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मल्टीक्रॉप थ्रेसर : 20 से अधिक फसलों के दाने निकाले, समय, पैसा और मजदूरी बचाए

Published - 28 Jan 2021

मल्टीक्रॉप थ्रेशर (Multi Crop Thresher) : जानें, बाजार में कौन-कौन से लेटेस्ट मॉडल उपलब्ध और क्या है कीमत

मल्टीक्रॉप थ्रेसर (Multi Crop Thresher) किसानों के लिए एक बहुत उपयोगी मशीन है। इस उपकरण की मदद से 20 से अधिक फसलों की गहाई यानि की फसल के दाने को अलग किया जाता है। यह मशीन कम समय और कम लागत में फसल से दाने को अलग करती है। बहुत से किसान इस मशीन को किराए पर चलाकर भी अच्छी आमदनी कर रहे हैं। मल्टीक्राप थ्रेसर मशीन से गेहूं, सरसों, सोयाबीन, तुअर, बाजरा, मक्का, जीरा, डालर चना, सादा चना, देशी चना, ग्वार, ज्वार मूंग, मोठ, ईसबगोल, मसूर, राई, अरहर व मूंगफली जैसी फसलों के दाने साफ-सुथरे तरीके से निकाले जाते हैं। यह मशीन फसल के दाने और भूसे को अलग-अलग करती है।

 

जानें, थ्रेसर (Thresher) खरीदते समय किन बातों का रखें ध्यान

बाजार में कई कंपनियों के अनेक प्रकार के थ्रेसर उपलब्ध है। किसान को अपनी लागत और जरुरत के हिसाब से थ्रेसर खरीदना चाहिए। किसानों को आईएसआई मार्का के थ्रेसर को प्राथमिकता देनी होती है, क्योंकि ये निर्धारित मापदंडों के अनुसार बने होते हैं और इनके पार्ट्स भी बढिय़ा क्वालिटी के होते हैं। किसान को अपने पास उपलब्ध ट्रैक्टर, मोटर या इंजन की एचपी शक्ति के अनुसार ही थ्रेसर का चुनाव करना चाहिए। सामान्यत: गेहूं, चना, सोयाबीन थ्रेसर की क्षमता 0.4 से 0.5 क्विंटल, प्रति हॉर्सपावर, प्रति घंटा होती है। जबकि धान और ज्वार थ्रेसर की क्षमता 0.75 से 1.00 क्विंटल प्रति हार्सपार, प्रति घंटा होती है। ऐसे में अपनी जरुरत को ध्यान में रखते हुए थ्रेसर का चुनाव करना चाहिए। थ्रेसर खरीदते समय यह भी जांच लें कि उसके स्पेयर पार्ट्स बाजार में उपलब्ध है या नहीं। थ्रेसर खरीदते समय सुरक्षा के हिसाब से भी ध्यान देना चाहिए। ऐसे थ्रेसर का चुनाव करना चाहिए जो सुरक्षा की दृष्टि से आधुनिक तकनीक से बना हो और काम के दौरान कम से कम खतरा हो। अपनी फसल के अनुसार ही थ्रेसर का चयन करें।

 

थ्रेसर/मल्टीक्रॉप थ्रेसर के फायदे (Advantages of Thresher / Multicrop Thresher)

  • थ्रेसर /मल्टीक्रॉप थ्रेसर (Thresher / Multicrop Thresher) मध्यम और बड़ी जोत वाले किसानों के लिए बहुत लाभदायक होता है।
  • मल्टीक्रॉप थ्रेसर आधुनिक तकनीक से बने होते हैं। इससे अलग-अलग काम एक साथ किए जा सकते हैं जैसे अनाज को साफ करके उसके भूसे को अलग करना।
  • यह उच्च दक्षता के साथ फसलों के दाने को साफ-सुथरे तरीके से अलग करता है।
  • मल्टीक्रॉप थ्रेसर मशीन का परिवहन सुगम होता है। इसे एक स्थान से दूसरे स्थान पर आसानी से ले जाया जा सकता है।
  • इससे समय, मजदूरी और पैसे की बचत होती है। थ्रेसर संचालक थ्रेसर को किराए पर चलाकर भी अपनी आमदनी बढ़ा सकता है।
  • यह टिकाऊ और मजबूत मशीन है जिसकी लंबी लाइफ होती है।

