प्रकाशित - 24 Oct 2024
धान की फसल कटने के साथ ही फसल अवशेषों यानी पराली को जलाने की घटनाएं होने लग जाती है। किसान अगली फसल की जल्दी में पराली का सही से निस्तारण नहीं करते हैं और उसे खेत में ही जला देते हैं जिससे पर्यावरण को नुकसान पहुंचने के साथ ही मिट्टी की उर्वराशक्ति भी प्रभावित होती है। पराली जलाने की समस्या का सही से निस्तारण हो सके, इसके लिए राज्य सरकार ने किसानों व लोगों को पराली से खाद बनाने वाले कृषि यंत्रों यानी पराली प्रबंधन (Stubble Management) में काम आने वाले कृषि यंत्रों (Agricultural machinery) पर 80 प्रतिशत तक सब्सिडी (Subsidy) देने की घोषणा की है। ऐसे में किसान बहुत ही कम कीमत पर पराली प्रबंधन के कृषि यंत्रों का लाभ प्राप्त करके पर्यावरण व मिट्टी दोनों को बचा सकते हैं।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक यूपी में पराली प्रबंधन के रूप में किसानों को पराली को गौशाला में भेजने के लिए कहा गया है जिससे इसका उपयोग चारे के रूप में किया जा सके। इसके लिए किसानों को आर्थिक सहायता भी मिलेगी। वहीं पराली को सड़ाकर खाद बनाने वाले किसानों को पराली प्रबंधन में काम में आने वाली मशीनों जैसे- हैप्पी सीडर, स्टॉ बेलर, सुपर सीडर, स्ट्रॉ मैनेजमेंट सिस्टम (एसएमएस), पैडी स्ट्रॉ चौपर, रोटरी स्लेशर, जीरो टिलेज/सीड-कम- फर्टिलाइजर जैसी कृषि मशीनों पर 50 से 80 प्रतिशत तक सब्सिडी (Subsidy) मिलती है। इसके लिए किसान कृषि यंत्रीकरण योजना की आधिकारिक वेबसाइट पर कृषि यंत्रों के लिए बुकिंग करा सकता है। पराली प्रबंधन के कृषि यंत्रों पर सब्सिडी (Subsidy on Agricultural Equipment) के लिए आवेदन से संबंधित अधिक जानकारी के लिए किसान अपने निकट के कृषि विभाग (Agriculture Department) से संपर्क कर सकते हैं।
धान की पराली जलाने पर यूपी सरकार (UP government) ने यहां के किसानों पर भारी जुर्माना लगाने की तैयारी कर ली है। वहीं सरकार की ओर से जुर्माना की दर भी तय कर दी गई है। इसके तहत 2 एकड़ से 5 एकड़ तक के खेतिहर किसानों के लिए जर्माना राशि निर्धारित की गई है। यूपी कृषि विभाग (Agriculture Department) के मुताबिक पराली जलाने पर प्रदेश के किसानों पर 15,000 रुपए तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। इतना ही नहीं किसानों को सरकारी योजनाओं के तहत मिलने वाले अनुदान या सब्सिडी (Subsidy) से भी वंचित किया जा सकता है। यूपी में 2 एकड़ से कम क्षेत्रफल में पराली जलाने पर 2500 रुपए जुर्माना तय किया गया है। वहीं 2 से 5 एकड़ क्षेत्रफल में पराली जलाने पर 5,000 रुपए तक और इससे अधिक क्षेत्रफल में पराली जलाने पर 15,000 रुपए तक का जुर्माना वसूला जा सकता है। यदि किसान दोबारा पराली जलाने के दोषी पाए जाते हैं तो उन पर एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए गए हैं।
पराली प्रबंधन के काम के लिए हैप्पी सीडर (Happy Seeder) काफी बेहतर कृषि मशीन मानी जा रही है। इस मशीन की सहायता से किसान पराली की समस्या से छुटकारा पाने के साथ ही खेत की जुताई व बुवाई का काम आसानी से कर सकते हैं। यह मशीन फसल अवशेष यानी फसल कटने के बाद बचे ठूंठ जिसे पराली कहा जाता है, को छोटे-छोटे टुकड़ों में करके उसे खेत में बिछाने देती है जिससे यह खेत में अधिक समय बाद खाद में बदल कर खेत की नमी को बनाए रखते हैं। इतना ही नहीं हैप्पी सीडर से आप अगली फसल की बुवाई का काम भी कर सकते हैं। यह मशीन बीजों की कतार में बुवाई भी करती है। इस तरह हैप्पी सीडर से किसान पराली प्रबंधन के साथ ही नई फसल की बुवाई का काम कर सकते हैं।
हैप्पी सीडर की तरह ही सुपर सीडर (Super Seeder) भी पराली प्रबंधन व बुवाई का काम करती है। इस मशीन की सहायता से पराली को टुकड़ों में काटकर मिट्टी में दबा दिया जाता है। इसके ऊपर से गेहूं या सरसों की बुवाई के लिए बीज बोए जाते हैं। मिट्टी में दबी पराली धीरे-धीरे खाद में बदलने लगती है। इससे भूमि की जल धारण क्षमता बढ़ती है और मिट्टी में नमी बनी रहती है। इस तरह सुपर सीडर से भी बिना पराली को जलाए अगली फसल की बुवाई की जा सकती है। सुपर सीडर मशीन से किसान धान की पराली को बिना जलाए गेहूं, मक्का, मटर और दलहन फसलों की बुवाई कर सकते हैं।
बाजार में कई कंपनियों के हैप्पी सीडर व सुपर सीडर आते हैं। यदि बात की जाए हैप्पी सीडर की कीमत (Happy Seeder Price) की तो अलग- अगल ब्रांड और फीचर्स के अनुसार हैप्पी सीडर की कीमत 1.58 लाख से 2.53 लाख रुपए तक है। इसी प्रकार सुपर सीडर की कीमत (Super Seeder Price) 80000 से 2.99 लाख रुपए तक है। इस पर यूपी सरकार] किसानों को कृषि यंत्र की लागत पर 50 से 80 प्रतिशत तक सब्सिडी (Subsidy) दे रही है। ऐसे किसान बहुत ही कम कीमत पर सरकारी अनुदान पर कृषि प्रबंधन के काम आने वाली मशीनें प्राप्त कर सकते हैं।
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