प्रकाशित - 15 Nov 2024 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा
किसानों को खेती के लिए कृषि यंत्रों पर सब्सिडी का लाभ प्रदान किया जाता है ताकि उन्हें सस्ती कीमत पर कृषि यंत्र उपलब्ध हो सके। इसके लिए सरकार की ओर से कृषि यंत्र अनुदान योजना चलाई जा रही है। इस योजना का लाभ उठाकर किसान खेती के लिए सस्ती कीमत पर कृषि यंत्र खरीद सकते हैं। इसके साथ ही सरकार की ओर से अवशेष प्रबंधन के कृषि यंत्रों पर भी भारी अनुदान दिया जा रहा है। राज्य सरकार की ओर से अवशेष प्रबंधन यानी पराली प्रबंधन के लिए सुपर सीडर, बेलर और कटर मशीनों पर 50 प्रतिशत सब्सिडी दी जा रही है। ऐसे में सरकार की योजना के तहत किसानों को यह कृषि यंत्र आधी कीमत पर उपलब्ध कराए जा रहे हैं। राज्य के जो किसान अवशेष प्रबंधन में काम आने वाले कृषि यंत्रों पर सब्सिडी का लाभ प्राप्त करना चाहते हैं, वे इसके लिए आवेदन कर सकते हैं।
राज्य के किसानों को पराली जलाने से रोकने और उसका प्रबंधन करने के उद्देश्य से पराली प्रोत्साहन योजना 2024-25 की शुरुआत की गई है। इस योजना के तहत राज्य के किसानों को पराली के प्रबंधन के लिए कृषि यंत्रों जैसे- सुपर सीडर, बेलर और कटर मशीन की खरीद पर सरकार की ओर से 50 प्रतिशत तक सब्सिडी दी जा रही है। ऐसे में किसानों को यह कृषि यंत्र आधी कीमत पर उपलब्ध कराए जा रहे हैं।
राज्य सरकार की ओर से शुरू की गई पराली प्रबंधन योजना के तहत किसानों को पराली नहीं जलाने पर एक हजार रुपए प्रति एकड़ के हिसाब से अनुदान दिया जाएगा। इस तरह किसानों को इस योजना से डबल फायदा हो रहा है। एक तो पराली नहीं जलाने की एवज में पैसा मिल रहा है और दूसरी ओर पराली प्रबंधन के कृषि यंत्रों को आधी कीमत पर उपलब्ध कराया जा रहा है। कृषि उप निदेशक डॉ. वजीर सिंह के मुताबिक पराली प्रबंधन करने के लिए इस बार 1690 किसानों ने कृषि यंत्रों के लिए आवेदन किया है। इसी के साथ ही पराली प्रबंधन को लेकर भी किसानों का रुझान बड़ी तेजी से बढ़ रहा है।
सुपर सीडर एक ऐसी मशीन है जिसकी सहायता से गेहूं या धान के अवशेष यानी पराली को टुकड़ों में काटकर मिट्टी में दबाने का काम किया जाता है। इसके साथ ही यह मशीन बीजों की बुवाई का काम भी आसानी से कर देती है। जमीन के अंदर जो पराली दबाई जाती है वे कुछ समय बाद खाद में बदल जाती है जो मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ाने का काम करती है। सुपर सीडर मशीन से बोनी, जुताई, मल्चिंग और खाद फैलाने का काम एक साथ किया जा सकता है। इस मशीन को ट्रैक्टर के साथ जोड़कर चलाया जाता है।
बेलर मशीन से पराली प्रबंधन का काम काफी बेहतर तरीके से किया जा सकता है। सबसे पहले ट्रैक्टर में लगे कटर से पराली को काटा जाता है। इसके बाद ट्रैक्टर पर लगी बेलर मशीन में लगे जाल की सहायता से इसे दबाकर सीधा किया जाता है। इस तरह बनी गांठ को सूतली, तार पट्टियों से बांधा जाता है। इस तरह बेलर मशीन फसल अवशेष यानी पराली को पैकेज में बदलने का काम करती है। इस मशीन की सहायता से पराली की गांठे बनाई जाती है जिसे एक जगह से दूसरी जगह पर पहुंचाना आसान हो जाता है। बेलर से तैयार की गई पराली की गांठों का कई कामों में इस्तेमाल किया जा सकता है। पराली को बायोफ्यूल बनाने के लिए फैक्ट्री में भेजा जा सकता है। पराली को पशु चारे के रूप में काम में लिया जा सकता है। इसे अपने पालतू पशु गाय, भैंस को खिलाया जा सकता है। इसके अलावा पराली की गांठों का इस्तेमाल थर्मल स्टेशनों पर बिजली उत्पादन के लिए भी किया जाता है। इस तरह बेलर मशीन की सहायता से पराली की गांठे बनाकर किसान इसे बेचकर काफी अच्छा पैसा कमा सकते हैं।
सुपर सीडर मशीन को चलाने के लिए 35 से 65 एचपी के ट्रैक्टर की आवश्यकता होती है। सुपर सीडर मशीन की कीमत 2.50 लाख से 3 लाख रुपए तक होती है। इस पर हरियाणा सरकार की ओर से 50 प्रतिशत सब्सिडी दी जा रही है। ऐसे में किसानों को यह मशीन 1.50 लाख रुपए में मिल सकती है। वहीं बेलर मशीन की कीमत 3.25 लाख रुपए होती है। इस पर सब्सिडी मिलने पर किसान को यह 1.75 लाख रुपए में मिल सकती है। इसके अलावा कटर मशीन की कीमत 20 से 35 हजार रुपए के बीच होती है जिस पर 50 प्रतिशत अनुदान मिलने पर यह किसान को 20 हजार रुपए तक मिल सकती है। बता दें कि कृषि यंत्र पर लगने वाला जीएसटी, सब्सिडी में शामिल नहीं होता है। ऐसे में कृषि यंत्र पर लगने वाले जीएसटी का भुगतान किसान को ही करना होता है।
पराली प्रबंधन को लेकर हरियाणा में किसानों के लिए इन सीटू और एक्स-सीटू स्टॉप मैनेजमेंट योजना चलाई गई है। इस योजना के तहत राज्य के किसानों को सब्सिडी का लाभ प्रदान किया जा रहा है। योजना का लाभ लेने के इच्छुक किसान 30 नवंबर 2024 तक मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। फसल विविधीकरण योजना से संबंधित और अधिक जानकारी के लिए आप अपने जिले के निकटतम कृषि विभाग से संपर्क कर सकते हैं।
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