 

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मल्टीक्रॉप थ्रेसर (Multicrop Thresher) का उपयोग

  • मल्टीक्रॉप थ्रेसर का उपयोग मुख्यत: फसलों की थ्रेसिंग (गहाई यानि की फसल से दाने को अलग करना) करने में किया जाता है।
  • इस मशीन के उपयोग से एक से अधिक फसलों की थ्रेसिंग की जा सकती है।
  • यह मशीन फसल कटाई के समय को कम करके किसानों का समय, पैसा और मजदूरी बचाती है।
  • थ्रेसिंग मशीन उच्च गुणवत्ता का भूसा देता है। इस मशीन से निकलने वाला भूरा न ज्यादा मोटा होता है और न ज्यादा पतला।

 
मल्टीक्रॉप थ्रेसर पर सब्सिडी (Subsidy on multicrop thresher)

समय-समय पर केंद्र व राज्य सरकारों द्वारा अपनी योजनाओं के माध्यम से थ्रेसर की खरीद पर सब्सिडी उपलब्ध कराई जाती है। सब्सिडी के लिए पात्रता व नियम अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग होते हैं। सामान्यत: लघु, सीमांत एवं महिला किसानों को 50 प्रतिशत व बड़े किसानों को 40 प्रतिशत तक सब्सिडी उपलब्ध कराई जाती है।

 

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मल्टीक्रॉप थ्रेसर की कीमत (Multicrop thresher price)

बाजार में 50 हजार रुपए से लेकर 4 लाख रुपए तक की कीमत में कई कंपनियों के मल्टीक्रॉप थ्रेसर उपलब्ध है। थ्रेसिंग परफॉरमेंस और गुणवत्ता के अनुसार इनकी कीमत निर्धारित होती है।

 

ऑनलाइन मल्टीक्राप थ्रेसर की कीमत (Online multicrap thresher price)

भारत में महिंद्रा, सोनालिका, लैंडफोर्स, दशमेश आदि कंपनियों के थ्रेसर उपलब्ध है। अगर आप इन थ्रेसरों के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं या थ्रेसर खरीदना चाहते हैं तो ट्रैक्टर जंक्शन के साथ बने रहिए। यहां क्लिक करें।

 

थ्रेसर (Thresher) का उपयोग करते समय बरतें ये सावधानी

  • थ्रेसर का उपयोग करते समय कई बार असावधानी के कारण दुर्घटनाएं हो जाती है। लेकिन कुछ बातों का ध्यान रखकर इन दुर्घटनाओं को टाला जा सकता है।
  • गहाई शुरू करने से पहले थ्रेसर मशीन की जांच करनी चाहिए कि वह सही चल रहा है या नहीं।
  • थ्रेसर को मजबूती से फिट किया जाना चाहिए ताकि कार्य के दौरान वह हिले नहीं।
  • थ्रेसर पर कार्य के दौरान किसानों को ढीले कपड़े नहीं पहनने चाहिए। साथ ही आंखों में चश्मा और चेहरे को कपड़े से ढकना चाहिए। साथ ही हाथों में दस्ताने पहनने चाहिए।
  • साड़ी, धोत्ती या दुपट्टा पहनकर थ्रेसर पर काम नहीं करना चाहिए, क्योंकि ढीले पकड़ों की पट्ट में फंसने की संभावना अधिक होती है।
  • रात में काम करना हो तो रोशनी की समुचित व्यवस्था होनी चाहिए।
  • बच्चों को थ्रेसर मशीन से दूर रखना चाहिए और पारंगत मजदूरों से ही काम कराना चाहिए।

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