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अब हर जिले में सहकारी बैंक खोलेगी सरकार, किसानों को ऋण मिलना होगा आसान

प्रकाशित - 28 Nov 2024

दो लाख पंचायतों में बहुउद्देशीय प्राथमिक कृषि ऋण समितियां भी की जाएंगी स्थापित

सरकार की ओर से देश के किसानों को खेती के काम में सुविधा प्रदान करने के उद्देश्य से कई प्रकार की योजनाएं चलाई जा रही है तो कुछ नई घोषणाएं भी की जा रही हैं। इसी कड़ी में सरकार की ओर से अब हर जिले में सहकारी बैंक खोलने का लक्ष्य रखा गया है। अगले 5 सालों में देश के 80 प्रतिशत जिलों में जिला सहकारी बैंक खोले जाएंगे जिससे कोऑपरेटिव सेक्टर को मजबूती मिलेगी। इसी के साथ दो लाख पंचायतों में बहुउद्देशीय प्राथमिक कृषि ऋण समितियां भी स्थापित की जाएगी जिससे किसानों को अल्पावधि ऋण मिलना आसान होगा। इसके अलावा भी सरकार ने किसानों के हित में राष्ट्रीय सहकारिता नीति लागू करने और जैविक उत्पादन को बढ़ावा देने की बात भी कही है। सरकार के इस कदम से किसानों को लाभ होगा।

यह बात केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने हाल ही में 102वें अंतरराष्ट्रीय सहकारिता दिवस के अवसर पर आयोजित सहकार से समृद्धि कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कही। इस दौरान शाह ने नैनो यूरिया और नैनो डीएपी पर 50 प्रतिशत सब्सिडी की घोषणा करने के लिए गुजरात सरकार का धन्यवाद भी दिया।

दूध उत्पादक संघ बनाने का बनाने का लक्ष्य-

सरकार की ओर से प्रत्येक सहकारी बैंक की तरह ही हर जिले में दूध उत्पादक संघ बनाने का लक्ष्य भी रखा गया है। इससे पशुपालक किसानों को लाभ होगा और देश में दूध के उत्पादन में बढ़ोतरी होगी। श्वेत क्रांति पर के संबंध में शाह ने कहा कि भारत में अमूल के माध्यम से बहुत अच्छे तरीके से श्वेत क्रांति हुई है और आज अमूल का टर्नओवर 80,000 करोड़ रुपए का है। उन्होंने कहा कि ये सारा टर्नओवर अब जिला सहकारी बैंकों के जरिये होता है। यह एक बहुत बड़ी उपलब्धि है, जो मात्र दो साल में हमने प्राप्त की है। उन्होंने कहा कि इस मॉडल को हर जिला सहकारी बैंक को अपनाना चाहिए और अपनी ताकत और आत्मविश्वास को आगे बढ़ाना चाहिए। उन्होंने कहा कि आज राज्य सहकारी बैंकों का मुनाफा करीब 2400 करोड़ रुपए है और जिला सहकारी बैंकों का मुनाफा 1881 करोड़ रुपए है, हमें इसमें भी बढ़ोतरी के लिए लक्ष्य तय करना चाहिए।

पैक्स का मजबूत होना जरूरी-

केंद्रीय सहकारिता मंत्री ने कहा कि जब तक हम पैक्स को मजबूत नहीं करेंगे तब तक जिला सहकारी बैंक के कोई मायने ही नहीं है। पैक्स को मजबूत करने के लिए मोदी सरकार ने कई शुरुआत की हैं। उन्होंने कहा कि पैक्स के पुराने बाई-लॉज़ अप्रासंगिक हो गए थे। हमने इनमें बहुत सारे बदलाव किए हैं और मॉडल बाई-लॉज़ बनाकर राज्यों को भेजे और सभी राज्यों ने इन्हें स्वीकार कर लिया है। उन्होंने कि इन मॉडल बाई-लॉज़ में हमने कई नई गतिविधियों को जोड़ा है। अब पैक्स प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र भी चला सकते हैं। डेयरी भी चला सकते हैं, मछुआरा समिति भी चला सकते हैं।

पैक्स को मिले ड्रग लाइसेंस व फर्टिलाइजर लाइसेंस-

उन्होंने कहा कि करीब 744 पैक्स को ड्रग लाइसेंस भी मिल गए हैं। इसके साथ ही पैक्स को फर्टिलाइजर लाइसेंस भी मिला है। वहीं करीब 39 हजार पैक्स आज कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) बन चुके हैं और गांवों में 300 से अधिक सेवाएं देने का काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इन सभी 20 से अधिक गतिविधियों से पैक्स लेंस होंगे जिसके कारण जिला सहकारी बैंक और राज्य सहकारी बैंकों की संख्या में बढ़ोतरी होगी। उन्होंने कहा कि एनएएफएससीओबी की भूमिका पैक्स को पारदर्शी और आधुनिक बनाना और इसके कंप्यूटराइजेशन को पूर्ण रूप से हासिल करने की होनी चाहिए। सरकार पैक्स के माध्यम से लॉन्ग टर्म फाइनेंस की संभावना तलाश कर रही है ताकि पैक्स के बिजनेस में बढ़ोतरी हो सके।

राष्ट्रीय सहकारिता नीति लाई जाएगी-

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार जल्दी ही राष्ट्रीय सहकारिता नीति लाने का काम करेगी। देश में 1,100 नए किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) बनाए गए हैं और एक लाख से अधिक पैक्स ने नए उपनियमों को स्वीकार कर लिया है। राष्ट्रीय सहकारी विकाास निगम (एनसीडीसी) 2,000 करोड़ रुपए के बॉन्ड जारी करने से अधिक सहकारी संस्थाओं के कल्याण के लिए काम कर सकेगा। उन्होंने राष्ट्रीय कृषि ओर ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) और राज्य सहकारी बैंकों से पैक्स और अन्य सहकारी संस्थाओं के लिए जिला या राज्य सहकारी बैंकों में अपने खाते खोलने की व्यवस्था करने का आग्रह किया जिससे सहकारी क्षेत्र मजबूत हो। उन्होंने कहा कि जैविक उत्पादों को बढ़ावा देने और जैविक खेती करने वाले किसानों को उचित मूल्य सुनिश्चित करने के लिए केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय सहकारी जैविक लिमिटेड (एनसीओएल) की स्थापना की है।

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