किसानों की आय बढ़ाने के लिए दो योजनाएं मंजूर, एक लाख करोड़ रुपए खर्च करेगी सरकार

Share Product प्रकाशित - 05 Oct 2024 ट्रैक्टर जंक्शन द्वारा

किसानों की आय बढ़ाने के लिए दो योजनाएं मंजूर, एक लाख करोड़ रुपए खर्च करेगी सरकार

जानें, कौनसी है यह योजनाएं और इससे कैसे मिलेगा किसानों को लाभ

सरकार की ओर से किसानों की आय बढ़ाने के लिए कई प्रकार की योजनाएं चलाई जा रही हैं। वहीं कुछ नई योजनाओं की घोषणाएं की जा रही है। इसी क्रम में केंद्र सरकार की ओर से किसानों की आय बढ़ाने के उद्देश्य से एक लाख करोड़ रुपए की योजनाएं को मंजूरी दी गई है। बताया जा है कि इन योजनाओं से किसानों को लाभ होगा। केंद्र सरकार की ओर से जिन कृषि से संबंधित दो योजनाओं को मंजूरी दी गई है, वे पीएम राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (PM National Agricultural Development Scheme) और कृषोन्नति योजना (Krishonnati Yojana) हैं।

कैबिनेट की बैठक में मिली योजनाओं को मंजूरी

केंद्र सरकार की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हाल ही में हुई कैबिनेट की बैठक में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने कृषि एवं किसान किसान मंत्रालय के तहत संचालित सभी केंद्र प्रयोजित योजनाओं को दो-समग्र योजनाओं- प्रधानमंत्री राष्ट्रीय कृषि विकास योजना, जो एक कैफेटेरिया योजना है और कृषोन्नति योजना के अधीन युक्तिकरण के लिए कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। बताया जा रहा है कि राष्ट्रीय कृषि विकास योजना से जहां टिकाऊ कृषि को बढ़ावा मिलेगा। वहीं कृषोन्नति योजना से खाद्य सुरक्षा एवं कृषि के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को पूरा करने में सहायता मिलेगी।

योजनाओं पर कितना पैसा किया जाएगा खर्च

इन दोंनो योजनाआं के तहत सरकार कुल 1,01,321.61 करोड़ रुपए खर्च करेगी। इसमें पीएम राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के लिए 57,074.72 करोड़ रुपए और कृषोन्नति योजना के लिए 44,246.89 करोड़ रुपए खर्च किए जाने की योजना है। इस तरह दोनों योजनाओं के लिए कुल प्रस्तावित खर्च में केंद्र सरकार अनुमानित हिस्सा 69,088.98 करोड़ रुपए और राज्य सरकार हिस्सा 32,232.63 करोड़ होगा।

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इन योजनाओं के तहत कौनसी योजनाओं को किया गया है शामिल

इन योजनाओं के तहत कई योजनाओं को जोड़ा गया है। इसमें मृदा स्वास्थ्य कार्ड, सूक्ष्म सिंचाई, पुसल विविधीकरण, जैविक कृषि जैसी योजनाओं को शामिल किया गया है। इनके तहत किसानों को सहायता प्रदान की जाएगी जिससे आगे भी किसानों को इन योजनाओं का लाभ मिलता रहेगा। पीएम राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (PM National Agricultural Development Scheme) के तहत जिन योजनाओं को शामिल किया गया है वे योजनाएं इस प्रकार से हैं-

  • मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन
  • वर्षा आधारित क्षेत्र विकास
  • कृषि वानिकी
  • परंपरागत कृषि विकास योजना
  • फसल अवशेष प्रबंधन सहित कृषि यंत्रीकरण
  • प्रति बूंद अधिक फसल
  • फसल विविधीकरण कार्यक्रम
  • आरकेवीवाई डीपीआर घटक
  • कृषि स्टार्टअप के लिए त्वरित निधि।

यह सभी योनजाएं राष्ट्रीय कृषि विकास के अंतर्गत क्रियान्वित की जा रही हैं। जहां कहीं भी किसानों के कल्याण के लिए किसी भी क्षेत्र को बढ़ावा देना आवश्यक समझा जाता है वहां इस योजना को मिशन मोड पर आगे बढ़ाया जाता है। उदाहरण के लिए राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन, तेल पाम, स्वच्छ संयंत्र कार्यक्रम, डिजिटल कृषि और राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन-तिलहन के बीज आदि।

क्या है कृषिन्नति योजना

कृषिन्नति योजना को 2005 में 10वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान शुरू किया गया था। यह योजना वर्तमान में केंद्र सरकार की 12 योजनाओं/मिशनों और कृषि क्षेत्र से संबंधित केंद्र प्रायोजित योजनाओं की एक छत्र योजना इस योजना का उद्देश्य उत्पादन, उत्पादकता और उपज पर बेहतर रिटर्न बढ़ाकर किसानों की आय बढ़ाना है वहीं दूसरी और देश को खाद्यान्न में आत्मनिर्भर बनाना है।

वर्तमान कृषिन्नति योजना के तहत क्या होगा काम

वर्तमान में सरकार की ओर से इस योजना को और युक्तिसंगत बनाया जा रहा है। कृषिन्नति योजना के तहत राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन- तिलहन योजना को मंजूरी दी गई है। इस योजना के तहत देश में तिलहन फसलों उत्पादन व उत्पादकता बढ़ाने का काम किया जाएगा ताकि देश तिलहन क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन सके। इसके लिए किसानों को तिलहन फसलों का उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। इस योजना को 2024-25 से 2030-31 तक सात वर्ष की अवधि के लिए चलाया जाएगा। इस योजना के तहत रेपसीड- सरसों, सोयाबीन, मूंगफली, सूरजमुखी व तिल जैसी तिलहन फसलों के उत्पादन को बढ़ावा दिया जाएगा। इसके साथ ही कपास के बीज, चावल की भूसी और वृक्ष जनित तेलों जैसे-द्वितीयक स्त्रोतों से संग्रह और निष्कर्षण दक्षता बढ़ाने का काम किया जाएगा। इस मिशन पर सरकार 10,103 करोड़ रुपए खर्च करेगी। तिलहन मिशन का लक्ष्य प्राथमिक तिलहन उत्पादन को 39 मिलियन टन (2022-23) से बढ़ाकर 2023-31 तक 69.7 मिलियन टन करना है।

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