवर्ष होती है। यदि आप इस बिजनेस के लिए सरकार द्वारा जारी की गई सूअर पालन योजना में ऋण के लिए आवेदन करते हैं, तो आपको इसके लिए सरकार से एक लाख रुपए राशि पर सब्सिडी दी जाती हैं।

सुअर पालन बिजनेस के लिए लोन और सब्सिडी प्राप्त करने के लिए पात्रता और शर्तें

  • योजना का लाभ लेने वाला व्यक्ति भारत देश नागरिक होना चाहिए।
  • लोन लेने वाले की आयु 18 वर्ष या उससे अधिक होनी चाहिए।
  • सूअर का बिजनेस शुरू करने के लिए अपने क्षेत्र के निगम अधिकारी की अनुमति होनी आवश्यक है।
  • सूअर की देखभाल के लिए और उनकी सुविधा अनुसार स्थान का चयन किया जाना चाहिए।

सुअर पालन योजना के तहत सब्सिडी व लोन लिए जरूरी दस्तावेज

  • आवेदन करने वाले व्यक्ति का आधार कार्ड
  • आवेदन करने वाले का बैंक खाता विवरण, इसके लिए बैंक पासबुक की कॉपी
  • आवेदन करने वाले व्यक्ति का पासपोर्ट साइड फोटो
  • जमीन संबंधित दस्तावेज
  • नगर निगम अधिकारी द्वारा जारी अनुमति पत्र।

सुअर पालन बिजनेस के लिए सब्सिडी और लोन के लिए कहां करें संपर्क

सुअर पालन बिजनेस पर सब्सिडी का लाभ प्राप्त करने के लिए आपको ऑफलाइन आवेदन करना होगा। क्योंकि अभी फिलहाल इसके लिए ऑनलाइन आवेदन की कोई व्यवस्था नहीं है। इसलिए आपको इस योजना का लाभ उठाने के लिए अपने नजदीकी बैंक में जाकर ऑफलाइन ही आवेदन करना होगा। वहीं बैंक से लोन की राशि पर कम ब्याज दर प्राप्त करने के लिए आप अपने नाबार्ड खेती परियोजना अधिकारी से संपर्क कर ब्याज दर की छूट का लाभ ले सकते हैं। इस योजना से जुड़ी और अधिक जानकारी के लिए आप अपने क्षेत्र के नजदीकी बैंक से भी संपर्क कर सकते हैं।  

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