Published - 29 Jan 2022 by Tractor Junction
सरकार की ओर से महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कई तरह की योजनाएं चलाई जा रही है। इसमें खास कर ग्रामीण महिलाओं को स्वरोजगार से जोडऩे पर विशेष फोकस किया जा रहा है। इसी कड़ी में मध्यप्रदेश सरकार की ओर से ग्रामीण महिलाओं को स्वरोजगार से जोडऩे की पहल की जा रही है। राज्य सरकार सरकार महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में निरंतर कार्य कर रही है। शासन की योजनाओं के तहत जिले में भी महिलाओं को स्व:रोजगार से जोडऩे का काम किया जा रहा है। इसी दिशा में कटनी के ढीमरखेड़ा क्षेत्र की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने मनरेगा के तहत आजीविका मिशन के सहयोग से मुर्गी शेड बनाने का काम किया जा रहा है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार कलेक्टर प्रियंक मिश्रा के निर्देशानुसार व जिला पंचायत सीईओ जगदीश चंद्र गोमे के मार्गदर्शन में स्व सहायता समूहों के सदस्यों को आजीविका संवर्धन के उद्देश्य से पोल्ट्री शेड निर्माण कराए जा रहा है। इसको लेकर आदिवासी बाहुल्य ढीमरखेड़ा विकासखंड को पायलेट के रूप में चुना गया है। महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने व स्व : रोजगार से जोडऩे के लिए मध्यप्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन द्वारा 15 ग्रामों में अभियान चलाकर 424 सदस्यों का चयन मुर्गी शेडों के निर्माण के लिए किया गया है। द्वितीय चरण में ग्राम सगौना, आमाझाल, कोठी, झिन्ना पिपरिया, मूडीखेड़ा, बिजौरी, जिर्री, छहर आदि गांवों में 300 शेडों का निर्माण कराया जाएगा।
बताया जा रहा है कि उपरोक्त गांवों में मुर्गी शेड के निर्माण के साथ ही मुर्गी पालन का कार्य शुरू किया जाएगा। इससे इसमें चयनित ग्रामीण महिलाओं को हर माह करीब 5 से 7 हजार रुपए की आय होगी। जिला पंचायत सीईओ श्री गोमे ने मीडिया को बताया कि प्रथम चरण में विकासखंड ढीमरखेड़ा के 9 गांव के 158 सदस्यों के यहां मनरेगा योजना से पोल्ट्री शेडों का निर्माण कराया गया है। जिसमें स्व सहायता समूहों से जुड़े 158 सदस्य शामिल हैं और उनके द्वारा शेड निर्माण के बाद मुर्गी पालन का कार्य भी प्रारंभ कर दिया गया है। जिसके माध्यम से प्रत्येक सदस्य को हर माह 5 से 7 हजार रुपए की आय भी प्राप्त हो रही है।
इधर छत्तीसगढ़ में भी महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकार की ओर से प्रयास किए जा रहे हैं। बकरी, मुर्गा व सुकर बिक्री के लिए धमतरी जिले के गांवों में बेहतर बाजार है। ऐसे में समूह की महिलाओं को गोठान के माध्यम से रोजगार देने के लिए बकरी, मुर्गी व सुअर पालन करने पर जोर दिया जा रहा है। महिलाएं इन्हें बेचकर रुपए कमाएं और आर्थिक रूप से सुदृढ़ हो सके। प्रत्येक ग्राम पंचायतों में बने गोठानों पर इनके पालन के लिए शेड का निर्माण किया जा रहा है, जल्द ही गोठानों में मुर्गी पालन का कार्य भी शुरू किया जाएगा।
जिले में संचालित 270 गोठानों में गोबर से निर्मित कंपोस्ट खाद बिक्री व बनाने के अलावा समूह की महिलाओं के पास अन्य कोई रोजगार नहीं है। ऐसे में वे लगातार रोजगार की मांग कर रही है, जिस पर महिलाओं को गोठान से ही रोजगार देने की कोशिश शुरू हो गई है। जिला पंचायत सीईओ प्रियंका महोबिया महिलाओं को रोजगार देने के लिए गंभीर नजर आ रही है। वे लगातार जिले में संचालित गोठानों का निरीक्षण कर महिलाओं को गोठान के माध्यम से रोजगार देकर आत्मनिर्भर बनाने पर जोर दे रही है। गोठान पर मवेशियों को रखने के अलावा गोठान का उपयोग मुर्गा पालन, सुकर पालन और बकरी पालन के लिए जोर दे रही है, ताकि महिलाओं को इनसे रोजगार मिल सके। इनके पालन के बाद बिक्री के लिए स्थानीय बाजार ही काफी है। महिलाओं को बाजार में मुर्गा, बकरा व सुकर बेचने के लिए बाजार ढूंढने की जरूरत नहीं है।
ग्राम पंचायत परसतराई के गोठान पर मुर्गा पालन के लिए शेड तैयार किया जा रहा है। शेड बनने के बाद यहां स्व-सहायता समूह की महिलाएं को मुर्गी, बकरी और सुकर पालन से जोड़ा जाएगा। इसकी तैयारी गोठान पर जारी है। डीएमएफ फंड मनरेगा योजना से पिछले दिनों जिला प्रशासन की हुई बैठक में 174 महिला समूहों के लिए वर्कशेड निर्माण, मुर्गी पालन शेड, सामुदायिक बकरी पालन शेड, सामुदायिक सुकर पालन शेड सामुदायिक मुर्गा पालन शेड के लिए राशि स्वीकृत करने प्रस्ताव बनाया गया है, जल्द ही स्वीकृति मिलने के बाद काम शुरू हो जाएगा और महिलाएं इस काम से जुड़ेंगी।
जिले कि महिलाओं को मशरूम बनाने के लिए भी प्रेरित किया जा रहा है। इसके लिए सामुदायिक मशरूम उत्पादन शेड का भी निर्माण गोठानों में किया जाएगा। जिला प्रशासन की यह स्कीम महिलाओं के लिए काफी लाभकारी साबित हो सकती है। कलेक्टर पीएस एल्मा ने बताया कि समूह की महिलाओं को रोजगार देने जिले में यह पहल की जा रही है, ताकि महिलाएं आत्मनिर्भर बन सकें।
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