Published - 12 Jul 2021 by Tractor Junction
देश के अधिकांश किसान लघु और सीमांत किसानों की श्रेणी में आते हैं। इन लघु और सीमांत किसान परिवारों की महिलाएं कृषि कार्यों को बखूबी संभालती है, लेकिन इन किसान परिवारों के पास प्राय: कृषि मशीनरी का अभाव रहता है। कृषि में महिलाओं की भागीदारी को देखते हुए कृषि उपकरण बैंक योजना के माध्यम से महिला किसानों को फायदा पहुंचाया जाता है। झारंखड में कृषि यांत्रिकीकरण उत्साह योजना के तहत महिला स्वयं सहायता समूहों को 80 प्रतिशत सब्सिडी पर कृषि उपकरण उपलब्ध कराए जाते हैं यानि 5 लाख रुपए के उपकरण करीब सवा लाख रुपए में मिलते हैं। योजना के तहत महिला किसानों को मिनी ट्रैक्टर के साथ रोटावेटर, पावर टिलर सहित अन्य सहायक उपकरण दिए जाते हैं। ट्रैक्टर जंक्शन की इस पोस्ट में जानते हैं कृषि उपकरण बैंक योजना (झारखंड में कृषि यांत्रिकीकरण उत्साह योजना) के बारे में।
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केंद्र सरकार ने किसानों को किराए पर कृषि उपकरण उपलब्ध कराने के लिए साल 2010 में कस्टमर हायरिंग सेंटर योजना शुरू की थी। योजना के तहत झारखंड सरकार ने कृषि में महिलाओं की भूमिका को देखते हुए महिलाओं को स्वावलंबी और आर्थिक रूप से समृद्ध बनाने के कस्टमर हायरिंग सेंटर को महिलाओं द्वारा चलाए जाने का निर्णय लिया था। झारखंड सरकार का मानना है कि ग्रामीण महिलाओं को स्वावलंबी, सशक्त बनाने के साथ ही उन्हें आजीविका से जोडऩा सबसे जरूरी है। सरकार महिलाओं को सखी मंडलों से जोडक़र उन्हें आजीविका के अवसर भी उपलब्ध करा रही है। झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी के सहयोग से महिलाएं 80 फीसदी सब्सिडी पर फायदेमंद कृषि यंत्र खरीद पा रही है। झारखंड राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के जरिए हर ग्रामीण गरीब परिवार की एक महिला को स्वयं सहायता समूह से जोड़ा जा रहा है। आपको बता दें कि राज्य में करीब 2.45 लाख सखी मंडलों से 30 लाख परिवार जुड़े हैं। झारखंड सरकार की ओर से समय-समय पर सखी मंडलों को कई तरह के अनुदान उपलब्ध कराए जाते हैं। इसी क्रम में महिलाओं को 80 प्रतिशत सब्सिडी पर मिनी ट्रक के साथ अन्य सहायक उपकरण उपलब्ध कराए गए हैं।
झारखंड में कृषि यांत्रिकीकरण उत्साह योजना के तहत झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रोमोशन सोसाइटी (जेएसएलपीएस) से जुड़े स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को 80 फीसदी अनुदान पर कृषि यंत्र उपलब्ध कराए गए हैं। विगत दिनों रामगढ़ के समाहरणालय परिसर में विधायक ममता देवी ने छह स्वयं सहायता समूह की दीदियों को मिनी ट्रैक्टर और रोटावेटर दिया। साथ ही एक स्वयं सहायता समूह की दीदी को मिनीटै्रक्टर और पावर टिलर सहित अन्य उपकरण 80 प्रतिशत सब्सिडी पर उपलब्ध कराए गए।
झारखंड के टुंडाहुली गांव के चंपा विकास महिला समूह की सदस्य संगीता देवी ने योजना के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि उनके समूह को कृषि उपकरण लेने के लिए एक लाख 26 हजार सात सौ रुपये चुकाने पड़े। शेष राशि शासन से अनुदान के रूप में प्राप्त हुई। बाजार में इन उपकरणों की कीमत पांच लाख रुपए है। संगीता ने बताया कि इससे उन्हें काफी फायदा हो रहा है। अब उनके समूह की महिलाओं को ट्रैक्टर से खेती करने में देर नहीं लगती। वहीं सदमा गांव की सुनीता देवी बताती हैं कि कृषि यंत्र योजना के तहत मिनी ट्रैक्टर मिलने से उन्हें मुनाफा हो रहा है।
योजना के लाभ बताते हुए भूमि संरक्षण अधिकारी ने बताया कि योजना के तहत कुछ ही समूहों को मिनी ट्रैक्टर और रोटावेटर दिए गए हैं। फिलहाल जेएसएलपीएस के तहत कार्यरत महिला समूहों को ही योजना से जोड़ा जा रहा है, क्योंकि उनकी निगरानी अच्छी तरह से की जाती है। इस योजना के तहत जिन समूहों के पास मिनी ट्रैक्टर है उनकी आय में अच्छी वृद्धि हुई है। खासकर बारिश के इस मौसम में खेत जोतने के लिए उन्हें एक हजार रुपए प्रति घंटा मिलने लगे हैं। इसके अलावा वह सही समय पर अपनी खेती भी कर पा रही है।
रांची जिले के भूमि संरक्षण अधिकारी अनिल कुमार ने जानकारी दी कि झारखंड में छोटे और सीमांत किसानों की संख्या ज्यादा है। वे छोटी-छोटी जमीन पर खेती करते हैं। इन किसानों के पास इतने पैसे नहीं होते कि वे ट्रैक्टर खरीद सकें या महंगे कृषि उपकरण खरीद सकें। जबकि आज खेती पूरी तरह से आधुनिक मशीनों पर आधारित हो गई है। अनिल कुमार के अनुसार आज इजराइल जैसे छोटे देश में मशीन आधारित कृषि का हिस्सा 95 फीसदी है। जबकि भारत में केवल एक प्रतिशत कृषि ही उपकरणों पर आधारित है। इस योजना का उद्देश्य छोटे और सीमांत किसानों को ट्रैक्टर व कृषि उपकरण उपलब्ध कराना है।
भूमि संरक्षण अधिकारी अनिल कुमार के अनुसार करीब तीन साल पहले तक झारखंड में कृषि यंत्र बैंक की योजना भी संचालित थी। यह योजना राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत थी। लेकिन पिछले तीन साल से योजना में राशि नहीं आ रही है, इसलिए इस योजना को फिलहाल ठंडे बस्ते में है। योजना के तहत 25 लाख रुपए के कृषि उपकरण दिए गए थे। इसमें किसानों ट्रैक्टर के अलावा अन्य कृषि उपकरण व एक शेड दिया गया था। इन योजनाओं का लाभ पाने वाले सभी किसान अभी भी अच्छा कार्य कर रहे हैं।
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